-बीएड के कार्स को नए सिरे से डिजाइन करने के लिए नेशनल टीचर एजूकेशन काउंसिल ने बनाई 12 सदस्यीय कमेटी
-इंटरनेशनल मानकों के हिसाब से तैयार किया जाएगा सिलेबस, इसे करने के बाद दुनिया में कहीं भी पढ़ा सकेंगे टीचर्स
KANPUR: अब देश में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के टीचर्स तैयार किए जाएंगे। इसके लिए बीएड के कोर्स को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि इसे करने के बाद तैयार होने वाले टीचर्स दुनिया में कहीं भी पढ़ा सकें। खास बात यह है कि नए सिलेबस में केवल क्लास में पढ़ाने का तरीका व लेशन प्लान ही नहीं बल्कि 'को-करीकुलर एक्टिविटी' कराए जाने की ट्रेनिंग भी शामिल होगी। बीएड के सिलेबस को 21वीं सदी के स्किल डेवलपमेंट के अंतर्गत तैयार किया जाएगा। इससे पहले सिलेबस में दिसंबर-2014 में बदलाव किया गया था।
कमेटी में यह लोग शामिल
ईयर 2021-22 से सीएसजेएम यूनिवर्सिटी समेत देश के विभिन्न बीएड कालेजों में लागू होने वाले इस नए कोर्स को डिजाइन करने के लिए एनसीटीई ने 12 सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी में नेशनल स्कूल ऑफ ओपेन स्कू¨लग के चेयरपर्सन प्रो। सरोज शर्मा, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के प्रो। पीके मिश्रा, नेशनल काउंसिल आफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रे¨नग 'एनसीईआरटी' से प्रो। उषा शर्मा, बीएचयू काशी से प्रो। अंजली बाजपेयी, केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी से प्रो। अमरूत जी कुमार, नार्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शीलांग से प्रो। एसएन सुनगोह, हैदराबाद यूनिवर्सिटी से प्रो। मधुसूदन, रीजनल इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशन से प्रो। केवी राथ, छत्तीगढ़ सेंट्रल यूनिवर्सिटी से डा। सुजीत कुमार, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्निकल टीचर्स ट्रे¨नग एंड रिसर्च से प्रो। अनिल कुमार, एनसीटीई से अनिल कुमार व बिचित्रा चौधरी शामिल हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव
यह टीम बीएड के लिए इस प्रकार से सिलेबस डिजाइन कर रही है जिससे शिक्षकों को स्कूल में फंडामेंटल, प्रेपरेट्री, मिडिल व सेकेंड्री चारों वर्ग की पढ़ाई के लिए तैयार किया जा सके। नई शिक्षा नीति के तहत यह बदलाव किया जा रहा है। इसमें योग, शारीरिक शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधियों का भी लेसन को शामिल किया जा सकता है।
एक नजर
- 15 हजार के करीब है देशभर में बीएड कालेजों की संख्या
- 2300 के करीब बीएड कॉलेज है उत्तर प्रदेश में
- 100 के करीब बीएड कॉलेज सीएसजेएमयू से एफिलिएटेड
- 10 हजार के करीब इन कॉलेजों में है सीटों की संख्या
कोर्स में बदलाव की जरूरत काफी समय से थी। इसे लेकर एनसीटीई व शासन में कई प्रस्ताव भी भेजे गए थे। नई शिक्षा नीति के तहत इसमें बदलाव होना छात्रों के हित में है। अब छात्र इस प्रकार से तैयार होकर निकलेंगे जिससे वह विदेश के शिक्षण संस्थानों में भी पढ़ाने में सक्षम होंगे। कोर्स में बदलाव के बाद उसे पढ़ाने वाले आचार्यों को प्रशिक्षण दिए जाने की योजना भी बनाई जानी चाहिए।
-विनय त्रिवेदी, राष्ट्रीय महामंत्री, आल इंडिया फेडरेशन आफ सेल्फ फाइनें¨सग कालेजेस