कानपुर(ब्यूरो)। यूक्रेन पर रूस के हमले के 11 वें दिन भी मिशाइलों और जेट फाइटर की आवाजें गूंजरी रहीं। इस खौफनाक मंजर से निकलकर कई स्टूडेंट संडे को हजारों किलोमीटर दूर कानपुर स्थित अपने घर पहुंचे तो उनकी जान में जान आई। लगा कोई बड़ा युद्ध जीत लिया है। बच्चों के घर वापसी पर परिवारों में उत्सव मनाया जा रहा है। यूक्रेन के सबसे डेेंजर जोन खारकीव, कीव और डेनिप्रो में वार की वजह से फंसीं शहर की चार बेटियां अपने परिवार वालों के पास पहुंच गई हैैं। एयरपोर्ट पर परिवार वालों से मिलीं तो आंखें खुशी के आंसुओं से नम हो गईं। वहीं परिवार वालों की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था।

यूक्रेनियंस नहीं चढऩे दे रहे थे ट्रेन में

कल्याणपुर के आवास विकास निवासी अमरेंद्र यादव की बेटी सृष्टि डेनिप्रो स्टेट मेडिकल यूनीवर्सिटी में फस्र्ट इयर की स्टूडेंट हैैं। सृष्टि ने बताया कि वार की आहट मिलते ही उन्होंने यूनीवर्सिटी मैनेजमेंट से घर जाने की बात की थी लेकिन मैनेजमेंट ने इसे पॉलिटिकल मामला बताया। 24 फरवरी की सुबह जब धमाके होने लगे तो दिल बैठने लगा। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें। पूरा दिन दहशत में कटा। रात को बंकर में चले गए। सृष्टि ने बताया कि ट्रेनों में यूक्रेनियंस इंडियंस को नहीं चढऩे दे रहे थे। हालात बिगडऩे पर 1 मार्च को रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले। 4 मार्च को बार्डर से एयरपोर्ट ले जाया गया और एयर एशिया की फ्लाइट से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। यहां पापा को देखकर लगा कि मानों सब मिल गया हो।

एंबेसी से नहीं मिल रही थी हेल्प

चकेरी के सुभाष नगर निवासी एन के शुक्ला की बेटी आकांक्षा कीव के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस का फोर्थ इयर की स्टूडेंट हैं। संडे दोपहर साढ़े ग्यारह बजे आकांक्षा दिल्ली पहुंचीं। जहां पहले से मौजूद पिता और पूरे परिवार ने उन्हें रिसीव किया। इतनी मुसीबतों के बीच निकल कर बेटी सुरक्षित आ गई। इकसे लिए भगवान का शुक्रिया अदा करने को पूरा परिवार बांके बिहारी के दर्शन के लिए गया है। आकांक्षा ने बताया कि चारों तरफ धमाके हो रहे थे। सारे बैैंक बंद हो गए थे। जिसे देखा सामना बटोरकर निकलने की तैयारी कर रहा था लेकिन हमें एम्बेसी से कोई हेल्प नहीं मिल रही थी। बड़ी मुश्किल से वापस आए हैं।

हर तरफ मंडरा रहा था खतरा

किदवई नगर निवासी एलआईसी में मैनेजर नरेंद्र कुमार गुप्ता की बेटी प्रशस्ति गुप्ता एमबीबीएस थर्ड इयर की स्टूडेंट हैैं। नरेंद्र कुमार ने बताया कि बेटी मुंबई पहुंचने के बाद फ्लाइट से लखनऊ के लिए रवाना हो चुकी है। प्रशस्ति ने बताया कि 24 फरवरी को रूस के हमले के बाद हर तरफ दहशत ही दहशत दिखाई दे रही थी। कीव की सडक़ों पर सन्नाटा हो गया था। आसमान में केवल धुआं और लड़ाकू हवाई जहाज दिखाई दे रहे थे। बड़ी मुश्किलों के बाद किसी तरह वहां से निकल सके। हर कदम पर जान का खतरा मंडरा रहा था।

धमाकों से हिली बिल्डिंग तो खुली नींद

24 फरवरी को सुबह चार बजे जोरदार धमाका और पूरी बिङ्क्षल्डग हिल गई। हम लोग गहरी नींद से जागे, लेकिन बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हुई। तुरंत इंडियन एंबेसी के हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया। उन्होंने कहा कि सारी उड़ाने बंद हैं। आप अपने घर, हास्टल, फ्लैट जहां भी हैं, वहीं रहिये और बाहर मत निकलिए। रूस व यूक्रेन के बीच तनाव बढऩे की सूचना तो हमें पहले से थी, लेकिन हम बुरी तरह फंस जाएंगे, ऐसा नहीं सोचा था। ये बात यूक्रेन की वीएम कराजिन खारकीव नेशनल यूनिवर्सिटी के मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही फजलगंज की छात्रा जेनसी ने दी। वे सकुशल इंडिया वापस आ गई हैं और दिल्ली से भाई के साथ कानपुर के लिए रवाना हुई हैं।