- हैलट में भर्ती ब्लैक फंगस के पेशेंट का पहले हैलट में बिना जांच के ही किया जाता रहा कोरोना का इलाज
-अब ब्लैक फंगस से पीडि़त हुआ तो इलाज में लगने वाले इंजेक्शन के लिए मांगी जा रही पॉजिटिव रिपोर्ट
KANPUR : ब्लैक फंगस के इलाज के लिए शासन ने 100 इंजेक्शन हैलट भेज तो दिए, लेकिन उसे लगाने के लिए जो नियम बनाए और वह मरीज और तीमारदारों के लिए फांस बन गए हैं। इसी फांस से हैलट में कोरोना के इलाज में एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। नेहरू नगर निवासी ब्लैक फंगस से पीडि़त जो मरीज बीते दिनों कोरोना का इलाज कराने हैलट में भर्ती हुआ। वह 3 मई से 8 मई तक हैलट के वार्ड-2 में भर्ती होकर कोरोना का इलाज कराता रहा। आरोप है कि इस दौरान उनकी कोरोना की कोई जांच नहीं कराई गई। जब उसे डिस्चार्ज किया गया तो सादे कागज पर दवाएं लिख कर घर भेज दिया गया। अब जब उसे ब्लैक फंगस का इंफेक्शन हुआ है तो उसके इलाज में जरूरी इंजेक्शन मिलने में शासन के नियम रोड़ा बन गए हैं। फ्री इंजेक्शन के लिए मरीज की एक कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट भी लगती है।
कमिश्नर से की शिकायत
थर्सडे को हैलट अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे कमिश्नर डॉ। राज शेखर से पेशेंट की पत्नी ने इस परेशानी को लेकर लिखित शिकायत की। साथ ही उसके पति के इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन फ्री मुहैया कराने की मांग की। कमिश्नर ने भी इसे लेकर जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
फ्री इंजेक्शन मिलने में क्या परेशानी
दरअसल, शासन ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए 100 इंजेक्शन की व्यवस्था तो हैलट के लिए कर दी है, लेकिन मरीजों पर उसके इस्तेमाल के लिए कागजी कार्रवाई भी जरूरी बताई गई है। फ्री इंजेक्शन के लिए ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीज के आधार कार्ड की कापी, जब उसकी पहली कोरोना संक्रमण की जांच हुई जिसमें वह पॉजिटिव आया था उसकी रिपोर्ट, ब्लैक फंगस की पुष्टि की जांच रिपोर्ट की कापी लगाना जरूरी है। इसी कागजी कार्रवाई की वजह से पेशेंट को इंजेक्शन आने के बाद भी दो दिन से नहीं लग पा रहे हैं।
ब्लैक फंगस के इलाज के लिए 100 इंजेक्शन मिले हैं
फ्री इंजेक्शन के लिए पीडि़त मरीज के आधार कार्ड की कापी
पूर्व में कोरोना संक्रमण की जांच में पॉजिटिव होने की रिपोर्ट
ब्लैक फंगस की पुष्टि की जांच रिपोर्ट की कापी लगाना जरूरी