- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़ी तो नहीं बची है स्टूडेंट्स के लिए जगह
- एमबीबीएस के 250 स्टूडेंट्स आए, नए हॉस्टल बनाए बिना ही बढ़ा दी 50 सीटें
नंबर गेम
- 150-150 बेड की क्षमता के दो हॉस्टलों के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं
- 10 हॉस्टल हैं जिनकी कुल क्षमता 1085 बेड की है, 100 बेड का एक हॉस्टल भी शामिल हैं
<- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़ी तो नहीं बची है स्टूडेंट्स के लिए जगह
- एमबीबीएस के ख्भ्0 स्टूडेंट्स आए, नए हॉस्टल बनाए बिना ही बढ़ा दी भ्0 सीटें
नंबर गेम
- क्भ्0-क्भ्0 बेड की क्षमता के दो हॉस्टलों के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं
- क्0 हॉस्टल हैं जिनकी कुल क्षमता क्08भ् बेड की है, क्00 बेड का एक हॉस्टल भी शामिल हैं
KANPUR: kanpur@inext.co.in
KANPUR: यूपी के सबसे बड़े गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का दर्जा रखने वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में अब स्टूडेंट्स के रहने के लिए जगह कम पड़ने लगी है। इस बार एमबीबीएस का सेशन शुरू हुआ तो बढ़ी हुई सीटों के हिसाब से कुल 250 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया, लेकिन इन स्टूडेंट्स के रहने के लिए अब हॉस्टलों में जगह नहीं बची है। हॉस्टल की ज्यादा समस्या गर्ल्स के लिए है। क्योंकि इस बार रिकार्ड गर्ल्स ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। जबकि गर्ल्स हॉस्टल की क्षमता सीमित है। गर्ल्स स्टूडेंट्स को एकोमोडेट करने में सबसे ज्यादा दिक्कत फेस करनी पड़ रही है।
हॉस्टल ओवर क्राउडेड
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में यूजी और पीजी स्टूडेंट्स के लिए कुल मिला कर 10 हॉस्टल हैं। जिनकी कुल क्षमता 1085 बेड की है। इसमें समाज कल्याण विभाग का 100 बेड का एक हॉस्टल भी शामिल हैं। जिसमें फिलहाल कुछ स्टूडेंट्स को रोका गया है। अंडर ग्रेजुएट और पीजी स्टूडेंट्स को मिला दे तो अभी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 1300 से ज्यादा मेडिकोज हैं। कुछ स्टूडेंट्स मजबूरी में बाहर किराए के कमरे या फ्लैट में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा जो हॉस्टल हैं भी उसमें से कई बेहद जर्जर हालत में होने की वजह से पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं हो पा रहे हैं।
दो नए हॉस्टलों का प्रस्ताव
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आरबी कमल ने जानकारी दी कि मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स की बढ़ी संख्या को देखते हुए उन्हें हॉस्टल उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है। ऐसे में 150-150 बेड की क्षमता के दो हॉस्टलों के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं। एक हॉस्टल गर्ल्स के लिए होगा और एक हॉस्टल ब्वॉयज स्टूडेंट्स के लिए होगा।
फर्स्ट ईयर पर कड़ा पहरा
एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को रैगिंग से बचाने के लिए उनके हॉस्टलों में कड़ा पहरा बैठाया गया है। किसी भी सीनियर स्टूडेंट्स को उनके हॉस्टल में जाने की या उनके बातचीत करने की अनुमति नहीं है। फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स को हॉस्टल से क्लॉस तक भी हॉस्टल वार्डन की निगरानी में लाया जा रहा है। इसके अलावा दिन और रात मिला कर वार्डन कई बार हॉस्टलों का राउंड ले रहे हैं। जिससे नए स्टूडेंट्स रैगिंग के शिकार न हो जाए। यही अहतियात फर्स्ट ईयर गर्ल्स स्टूडेंट्स के साथ भी बरती जा रही है।
कितने हॉस्टल कितने बेड?
यूजी ब्वॉयज हॉस्टल-1,2,3,4,5
कुल कैपेसिटी- 563 बेड
पीजी ब्वॉयज हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-126 बेड
न्यू रेजीडेंट्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-69 बेड
यूजी गर्ल्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-119 बेड
पीजी गर्ल्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी- 96 बेड
फार्मेसी हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी -12 बेड
समाज कल्याण हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी- 100 बेड
कुल बेड- 1085
कुल स्टूडेंट्स- 1325
2021 बैच में आए यूजी स्टूडेंट्स
144- ब्वॉयज
106- गर्ल्स
एमबीबीएस की कुल सीटें- 250
पीजी की कुल सीटें- 105<यूपी के सबसे बड़े गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का दर्जा रखने वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में अब स्टूडेंट्स के रहने के लिए जगह कम पड़ने लगी है। इस बार एमबीबीएस का सेशन शुरू हुआ तो बढ़ी हुई सीटों के हिसाब से कुल ख्भ्0 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया, लेकिन इन स्टूडेंट्स के रहने के लिए अब हॉस्टलों में जगह नहीं बची है। हॉस्टल की ज्यादा समस्या गर्ल्स के लिए है। क्योंकि इस बार रिकार्ड गर्ल्स ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। जबकि गर्ल्स हॉस्टल की क्षमता सीमित है। गर्ल्स स्टूडेंट्स को एकोमोडेट करने में सबसे ज्यादा दिक्कत फेस करनी पड़ रही है।
हॉस्टल ओवर क्राउडेड
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में यूजी और पीजी स्टूडेंट्स के लिए कुल मिला कर क्0 हॉस्टल हैं। जिनकी कुल क्षमता क्08भ् बेड की है। इसमें समाज कल्याण विभाग का क्00 बेड का एक हॉस्टल भी शामिल हैं। जिसमें फिलहाल कुछ स्टूडेंट्स को रोका गया है। अंडर ग्रेजुएट और पीजी स्टूडेंट्स को मिला दे तो अभी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में क्फ्00 से ज्यादा मेडिकोज हैं। कुछ स्टूडेंट्स मजबूरी में बाहर किराए के कमरे या फ्लैट में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा जो हॉस्टल हैं भी उसमें से कई बेहद जर्जर हालत में होने की वजह से पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं हो पा रहे हैं।
दो नए हॉस्टलों का प्रस्ताव
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आरबी कमल ने जानकारी दी कि मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स की बढ़ी संख्या को देखते हुए उन्हें हॉस्टल उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है। ऐसे में क्भ्0-क्भ्0 बेड की क्षमता के दो हॉस्टलों के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं। एक हॉस्टल गर्ल्स के लिए होगा और एक हॉस्टल ब्वॉयज स्टूडेंट्स के लिए होगा।
फर्स्ट ईयर पर कड़ा पहरा
एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को रैगिंग से बचाने के लिए उनके हॉस्टलों में कड़ा पहरा बैठाया गया है। किसी भी सीनियर स्टूडेंट्स को उनके हॉस्टल में जाने की या उनके बातचीत करने की अनुमति नहीं है। फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स को हॉस्टल से क्लॉस तक भी हॉस्टल वार्डन की निगरानी में लाया जा रहा है। इसके अलावा दिन और रात मिला कर वार्डन कई बार हॉस्टलों का राउंड ले रहे हैं। जिससे नए स्टूडेंट्स रैगिंग के शिकार न हो जाए। यही अहतियात फर्स्ट ईयर गर्ल्स स्टूडेंट्स के साथ भी बरती जा रही है।
कितने हॉस्टल कितने बेड?
यूजी ब्वॉयज हॉस्टल-क्,ख्,फ्,ब्,भ्
कुल कैपेसिटी- भ्म्फ् बेड
पीजी ब्वॉयज हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-क्ख्म् बेड
न्यू रेजीडेंट्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-म्9 बेड
यूजी गर्ल्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी-क्क्9 बेड
पीजी गर्ल्स हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी- 9म् बेड
फार्मेसी हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी -क्ख् बेड
समाज कल्याण हॉस्टल-
कुल कैपेसिटी- क्00 बेड
कुल बेड- क्08भ्
कुल स्टूडेंट्स- क्फ्ख्भ्
ख्0ख्क् बैच में आए यूजी स्टूडेंट्स
क्ब्ब्- ब्वॉयज
क्0म्- गर्ल्स
एमबीबीएस की कुल सीटें- ख्भ्0
पीजी की कुल सीटें- क्0भ्((डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेस मिला कर<डिग्री और डिप्लोमा कोर्सेस मिला कर)
)
फर्स्ट ईयर ब्वॉयज स्टूडेंट्स को बीएच-भ् हॉस्टल में और गर्ल्स को यूजी गर्ल्स हॉस्टल व समाज कल्याण हॉस्टल में रोका गया है। दो हॉस्टलों के निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेज रहे है।
-डॉ। आरबी कमल, प्रिंसिपल एंड डीन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज