- नेचुरल ऑक्सीजन चैंबर बनाएगा नगर निगम, शहर में 4 स्थानों पर लगाए जाएंगे 1.30 लाख पौधे, सर्वे पूरा
-ऑक्सीजन प्रॉड्यूस और पॉल्यूशन सोखने वाले होंगे पौधे, बीच शहर में होगा प्लांटेशन जून में होगा शुरू
KANPUR: शहर की बेहद प्रदूषित आबोहवा और गिरते ऑक्सीजन लेवल से फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। ग्रीन कवर को बढ़ाने के साथ ही अब नेचुरल ऑक्सीजन चैंबर नगर निगम बनाने जा रहा है। शहर के 4 स्थानों को चिन्हित किया गया है। यहां मियावाकी पद्धति से करीब 1.30 लाख पौधों को लगाया जाएगा। इस बार उन स्थानों का चिन्हित किया गया है। जो पॉल्यूशन के बड़े सोर्स हैं। बता दें कि बीते साल नगर निगम ने जापानी पद्धति से ट्री प्लांटेशन किया था। जिसके काफी अच्छे रिजल्ट भी आए। मॉनसून आने से पहले जून में प्लांटेशन का काम शुरू किया जाएगा।
क्षमता के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं
उद्यान अधीक्षक डा। वीके सिंह के मुताबिक कोरोना महामारी को देखते हुए ऑक्सीजन चैंबर बनाने में इस बार ऑक्सीजन ज्यादा प्रॉड्यूस करने वाले पौधे लगाए जाएंगे। कानपुर के एन्वायॅरमेंट में क्षमता के मुताबिक अब भी ऑक्सीजन लेवल कम है। बता दें कि बीते साल नगर निगम ने शहर के 4 स्थानों विजय नगर स्थित चिल्ड्रेन पार्क, श्नैश्चर मंदिर ग्रीन बेल्ट, जाना गांव और गोविंद नगर स्थित जोन 4 कैंपस की खाली पड़ी जमीन में मियावाकी पद्धति से ग्रीन जंगल तैयार किया था। इस पद्धति से पौधों की ग्रोथ काफी अच्छी है और ग्रीन कवर भी बढ़ रहा है।
2.09 परसेंट ग्रीन कवर
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के मुताबिक कानपुर में ग्रीन कवर 2.09 परसेंट है। जो पिछले सालों के मुकाबले न तो घटा है और न ही बढ़ा है। लेकिन अब ताजा रिपोर्ट आने के बाद इसके बढ़ने की उम्मीद है।
मियावाकी पद्धति की खासियतें
-30 गुना ज्यादा घना होता इस पद्धति से तैयार जंगल सामान्य के मुकाबले
- इस पद्धति से लगाए गए पौधे 10 गुना तेजी से तैयार होते हैं और 30 गुना ज्यादा घने होते हैं।
-300 साल में तैयार होता है पारंपरिक विधि से जंगल
-20 से 30 साल में ही जंगल तैयार हो जाता है मियावाकी पद्धति से
- लोकल एनवायॅरमेंट कंडीशन के आधार पर ही लगाए जाते हैं।
- इसमें प्रति वर्ग मीटर 3 से 5 पौधे लगाए जाते हैं।
- रोपे गए पौधों की लंबाई 60 से 80 सेमी तक होनी चाहिए।
- इंडस्ट्रियल एरिया में ग्रीन कवर बढ़ने से एयर पॉल्यूशन में कमी आएगी।
नगर निगम कराएगा स्टडी
बीते साल 4 स्थानों पर तैयार किए गए मियावाकी जंगल से कानपुर के एन्वॉयरमेंट क्या असर पड़ा है। इसको लेकर नगर निगम स्टडी कराने की तैयारी में है। इसके लिए यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, आईआईटी और फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को भी लेटर लिखा जाएगा। इसमें ये आंकलन किया जाएगा कि पहले और अब के मुकाबले ग्रीन कवर के साथ ही ऑक्सीजन लेवल और खतरनाक गैसेस में कमी आई है या नहीं। इस स्टडी के आधार पर ग्रीन कवर को और बढ़ावा दिया जाएगा।
जाना गांव में फलदार बाग
जाजमऊ स्थित जाना गांव में नगर निगम बड़े पैमाने पर जंगल तैयार कर चुका है। अब यहां फलदार बाग बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है.यहां आम, अमरूद, कटहल, आंवला, बेल, इमली जैसे फलदार पौधे लगाए जाएंगे। करीब 2 हेक्टेअर में बाग तैयार किया जाएगा।
इन एरियाज में प्लांटेशन
-इंडस्ट्रियल एरिया पनकी सरायमीता,
- रतन शुक्ल स्कूल के सामने किदवई नगर
- जाना गांव जाजमऊ, पालिका स्टेडियम
मियावाकी पद्धति की खासियत
ये पौधे लगाए जाएंगे
पारस, पीपल, जामुन, मौलश्री, अर्जुन पिलखन, शीशम, गोल्डमोहर कैजुरिनाए सुखचैन, गूलर, अशोक, फाइकस, टिकोमा, चंपा, बॉटल ब्रश, जैट्रोफा, बांस कनेर आडू, नासपाती, शहतूत, मेहंदी तुलसी
मियावाकी पद्धति के रिजल्ट अच्छे हैं
इस बार भी शहर में 4 स्थानों को चिन्हित कर वहां भी बड़े पैमाने पर प्लांटेशन किया जाएगा.जाना गांव में फलदार पौधे लगाने पर विचार किया जा रहा है।
- अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त