दूसरा यान इस कक्ष में रविवार को घुसने की कोशिश करेगा। ग्रेल-ए नाम के इस अंतरिक्ष यान के मुख्य इंजन को शनिवार को चालू किया गया जिसके बाद वो चाँद के इर्द गिर्द परिक्रमा करने के लिए अंडानुमा अंतरिक्ष पथ पर स्थापित हो पाया। दूसरा अंतरिक्ष यान ग्रेल-बी चाँद के अंतरिक्ष कक्ष के इसी रास्ते पर पहुँचने के लिए रविवार को कोशिश करेगा।
ये दोनो उपग्रह चाँद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएंगे जो अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चाँद की संरचना के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद करेंगी।
उम्मीद की जा रही है कि ये जानकारियों चांद के बारे में कई सवालों के जवाब दे पाएंगे जैसे कि चंद्रमा के दूर और पास का हिस्सा अलग तरह का क्यों दिखता है?
"लक्ष्य के क़रीब"
प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर मारिया ज़ुबैर को कुछ चौकाने वाली जानकारियों की उम्मीद है। मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में शोधकर्ता के तौर पर कार्यरत डॉक्टर मारिया ज़ुबैर कहते हैं, ''नए साल के लिए मैने संकल्प लिया है कि चांद के रहस्यों के बारे में जानकारियां जुटाउंगी और पता लगाउंगी कि चाँद, पृथ्वी और दूसरे ग्रहों की उत्पत्ति कैसे हुई.''
डॉक्टर मारिया ज़ुबैर ने कहा, ''ग्रेल-ए के अंतरिक्ष कक्ष में स्थापित होने के बाद हम अपने लक्ष्य के और क़रीब पहुँच गए है.'' इन दोनों उपग्रहों को फ़्लोरिडा के केप कैनावेरल से पिछले साल सितंबर में प्रक्षेपित किया गया था। ग्रेल उपग्रह चाँद के सतहों की गहराई के बारे में जानकारी एकत्रित करके एक चित्र बनाएगा।
चंद्रमा के सतहों की गहराई में बदलाव का कारण इसकी संरचना और पथरीले चट्टानों का बेतरतीब गठन हो सकता है। इस संरचना के गुरूत्वाकर्षण का असर चाँद के ऊपर उड़ रहे अंतरिक्ष यान पर भी पड़ेगा। ग्रेल उपग्रह चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए जानकारियां इकठ्ठा करेंगे।
"खुरदुरी है चांद की सतह"
इन दोनों में से एक ग्रेल उपग्रह जब चाँद की पथरीली सतहो पर से गुज़रेगा तब गुरत्वाकर्षण में भी कुछ बदलाव होंगे। दूसरा उपग्रह उससे क़रीब 100-200 किलोमीटर की दूरी बनाए रखेगा और किसी भी तरह के बदलाव को रिकार्ड करता रहेगा।
चांद के गुरूत्वाकर्षण का मानचित्र तैयार होने के बाद, इसे उसकी संरचना से जुड़ी बाक़ी जानकारियों के साथ रखकर उसे वृहत रूप देने की कोशिश की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि इससे वैज्ञानिक चांद की आंतरिक संरचना के बारे में पता लगा पाएंगे।
डॉक्टर ज़ुबैर ने कहा, ''हमें लगता है कि पृथ्वी से मंगल ग्रह के आकार की एक चीज़ के टकराने से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। हालांकि हमें इस बारे में बहुत कम पता है कि ये सब कैसे हुआ और इस टक्कर के बाद चांद कैसे ठंडा हुआ.''
डॉक्टर मारिया ज़ुबैर के मुताबिक़ ये अभी तक विज्ञान की समझ से परे है कि चांद का एक छोर दूसरे के मुक़ाबले ज़्यादा खुरदुरा क्यों दिखता है।
"सतह पर नही जवाब"
उन्होंने कहा, ''हमने चांद के बाहरी सतह पर कई शोध किए हैं, लगता है कि हमारे सवाल का जवाब चांद के सतह पर नही बल्कि अंदर है.''
ग्रेल उपग्रहों के मानचित्र बनाने की प्रक्रिया 82 दिनों तक, यानि कि जून तक चलेगी। इसी के बाद चांद पृथ्वी के पीछे छाया में चला जाएगा।
अगर ये उपग्रह चांद पर अंधेरे के दौरान अपनी उर्जा बचा पाते हैं तो फ़िर मानचित्र बनाने की प्रक्रिया आगे भी जारी रखी जा सकती है.चांद के अंतरिक्ष कक्ष में स्थापित होने के बाद इन दोनों उपग्रहों को नए और सुलझे नाम भी दिए जाएंगे। नाम चुनने के लिए एक प्रतियोगिता के माध्यम से लोगों से सुझाव मांगे गए हैं।
International News inextlive from World News Desk