कानपुर (ब्यूरो)। लंबी खींचतान के बाद आखिर बीजेपी ने नामांकन की आखिरी तारीख के 24 घंटे पहले सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पार्टी ने फिर से सुरेश अवस्थी पर भरोसा जताया है। 2017 में भी सुरेश अवस्थी ने इसी सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन हार मिली थी। 2022 में सलिल विश्नोई और सुरेश अवस्थी की सीटें आपस में बदल दी गई थीं और वह आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। हालांकि दोनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। अब वह तीसरी बार मैदान में हैं। फ्राईडे को वह नामांकन दाखिल करेंगे।
डीएवी कालेज में छात्र संघ की राजनीति से अपना राजनीतिक करियर बढ़ाने वाले सुरेश अवस्थी भाजपा की जिला कमेटी में भी रहे। इसके बाद वह क्षेत्र में महामंत्री भी रहे। उन्हें परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी भी दी गई। इसके बाद 2017 में उन्हें सीसामऊ विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया गया। वह उन्हें 67,204 वोट मिले थे लेकिन सपा के इरफान सोलंकी ने उन्हें 5,826 वोटों से हरा दिया। 2022 में आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र में उन्हें 68,973 वोट मिले लेकिन यहां वह सपा के अमिताभ बाजपेई से 7,924 वोटों से हार गए। पार्टी नेताओं के मुताबिक पिछले दो चुनाव के करीबी संघर्ष को देखते हुए उन्हें फिर से टिकट दी गई है।
थर्सडे को नामांकन प्रक्रिया के छठे दिन तक भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा को रोके रखा। इस दौरान जहां वेडनेसडे को राकेश सोनकर ने नामांकन पत्र खरीद कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात तक कर ली, वहीं थर्सडे को सुबह पहले नीतू ङ्क्षसह का नाम तेजी से चर्चा में आया। इसके बाद दोपहर होते-होते उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद स्व। श्याम बिहारी मिश्रा के बेटे मुकुंद मिश्रा का नाम भी चला लेकिन घोषणा सुरेश अवस्थी की हुई। पार्टी नेताओं का मानना है कि राकेश सोनकर ने जिस तरह से नामांकन फार्म खरीदे और उसके बाद भी उन्हें टिकट नहीं मिला, उससे भाजपा दलितों को जोडऩ़े के जिस तरह के प्रयास कर रही थी। उसे झटका लगने की पूरी आशंका है। पार्टी में भी इस बार शुरू से ही यह चर्चा थी कि किसी दलित नेता को टिकट दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।