-आईडीएच के आईसोलेशन वार्ड में स्वाइन फ्लू के सस्पेक्टेड दो बच्चों को किया गया एडमिट, जांच के लिए भेजे गए सैम्पल

-रसूलाबाद से 12 साल की लड़की को कोरोना सस्पेक्टेड पेशेंट बताकर किया हैलट रेफर, वहीं दूसरा 7 साल का बच्चा कन्नौज से आया

KANPUR: कोरोनावायरस की दहशत के बीच खतरनाक स्वाइन फ्लू ने भी अटैक करना शुरू कर दिया है। फ्राईडे रात स्वाइन फ्लू के दो संदिग्ध पेशेंट्स को जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आईडीएच में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में एडमिट किया गया है। इनमें एक 12 साल की बच्ची और दूसरा 7 साल का बच्चा है। रसूलाबाद से आई 12 साल की बच्ची को रसूलाबाद सीएचसी से कोरोना वायरस का सस्पेक्टेड केस बता कर रेफर किया है। उसे सांस लेने में तकलीफ है। वहीं 7 साल के बच्चे को स्वाइन फ्लू की आशंका के बाद बालरोग अस्पताल भेजा गया।

फिलहाल हालत स्थिर

डॉक्टर्स के मुताबिक दोनों की ही हालत स्थिर है। उनकी लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। हेल्थ डिपार्टमेंट की रैपिड एक्शन टीम की ओर से दोनों की केसेस में स्वाइन फ्लू की संभावना जताई गई जिसमें बाद दोनों बच्चों के थ्रॉट स्वॉव के सैंपल जांच के लिए मेडिकल कालेज की लैब में भेजे गए हैं। बच्ची को कोरोना वायरस पेशेंट्स के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में एडमिट किया गया है जबकि बच्चे को स्वाइन फ्लू के वार्ड में भर्ती किया गया है।

कोरोना नहीं स्वाइन फ्लू

आईडीएच हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ.अनूप शुक्ला ने बताया कि रसूलाबाद से देर रात 12 साल की एक लड़की को आईसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। उसे सांस लेने में प्रॉब्लम हो रही है। वहीं पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स के मुताबिक लड़की में कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर रसूलाबाद सीएचसी से रेफर किया गया था। रेफर लेटर में भी इसका जिक्र किया गया। वहीं जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ.देव सिंह की इस बाबत बालरोग विभाग के डॉक्टर्स से काफी बातचीत हुई। जिसके बाद उसकी स्वाइन फ्लू की जांच कराने का फैसला हुआ। लड़की का परिवार दिल्ली में रह कर मजदूरी करता है। महामारी वैज्ञानिक के मुताबिक, उसकी किसी दूसरे देश जाने की हिस्ट्री है ही नहीं। लक्षणों के आधार पर उसके थ्रॉट स्वॉव का सैंपल जांच के मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजा गया है। इसके अलावा कन्नौज से रेफर होकर आए बच्चे की इनफ्लुएंजा ए की रिपोर्ट पॉजिटिव है। ऐसे में उसे भी स्वाइन फ्लू की ही ज्यादा संभावना है।

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स्वाइन फ्लू और कोरोना वायरस में अंतर-

स्वाइन फ्लू-

नाक का लगातार बहना, तेज बुखार, गले में खराश, कंपकपी, बेचैनी

पुष्टि के लिए कौन सी जांच- पेशेंट के थ्रोट स्वॉव के सैंपल से आरटीपीसीआर जांच

दवा- टेमी फ्लू

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कोराेना वायरस-

-बुखार ,खांसी, सांस लेने में तकलीफ,उल्टी, नाक बहना,गले में खराश,निमोनिया, फेफड़ों में सूजन

पुष्टि के लिए कौन सी जांच- पांच तरह के टेस्ट- स्वॉव टेस्ट, नेजल एस्पिरेट, ट्रेशल एस्पिरेट , सप्टम टेस्ट और ब्लड टेस्ट

दवा- अभी कोई नहीं

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दोनों से बचाव का ऑप्शंस एक

जैसे-

- खंासी जुकाम, बुखार होने सावधान हो जाए। मुंह पर एन-95 या ट्रिपल लेयर मॉस्क बांधे,हाथ दिन में कई बार धोएं,

- बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न खाएं, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आईडीएच में फ्लू ओपीडी में दिखाएं

- अगर कोई संदिग्ध पेशेंट मिलता है तो उसे आईसोलेशन में रखे, बच्चे में इसके लक्षण दिखे तो उसे स्कूल न भेजे

- जो भी खाएं उसे ठीक से साफ करे, अच्छे से उबाले और अच्छे से पका कर ही खाएं

- जिन लोगों को खांसी, जुकाम या बुखार आ रहा है उनसे कम से कम 3 फीट दूर से बात करे।

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