- एसटीएफ ने रामादेवी पर ट्रक से एक कंटेनर में बरामद किए 1324 संरक्षित कछुए, दो गिरफ्तार
- तस्करी कर कोलकाता भेजे जा रहे थे, यहां से बांग्लादेश के रास्ते चीन और हांगकांग पहुंचाए जाते
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KANPUR : एसटीएफ की कानपुर यूनिट ने तस्करी कर कोलकाता ले जाए जा रहे 1324 कछुए बरामद कर दो लोगों को अरेस्ट किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत करीब 25 लाख रुपये आंकी जा रही है। पूछताछ में गैंग के चार मुख्य लोगों की जानकारी एसटीएफ को मिली है, जिनकी तलाश की जा रही है।
रामादेवी फ्लाईओवर पर की घेराबंदी
एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह ने बताया कि मुखबिर से मिली टिप पर रामादेवी फ्लाईओवर से गुजर रहे एक कंटेनर को रोककर तलाशी ली गई। जिसमें एक कंटेनर में कछुए भरे मिले। पुलिस ने मैनपुरी निवासी विनोद कुमार सविता और ड्राइवर रामबेश यादव को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सामने आया है कि इटावा निवासी देवेंद्र सिंह सीटू, फिरोजाबाद का गजेंद्र, मैनपुरी का अशोक, कुरावली निवासी धमेंद्र और औरैया के राजकुमार इटावा, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद और औरैया के शिकारियों से कछुए एकत्र करते थे। इसके बाद कंटेनर में लादकर कछुओं को कोलकाता भेज दिया जाता था।
1.60 लाख मिलता है भाड़ा
पूछताछ में दोनों ने बताया कि उन्हें प्रति चक्कर 1.60 लाख रुपये भाड़ा मिलता था। वह कछुओं को लेकर कोलकाता जा रहे थे। यहां से कछ़ुओं की खेप बांग्लादेश के रास्ते चीन, हांगकांग व थाईलैंड भेजी जाती है। एसटीएफ इंस्पेक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए कछुए सुंदरी प्रजाति के हैं, जो भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित हैं। एसटीएफ की टीम में राम दयाल, पुष्पेंद्र सोलंकी, देवेश, धीरेंद्र व शिव कुमार आदि शामिल थे।
ये हटा सकते हैं
पंचनंदा और चंबल सेंचुरी सबसे बड़ा ठिकाना
कछुआ तस्करी के लिए सबसे बड़ा ठिकाना पंचनंदा व चंबल सेंचुरी है। इटावा में यमुना, चंबल, क्वारी, ¨सधु और पहुज पांच नदियों का संगम है। इसके अलावा सरकार ने वर्ष 1979 में चंबल नदी के लगभग 425 किमी फैले तट से सटे क्षेत्रों को राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य घोषित किया था। यह क्षेत्र लगभग 635 वर्ग किमी का है, जो कि इटावा, आगरा के अलावा मध्य प्रदेश व राजस्थान तक फैला है। इसका मकसद कछुओं व घडि़यालों का संरक्षण है। इटावा परिक्षेत्र की नदियों व तालाबों में कछुओं की लगभग 55 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें साल, सुंदरी, चिकना, बाजठोंठी, चितना, छतनहिया, रामानंदी आदि प्रमुख हैं।
सेक्सवर्धक दवाओं के लिए यूज
कछुओं की तस्करी मुख्य रूप से सेक्सवर्धक दवाओं के लिए होती है। कछुओं के चिप्स तीन हजार रुपए किलो में बिकते हैं। स्थानीय बाजार में कछुआ सौ रुपये से लेकर तीन से पांच हजार रुपये में मिलता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक हजार रुपये किलो के हिसाब से बेचा जाता है।