अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रियों को टिकट में मिलने वाली छूट के प्रावधान को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने कहा, ''हमारा मानना है कि इस (सब्सिडी देने की) नीति को खत्म करना ही ठीक होगा.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीर्थ स्थानों पर जाने वाले लोगों को इस तरह की सब्सिडी देना अल्पसंख्यकों को लुभाने के समान है।
हालांकि कोर्ट ने हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने के लिए 10 साल की समयसीमा तय की है और कहा है कि इस समयवधि में इसे धीरे-धीरे खत्म किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने हज यात्रा पर मुफ्त जाने वाले सरकारी अधिकारियों की संख्या में कटौती करते हुए दो कर दिया है।
सरकार के दावे
लगभग दो सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया था जिसमें बताया गया था कि उसने सरकारी सब्सिडी 'पांच साल में एक बार' की बजाय 'जिंदगी में एक बार' देने का फैसला किया है। सरकार ने कहा था कि यह बदलाव पहली बार किया गया है ताकि उन लोगों को फायदा मिल सके जो कभी हज पर नहीं गए हैं।
सरकार ने यह भी कहा था कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी और साथ ही उन्हें भी जो तीन बार सब्सिडी का आवेदन करने के बावजूद सब्सिडी नहीं ले पाए।
हालांकि सरकार ने साल 2012 में कुल सब्सिडी की रकम की जानकारी नहीं दी थी। उसका कहना था कि सही आंकड़ा तभी मिल पाएगा जब यह लोग हज यात्रा से वापस आएंगे।
वीआईपी कोटा
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटा हमेशा नहीं रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि हज कोटा 1967 में एक सद्भावना के तौर पर शुरू हुआ था और इसे हमेशा जारी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात हज टूर ऑपरेटर्स की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही थी।
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