तहरीर चौक पर मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि एक ओर प्रदर्शनकारियों की ओर से पथराव और पेट्रोल बम फेंकना जारी है और दूसरी ओर सुरक्षा बल आंसू गैस का लगातार प्रयोग कर रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिनों में वहाँ ३० से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौतें हुई हैं।

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तहरीर चौक वही चौक है जहाँ लाखों लोग राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के लिए जुट रहे थे और आख़िर फ़रवरी में उनके दबाव में उन्हें पद से हटना पड़ा।

उस समय अधिकांश प्रदर्शनकारियों ने सैन्य परिषद के सत्ता संभालने का स्वागत किया था.लेकिन तहरीर चौक पर परिवर्तन के लिए संघर्ष करने वाले बहुत से युवाओं को लगता है कि एक तो उन्हें दरकिनार कर दिया गया है दूसरा चुनाव की प्रक्रिया जिस तरह से तय की गई है उससे लगता है कि सेना की मंशा सत्ता पर काबिज रहने की है।

हालांकि संसद के चुनाव अगले हफ़्ते शुरु हो रहे हैं जो तीन महीने चलेंगे उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरु होगी। सैन्य परिषद पहले वर्ष २०१२ के अंत में या २०१३ के शुरु में राष्ट्रपति चुनाव की बात कर रही थी लेकिन अब वह अगले साल जुलाई में राष्ट्रपति का चुनाव करवाने के लिए राज़ी हो गई है। लेकिन प्रदर्शनकारी सेना की ओर से रियायतों की घोषणा से संतुष्ट नज़र नहीं हैं।

प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं कि वे तहरीर चौक से नहीं जाएँगे। वे सैन्य परिषद के प्रमुख फ़ील्ड मार्शल तंतावी के त्यागपत्र की मांग कर रहे हैं। जबकि अपने संबोधन में तंतावी ने कहा कि सेना सिर्फ़ लोगों की सुरक्षा के लिए है और वो स्थायी सत्ता नहीं चाहती।

इन प्रदर्शनों की गंभीरता को देखते हुए एक आपात बैठक हुई है। इस बैठक में सैनिक शासन के प्रतिनिधि और राजनीतिक गुटों के लोग शामिल हुए। सत्ता पर काबिज होने की मंशा नहीं

मिस्र के सैनिक शासकों की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया तेज़ करने की घोषणा की गई है.सेना की सुप्रीम काउंसिल के प्रमुख फ़ील्ड मार्शल मोहम्मद हुसैन तंतावी ने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर दिए अपने संबोधन में कहा कि अगले साल जुलाई तक राष्ट्रपति चुनाव करा

लिए जाएँगे।

उन्होंने कहा, "सशस्त्र सेना इस समय सुप्रीम काउंसिल के ज़रिए प्रशासन संभाल रही है लेकिन इसकी मंशा शासन करने की नहीं है उसके लिए देश का हित सर्वोपरि है." "अगर लोग चाहते हैं कि हम देश की सुरक्षा के अपने मूल काम पर वापस लौट जाएँ तो हम तुरंत इसके लिए तैयार हैं लेकिन इससे पहले देश में जनमत संग्रह ज़रूरी है."

उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कैबिनेट का इस्तीफ़ा मंज़ूर कर लिया है और संसदीय चुनाव अगले सप्ताह तय कार्यक्रम के मुताबिक़ ही होंगे। तीन दिनों के हिंसक प्रदर्शन के बाद सेना की ओर से नियुक्त नागरिक सरकार ने प्रधानमंत्री एसाम शराफ़ की अगुआई में इस्तीफ़ा दे दिया था।

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