कानपुर(ब्यूरो)। यूक्रेन में रूस का हमला लगातार जारी होने के बावजूद भारतीय छात्र-छात्राएं पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन लौटने लगे हैं। हालांकि, यूक्रेन में एयरपोर्ट बंद होने की वजह से उन्हें पड़ोसी देशों पोलैंड, रोमानिया व हंगरी के रास्ते जाना पड़ा है। युद्ध शुरू होने पर मार्च-अप्रैल में लौटे कानपुर के सभी मेडिकल छात्र वापस जा चुके हैं और अपने-अपने मेडिकल विश्वविद्यालयों में ऑफलाइन पढ़ाई भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर भारत सरकार ध्यान देती तो उन्हें वापस नहीं लौटना पड़ता और अपने ही देश में पढ़ाई जारी रख पाते।

पॉवर कट से परेशानी
मूलरूप से कन्नौज व कानपुर में आवास विकास कल्याणपुर निवासी ऋषि कुमार ने बताया कि वह लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस पांचवें वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। सितंबर में विश्वविद्यालय की ओर से ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी और सभी स्टूडेंट्स को वापस आने के लिए कहा गया। इसके चलते वह दिवाली से पहले 18 अक्टूबर को ही पोलैंड के रास्ते यूक्रेन पहुंचे। उनके साथ करीब 10 भारतीय छात्र थे। 15 नवंबर को रूसी सेना ने बिजली घरों पर मिसाइल हमले किए थे। इसमें पूरे लवीव की बिजली चली गई, किसी तरह सरकार ने उसे ठीक कराया, लेकिन अभी भी हर रोज पांच से आठ घंटे की बिजली कटौती हो रही है।


अभी कोई समस्या नहीं
अगर भारत सरकार ध्यान देती तो जान जोखिम में डालकर यूक्रेन नहीं आना पड़ता। टर्नोपिल मेडिकल विश्वविद्यालय की छात्रा मानसी शर्मा ने बताया कि वह अक्टूबर में वापस यूक्रेन आ गई थीं। उनके साथ राजस्थान, दिल्ली आदि राज्यों की 12 छात्राएं और आई हैं। ऑफलाइन कक्षाएं चल रही हैं। अभी कोई समस्या नहीं है। बाजार भी खुल रहे हैं। ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे नौबस्ता निवासी संकेत राजपूत ने बताया कि उनका कोर्स अगले वर्ष जून में पूरा होगा। भारत में प्रैक्टिकल न हो पाने के कारण सितंबर में यूक्रेन लौटना पड़ा। अभी हालात सामान्य हैं और नियमित रूप से कक्षाएं लग रही हैं, लेकिन आगे का कुछ पता नहीं। नौबस्ता के ही रहने वाले नवनीत ङ्क्षसह नवंबर में यूक्रेन लौट गए। वह बोकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर छात्र मालदोवा व रोमानिया के रास्ते यूक्रेन आ रहे हैं।


मार्च में आए थे शहर
यूक्रेन के विभिन्न मेडिकल विश्वविद्यालयों में करीब 20 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। इसी वर्ष फरवरी व मार्च में यूक्रेन में रूस का हमला होने के बाद ये विद्यार्थी वापस भारत लौटे थे। यहां आने के बाद उन्होंने कई बार आंदोलन व धरना प्रदर्शन किया, लेकिन देश के मेडिकल कालेजों में समायोजन की अनुमति नहीं मिली। अप्रैल से यूक्रेनी विश्वविद्यालयों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी गई, लेकिन प्रायोगिक प्रशिक्षण न मिलने और वहां के कई मेडिकल विश्वविद्यालयों में आफलाइन पढ़ाई शुरू होने के कारण सितंबर से ही विद्यार्थियों ने वापस लौटना शुरू कर दिया था।