-कानपुर पुलिस कमिश्नर ने दिया स्वाट टीम को दिया टारगेट, 10-10 पुलिसकर्मियों की तीन टीमें बनाई
-हर टीम में एक साइबर एक्सपर्ट, देश भर में कहीं से की गई हो वारदात, चेन ट्रेस कर शातिर को दबोचेगी
KANPUR : साइबर शातिरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। नए -नए हथकंडे अपनाकर ये शातिर लोगों के एकाउंट से उनकी गाढ़ी कमाई उड़ा रहे हैं। कमिश्नरेट पुलिस ने साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कसने के लिए कई बड़े स्टेप उठाए हैं। कई बड़े नेटवर्क को क्रैक कर ठगी गई करोड़ों की रकम पीडि़तों को वापस भी दिलाई है। लेकिन, शातिरों की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी। अब पुलिस कमिश्नर ने साइबर ठगी की वारदातों को कंट्रोल करने के साथ शातिरों की गिरफ्तारी का प्लान तैयार किया है। जिससे वो नए लोगों को अपना शिकार न बना सकें। इसके लिए स्वाट टीम को टारगेट दिया गया है। स्वॉट में तैनात 10-10 पुलिस कर्मियों की तीन टीमें बनाई गई हैं। हर टीम में 1-1 सब इंस्पेक्टर है, जो टीम को लीड करेगा। टीम वारदात की पूरी चेन को ट्रेस कर शातिरों के गिरेबां तक पहुंचेंगी और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाएगी।
क्राइम ब्रांच से िलया इनपुट
अब तक हुई साइबर ठगी की वारदातों में नोएडा, गाजियाबाद, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, जामताड़ा कटिहार और बिहार के ठगों का नेटवर्क सामने आया था। जसराज की गिरफ्तारी कर गाजियाबाद और नोएडा नेटवर्क क्रेक कर दिया गया। अब तक जिन खातों में रुपये ठगी करके रखे जाते थे, वहां रकम फ्रीज करा दी जाती थी। कुछ दिन बाद रकम वापस पीडि़त के खाते में आ जाती थी। ऐसे चार दर्जन से ज्यादा मामलों की जानकारी स्वाट टीम ने क्राइम ब्रांच से कलेक्ट कर ली है। जिसके आधार पर टीमें राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल की ओर रवाना हो गई हैं। जिन जिलों में साइबर शातिरों की मंडली है। उन जिलों के पुलिस अधिकारियों से बात कर ली गई है। टीम में एक-एक साइबर एक्सपर्ट भी शामिल जो लगातार शातिरों की लोकेशन पर नजर रखकर स्वॉट टीम के लड़ाकों की मदद करेगी।
--------------------------
(नोट ::: अलग से बॉक्स लगा दें)
प्रिएक्टिविटी की ट्रेनिंग
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि हर थाने में एक-एक साइबर सारथी रखने की योजना है। इनको साइबर शातिरों की प्रिएक्टिविटी की ट्रेनिंग दी जा रही है। जिससे वारदात से पहले ये साइबर शातिरों की हरकतों को रोक सकें। दरअसल जिस आईपी एड्रेस से साइबर शातिर वारदातों को अंजाम देते हैं। उन एड्रेस पर लगातार थानों में मौजूद ये साइबर सारथी नजर रखेंगे और वारदात से पहले ही इनके सिस्टम को फ्रीज कर देंगे। जिससे वारदात तो रुकेगी ही, शातिर भी पुलिस की नजर में आ जाएंगे। पुलिस के सर्वर पर कई ऐसे आईपी एड्रेस हैं जिनसे ठगी की वारदात की जा रही है। आईपी एड्रेस की मदद से शातिरों को तलाशने में आसानी होगी।
बीटेक, एमसीए पास सिपाही
पुलिस कमिश्नरेट बनने से पहले क्राइम ब्रांच में जहां केवल छह सिपाही तैनात थे वहीं अब 17 एक्सपर्ट सिपाहियों को लगाया है। इनमें ज्यादातर बीटेक, एमसीए या बीसीए पास हैं। ये जवान फेक आइडी होने के बावजूद आईपी एड्रेस व सíवलांस की मदद से अपराधी का सुराग लगा रहे हैं। हाल ही में नाइजीरियन गैंग का पर्दाफाश इन्हीं सिपाहियों ने किया था।
साइबर प्रयोगशाला भी बनाने की तैयारी
शहर में रेंज की साइबर लैब बनाने की तैयारी हो रही है। अधिकारियों ने इसके लिए प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र से वार्ता की है। प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इस लैब के बनने के बाद उन तमाम इलेक्ट्रानिक उपकरणों की जांच भी आसानी से हो सकेगी, जिनके लिए अभी लखनऊ या अन्य प्रयोगशालाओं पर निर्भर होना पड़ता है।
7 गिरोहों का हुअा पर्दाफाश
बीते छह महीने में साइबर टीम ने शातिर ठगों के सात गिरोहों का पर्दाफाश किया और दो दर्जन अपराधियों को जेल भेजा। इस साल करीब 50 अन्य ठगों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। पुलिस कमिश्नर ने हर थाने में साइबर सारथी की तैनाती की है, जो शिकायत आते ही तुरंत संबंधित बैंक व कंपनियों से संपर्क कर खातों को फ्रीज कराते हैं। इस साल करीब 300 लोगों के खातों से निकले 1.33 करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं। 40 अन्य पीडि़तों के खातों की रकम अपराधियों के खातों में होल्ड है, जिसे वापस दिलाने की कोशिश की जा रही है। पिछले वर्ष से लेकर अब तक 180 मामलों में पुलिस ने अपराधियों को चिह्नति करके कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।
साइबर अपराध (कानपुर में)
वर्ष-मुकदमे
2019- 4,341
2020- 6,772
2021- 2,014
बढ़तीं शिकायतें
एनसीसीआरपी के जरिये साइबर क्राइम की 54,100 से अधिक शिकायतें आई हैं। 564 में मुकदमे रजिस्टर्ड किए गए और 16720 शिकायतों में अभी जांच चल रही है। पोर्टल के जरिये साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड की साल 2020 में 17,261 शिकायतें आई, जबकि इस वर्ष अब तक 24,071 शिकायतें आ चुकी हैं।
इन तरीकों से शातिर ने की है ठगी
- खाता बंद होने का झांसा देकर।
- एटीएम कार्ड एक्सपायर होने
- ओटीपी की जानकारी करके।
- लिंक भेजकर क्लिक कराकर।
- कोई एप डाउनलोड कराकर।
- रजिस्ट्रेशन के नाम पर जानकारी लेकर।
- कंपनियों के टोल फ्री नंबर हैक करके।
- ई मेल स्पूफिंग करके।
- ऑफिसर्स के नंबर स्पूफ करके।
- मार्केटिंग कंपनियों से डाटा प्राप्त करके।
- बैंक अधिकारी बताकर जानकारी लेकर
-ईनाम या लॉटरी का लालच देकर
-----------------------
साइबर शातिरों की अरेस्टिंग के लिए तीन टीमें बनाई गई हैं। जिन्हें जरूरी निर्देश देकर दूसरे जिलों में रवाना किया जाएगा। शातिरों की अरेस्टिंग से आधे से ज्यादा वारदातों पर अंकुश लगेगी।
असीम अरुण, सीपी कानपुर