- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट एक्सक्यूज मी कैंपेन के दौरान कैसा हो पिंक टॉयलेट यह भी हुआ साफ
- शहर के विभिन्न व्यापार मंडलों की ओर से इस प्रॉब्लम का दूर करने के लिए जताई गई प्रतिबद्धता
KANPUR: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की मुहिम एक्सक्यूज मी कैंपेन के जरिए हमने लगातार महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट की मांग को उठाया। इस मुद्दे में हमने महिलाओं की टॉयलेट से जुड़ी दिक्कतों के हर पहलू पर बात की। सिटी में पब्लिक प्लेसेस में इसकी कमी की वजहों की भी पड़ताल की। साथ ही महिलाओं से बात कर उनकी परेशानी और दर्द को भी समझा। वहीं इस मुहिम के जरिए ही शहर के महिला संगठन और प्रमुख व्यापार मंडल भी साथ आए हैं। साथ ही नगर निगम ने भी इस मुहिम की वजह से शहर में 20 पिंक टॉयलेट के निर्माण पर सहमति दी है। अब जब पिंक टॉयलेट के निर्माण का रास्ता साफ हो रहा है। तो पिंक टॉयलेट कैसे हो। महिलाओं की किन समस्याओं को इनके निर्माण के दौरान ध्यान में रखा जाए। और सबसे बड़ी बात इनमें मेनटेनेंस और साफ सफाई की व्यवस्था को लेकर प्रमुख व्यापार मंडलों के क्या संकल्प है। इस पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इनके पदाधिकारियों के बात भी की, लेकिन इस मुहिम से यह बात भी साफ हुई कि यह सिर्फ सिविक बॉडीज या व्यापार मंडलों के सहयोग से नहीं होगा। कानपुर में आम लोगों को भी इसे लेकर अवेयर होना होगा। ज्यादा से ज्यादा पिंक टॉयलेट के निर्माण हो इसके लिए कारपोरेट्स और शहर के उद्यमियों को भी आगे आना होगा।
आखिर कैसा हो पिंक टॉयलेट-
- कम से कम तीन से चार सीट की क्षमता
- स्मेल को दूर करने के लिए वेंटीलेशन की व्यवस्था
- टॉयलेट के साथ एक बेबी फीडिंग एरिया की व्यवस्था
- मेनस्ट्रल हाईजीन के लिए वेस्ट के निस्तारण का इंतजाम
- सेनेटरी नैपकिन वेडिंग मशीन
- पेपर नैपकिन के साथ हैंडवॉश की प्रॉपर व्यवस्था
- टॉयलेट में साफ सफाई और हाईजीन को लेकर फीडबैक देने की व्यवस्था।
- पिंक टॉयलेट का मेनटेनेंस और साफ सफाई के लिए महिला कर्मचारी की तैनाती
6 से 7 लाख रुपए- एक पिंक टॉयलेट बनवाने में आने वाला खर्च
96 हजार रुपए प्रति शीट एक टॉयलेट निर्माण का खर्च
पिंक टॉयलेट न होने की क्या हैं वजहें-
- महिलाओं में पिंक टॉयलेट को लेकर अवेयरनेस की कमी
- सिविक बॉडीज के पास टॉयलेट निर्माण के लिए कोई स्पेसिफिक बजट न होना
- सिटी में भीड़भाड़ वाली जगहों पर टॉयलेट बनवाने के लिए जगह की कमी
- टॉयलेट के निर्माण में संस्थाओं और सिविक बॉडीज में कोआर्डिनेशन की कमी
- टायलेट बनाने की डिमांड की प्रक्रिया का क्लियर नहीं होना
- टायलेट के मेनटेनेंस की जिम्मेदारी क्लियर नहीं होने से भी इसके निर्माण में बाधा
- पिंक टॉयलेट को लेकर सिविक बॉडीज और सामाजिक संस्थाओं की ओर से कोई गंभीर पहल नहीं होना
टॉयलेट बनते हैं तो कौन लेगा जिम्मेदारी
पीरोड और सीसामऊ बेहद घनी मार्केट है। हमने यहां तक कहा है कि अगर नगर निगम की ओर से यहां जगह मुहैया कराई जाती है तो व्यापार मंडल खुद ही यहां एक अच्छा टॉयलेट बनवा कर उसका रखरखाव भी कराएगा। टॉयलेट बनने के बाद नगर निगम को उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
- महेश मेंघानी, अध्यक्ष, सीसामऊ-पीरोड व्यापारी एसोसिएशन
गुमटी समेत ज्यादातर बाजारों में टॉयलेट की प्रॉब्लम है। व्यापारी संगठन इनके मेनटेनेंस को तैयार है,लेकिन पहले नगर निगम की ओर से कहां कहां टॉयलेट बने हैं इसकी पूरा ब्यौरा तो मुहैया कराया जाए। इसकी जानकारी मिलती है तो संबंधित व्यापार मंडल अपने क्षेत्र में पड़ने वाले टॉयलेट को हैंड ओवर ले उनका मेनटेनेंस कराएगा।
- कपिल सब्बरवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उद्योग व्यापार मंडल, कंछल गुट
साउथ सिटी में कई बेहद भीड़ भाड़ वाले बाजारों में खास तौर से टॉयलेट की समस्या है। इन बाजारों में ज्यादातर महिलाएं ही आती हैं। विद्यार्थी मार्केट, चावला मार्केट, 40 दुकान मार्केट में नगर निगम अगर टॉयलेट का निर्माण करवा दे तो व्यापार मंडल इन्हें हैंड ओवर ले उनका मेनटेनेंस कराएगा।
- अभिषेक पांडेय,मोनू, महामंत्री, कानपुर दक्षिण उद्योग व्यापार मंडल
नयागंज, बिरहाना रोड इन सब बाजारों में बड़े टॉयलेट की बजाय छोटे और पोर्र्टेबल फाइबर के टॉयलेट रखवाए जाएं। इन बाजारों में जगह की वैसे भी काफी क्राइसेस है। अगर टॉयलेट रखवाए जाते हैं तो इनकी साफ सफाई सुरक्षा संबंधित जरूरतों का इंतजाम व्यापार मंडल करा देगा।
- पंकज अरोरा, अध्यक्ष कानपुर महानगर सर्राफा एसोसिएशन
80 फीट रोड मार्केट में तो एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है। जबकि यहां आसपास कई गर्ल्स इंटर व डिग्री कॉलेज भी हैं। अगर बाजार में टॉयलेट के लिए जगह की समस्या नगर निगम सुलझा दे तो व्यापार मंडल खुद ही टॉयलेट बनवा कर उसके मेनटेनेंस का भी इंतजाम करेगा।
- आलोक श्रीवास्तव, 80फीट रोड व्यापार मंडल
यहां पब्लिक टॉयलेट तो हैं, लेकिन यह बाजार से काफी दूर हैं। हरजिंदर नगर मार्केट में एक जगह है जहां पिंक टॉयलेट बनाया जा सकता है। इसके लिए नगर निगम पहल करे तो हरजिंदर नगर व्यापार मंडल उसमें पूरी मदद करेगा।
- सुशील गुप्ता, अध्यक्ष हरजिंदर नगर व्यापार मंडल
हम पहले ही एक संस्था के जरिए 8 लाख से ज्यादा लागत से एक टॉयलेट का निर्माण करा रहे हैं। उसके संचालन के समझौते को लेकर नगर निगम के अधिकारियों से बातचीत चल रही है। इस मसले के सुलझते ही एक बड़े टॉयलेट का निर्माण भी जल्द पूरा करा दिया जाएगा।
- संदीप पांडेय, संरक्षक, कल्याणपुर उद्योग व्यापार व्यापार मंडल
टॉयलेट से जुड़ी महिलाओं की क्या हैं प्रॉब्लम्स
- पब्लिक प्लेसेस में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट का नहीं होना
- मार्केट प्लेसेस में टॉयलेट की कमी या कब्जे
- टॉयलेट का गंदा होना या उनका ठीक से मेनटेनेंस नहीं होना
- टॉयलेट की लोकेशन का पता न होना
- टॉयलेट में किसी महिला कर्मचारी का न होना
क्या बाेली पब्लिक
इतने बड़े शहर में फीमेल के लिए चुनिंदा पिंक टॉयलेट हैं। जो हैं भी वह कहां है यह भी साफ नहीं है। शहर में साफ सुधरे टॉयलेट कहां कहां पर हैं। इसकी जानकारी भी अगर किसी एप या अन्य तरीके से पता चल जाए तो अच्छा होगा।
- अनीता गुप्ता
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पिंक टॉयलेट को लेकर जो मुहिम शुरू की है वह बेहद सराहनीय है। महिलाओं के लिए अलग साफ सुथरे टॉयलेट बनने से घर के बाहर होने पर उन्हें ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा।
-प्रशांत पांडेय
पिंक टॉयलेट को लेकर महिलाओं में जागरुकता और उनकी तरफ से भी इसकी मांग होनी चाहिए। यह उनकी हेल्थ से जुड़ मसला भी है। इसे अगर वह खुद ही गंभीरता से नहीं लेगी तो क्या बदलाव आएगा।
- रिंकी शर्मा
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने यह बेहद अच्छी पहल की है। इस मुद्दे पर झिझक और शर्म की वजह से कम ही बात होती है। कई बार महिलाएं भी इस पर बोलने की बजाय परेशानी बर्दाश्त करती है।
- मोनू वर्मा
घर से बाहर होने पर टॉयलेट जैसी प्रॉब्लम के लिए महिलाओं का परेशान होना बेहद दुखद है। सिविक बॉडीज को इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने चाहिए.आखिर यह आधी आबादी की बात है।
- दिव्या गुप्ता
सिटी में कई जगहों पर बड़े बड़े टॉयलेट मिल जाते हैं, लेकिन मार्केट प्लेसेस में जहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है वहां इसकी व्यवस्था नहीं है। नगर निगम को इन इलाकों में भी साफ सुथरे टॉयलेट की व्यवस्था करनी चाहिए। भले ही उसके लिए कुछ यूजर चार्ज ले ले।
- नीलम सिंह
महिलाओं के पिंक टॉयलेट की मांग को पूरा करने के साथ ही जो पुरुष खुले में टॉयलेट करते हैं उनसे भी बड़ा जुर्माना वसूलना चाहिए। क्योंकि इससे वहां से गुजर रही महिलाओं को परेशानी होती है.साथ ही यह शहर को भी गंदा करने वाली हरकत है।
- वर्षा साहू