कानपुर(ब्यूरो)। डार्क वेब, स्काइप के जरिये अमेरिका में प्रतिबंधित नशीली दवाओं की बड़े पैमाने पर तस्करी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार कर एसटीएफ ने लखनऊ में शनिवार को बड़ा खुलासा किया था। इन तीनों से मिले इनपुट के बाद लखनऊ एसटीएफ की टीम ने शनिवार शाम कानपुर के बिरहाना रोड स्थित दवा के थोक कारोबारियों के यहां छापेमारी की। टीम के साथ मौजूद टेक्निकल विंग के जवानों ने इनके लैपटॉप का डाटा अपने कब्जे में लिया है। दरअसल लखनऊ से पकड़े गए फैजी के लैपटॉप में कानपुर के दवा कारोबारियों का कनेक्शन सामने आया है। एसटीएफ का अनुमान है कि कानपुर के कुछ दवा कारोबारी लखनऊ के दवा कारोबारियों की तरह बिटक्वाइन, पेमेंट गेटवे और हवाला के माध्यम से काली कमाई में जुटे थे।
मास्टरमाइंड का कई जिलों में नेटवर्क
एसटीएफ के प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम ङ्क्षसह के अनुसार गिरोह के मास्टरमाइंड लखनऊ के कैंट क्षेत्र निवासी यासिर जमील खान उर्फ फैजी, सआदतगंज निवासी हमजा और इनामुल हक उर्फ इनाम को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 2,22,580 ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट, 17,080 लाईपिन-10 जोल्पीडेम टैबलेट, 6.57 लाख रुपये नकद, 10 मोबाइल फोन, दो लैपटाप व अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। आरोपियों के मोबाइल व लैपटॉप से अमेरिका के लगभग 45 हजार लोगों का डाटा मिला है, जिन्हें डार्कवेब के जरिये प्रतिबंधित नशीली दवाओं की सप्लाई की गई है। गिरोह के इन्हीं सदस्यों से कड़ाई से पूछताछ में कानपुर का कनेक्शन सामने आया है।
अमेरिका में मिलता 20 गुना दाम
पूछताछ में यासिर ने बताया कि हमजा व इनामुल उसकी दो सालों से मित्रता है। वे तीनों मिलकर डार्क वेब, स्काइप के माध्यम से प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई अमेरिका में करते थे। उनके गैैंग के लोग कानपुर में भी एक्टिव हैैं। पुलिस और दूसरे विभागों की सख्ती होने पर वे कानपुर और यूपी के दूसरे जिलों से काम जारी रखते हैैं। वे जिन प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई करते थे, उनका एक पत्ता भारत में 30 से 40 रुपये में मिलता है, जिसकी सप्लाई अमेरिका में 600 से 700 रुपये प्रति पत्ते की दर से की जाती थी। अमेरिका से मिलने वाले आर्डर पर गिरोह एक कूरियर कंपनी के जरिए प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई करते थे। इस कूरियर का ऑफिस लालबंगले में है।
कानपुर के कुछ लोग राडार पर
आरोपियों ने अमेरिका में 150 बार से अधिक प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई किए जाने की बात भी स्वीकारी है। जिसमें 50 बार दवाओं की आपूर्ति कानपुर से की गई है। एसटीएफ अब दवा विक्रेताओं समेत गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की भी छानबीन कर रही है। एसएसपी के मुताबिक जल्द ही कानपुर के कुछ लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी। बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण भी कराया जा रहा है।
हवाला के जरिए आता पैसा
गिरोह के सदस्यों के बैंक खातों में लगभग 20 लाख रुपये जमा होने की जानकारी भी सामने आई है। वहीं ट्रांजेक्शन चेक होने पर कानपुर के खातों में हवाला के जरिए 20 लाख रुपये आने की बात सामने आई है।
बदल दिए जाते थे रैपर
एसटीएफ के मुताबिक तस्कर प्रतिबंधित दवाओं के पत्तों पर प्लास्टिक के कूटरचित रैपर चस्पा किए जाते थे। कूटरचित रैपर हर्बल विला इम्युनिटी बूस्टर, इनहांसेस बाडी इम्युनिटी जनरल टानिक व अन्य नामों के होते थे। आरोपियों का कहना है कि हर्बल उत्पादों के रैपर लगाने से चेङ्क्षकग में उनके पकड़े जाने का खतरा कम हो जाता था। साथ ही हर्बल दवाओं के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं थी। गिरोह डार्क वेब पर ग्राहक से रेट तय हो जाने पर उनका पता नोट कर लेता था, जिसके बाद पता व डिमांड यासिर को वाट््सएप के माध्यम से भेजी जाती थी। यासिर संबंधित पते पर प्रतिबंधित दवाएं सप्लाई कर उस कूरियर की ट्रैङ्क्षकग आईडी अपने दोनों साथियों को देता था। ग्राहक से भुगतान होने के बाद उसका डाटा डिलीट कर दिया जाता था।
&& लखनऊ से मिले इनपुट के आधार पर कानपुर में कुछ कारोबारियों की तलाश की जा रही है। सफलता मिलने पर जानकारी दी जाएगी.&य&य
विशाल विक्रम सिंह, एसएसपी एसटीएफ