इससे पहले चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव पांच अप्रैल 2014 को होंगे। अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति हामिद करज़ई का कार्यकाल अगस्त 2014 में समाप्त होगा और राष्ट्रपति की गद्दी पर ये उनकी दूसरी पारी थी। अफ़ग़ानिस्तान के संविधान के अनुसार हामिद करज़ई तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए चुनाव आयुक्त अफ़ज़ल अहमद मुनावी ने कहा कि चुनाव आयोग चरमपंथियों के चुनाव में बतौर उम्मीदवार और वोटर दोनों हैसियत से हिस्सा लेने के लिए ज़रूरी क़दम उठा रहा है और संस्था इसके लिए पूरी तरह तैयार है।

चुनाव आयुक्त के अनुसार चाहे वो तालिबान हो या फिर हिज़्ब इस्लामी, किसी के साथ भी कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। हिज़्ब इस्लामी संगठन के मुखिया अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलब्दीन हिकमतयार हैं जो कि तालिबान के साथ मिलकर हामिद करज़ई सरकार के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं।

अमरीका के कहने पर राष्ट्रपति करज़ई ने तालिबान से बातचीत शुरू की थी और उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने का न्यौता वो देते रहें हैं। हालांकि इस कोशिश में बीच-बीच में कई बाधाएं भी आती रही हैं।

सरकार और तालिबान के बीच मध्यस्थता कर रहे पूर्व राष्ट्रपति बरहानुद्दीन रब्बानी की हत्या कर दी गई थी। वैसे विश्लेषक मानते हैं कि अगर तालिबान चुनावों में हिस्सा लेते हैं तो ये अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाली की ओर एक अहम क़दम होगा।

तालिबान

अमरीका ने 9/11 हमले के लिए उस समय अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे अल-क़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को ज़िम्मेदार ठहराया था और अफ़ग़ानिस्तान में शासन कर रहे तालिबान से लादेन को सौंपने की मांग की थी। लेकिन तालिबान ने अमरीका की इस मांग को ख़ारिज कर दिया था जिसके बाद अमरीका ने अक्तूबर 2001 में अफ़ग़ानिस्तान पर हमला कर दिया था।

अमरीकी हमले के कारण तालिबान का तख्ता पलट गया था और फिर बाद में चुनाव हुए थे। तालिबान ने 2009 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार किया था और ठीक चुनाव के दिन तालिबान के हमले में 20 लोग मारे गए थे।

अफ़ग़ानिस्तान के संविधान के अनुसार वहां राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को किसी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से जनता सीधे उनका चुनाव करती है।

2014 में होने वाले चुनाव के लिए उम्मीदवारों को छह अक्तूबर 2013 तक तमाम ज़रूरी दस्तावेज़ चुनाव आयोग को जमा करने होंगे और उम्मीदवारों की सूची 16 नवंबर तक जारी कर दी जाएगी। राष्ट्रपति करज़ई के 2009 में दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने पर उन पर धांधली के बहुत सारे आरोप लगाए गए थे।

इस महीने की शुरूआत में इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने चिंता जताई थी कि नेटो सेना के अफ़ग़ानिस्तान से हटने के बाद अफ़ग़ानिस्तान सरकार के गिरने और देश में गृह युद्ध होने की आशंका है। उनका कहना था कि अफ़ग़ानिस्तान की सेना और पुलिस देश में सुरक्षा के हालात से निबटने के लिए तैयार नहीं हैं।

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