फ़ील्ड मार्शल तंतावी की गवाही को अहम माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि उनकी गवाही से ही तय होगा कि मुबारक दोषी हैं या निर्दोष।

होस्नी मुबारक के ख़िलाफ़ मुक़दमा चल रहा है कि उन्होंने अपने विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के बीच प्रदर्शनकारियों को मारने के आदेश दिए थे। यदि 83 वर्षीय मुबारक के ख़िलाफ़ दोष साबित हो जाता है तो उन्हें मौत की सज़ा हो सकती है।

दबाव

अधिकारियों का कहना है कि फ़ील्ड मार्शल तंतावी की गवाही राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से बंद कमरे में होगी और इसे रिपोर्ट करने की भी मनाही है। ये गवाही वैसे तो इस महीने के शुरु में हो जानी थी लेकिन काहिरा में इसराइली दूतावास पर हुए हमले के बाद तंतावी के अनुरोध पर इसे टाल दिया गया था।

मिस्र में सैन्य प्रशासन पर घरेलू स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत दबाव है। घरेलू स्तर पर लोग इस बात से नाराज़ हैं कि लोकतंत्र की स्थापना के लिए आवश्यक बदलाव की प्रक्रिया धीमी है। दूसरी ओर सैन्य प्रशासन इसराइल से साथ रिश्तों में आई खटास को दूर करने में लगा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि होस्नी मुबारक के पद से हटने के बाद सैन्य प्रशासन ने इस वादे के साथ सत्ता संभाली है कि लोकतंत्र के लिए रास्ता बनाने के बाद सेना सत्ता से हट जाएगी।

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