हेडिंग: कानपुर फिर बदनाम
फ्लैग: एसटीएफ ने पकड़ा सॉल्वर गैंग, 10 गिरफ्तार
- रेलवे की ग्रुप डी भर्ती परीक्षा में थी सेंधमारी की तैयारी, 5 से 7 लाख रुपए में पास कराने का लेता था ठेका
- पूछताछ में गैंग के सरगना ने किया बड़ा खुलासा, 50 से ज्यादा सॉल्वर बिहार से आए, अलग-अलग गैंग में सक्रिय
KANPUR : कोचिंग मंडी के कारनामों और सॉल्वर गैंग के लिए पूरे देश में बदनाम हो चुके कानपुर पर शनिवार को एक और कलंक लग गया। रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में सेंधमारी की तैयारी में लगे सॉल्वर गैंग को एसटीएफ की टीम ने कल्याणपुर में छापा मारकर दबोच लिया। गैंग के सरगना, छह सॉल्वर और तीन कैंडिडेट सहित 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से एसटीएफ को कैश, एडमिट कार्ड, एटीएम, मोबाइल, बुलेट, स्कूटी और आईडी बरामद हुई है। पूछताछ में पता चला कि गैंग पांच से सात लाख रुपए में परीक्षा पास कराने का ठेका लेता था। एसटीएफ ने सभी के खिलाफ कल्याणपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। बता दें कि इससे पहले भी देश की कई बड़ी परीक्षाओं में कानपुर के सॉल्वर पकड़े जा चुके हैं।
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इनको पकड़ा गया
- राहुल कुमार नवाबगंज प्रयागराज (सरगना)
- महेश कुमार यादव सुपौल बिहार (सॉल्वर)
- प्रवेश यादव सुपौल बिहार (सॉल्वर)
- सुनील कुमार साह सुपौल बिहार (सॉल्वर)
- विकास कुमाल मालाकर, नालंदा बिहार (सॉल्वर)
- ललित कुमार यादव सुपौल बिहार (सॉल्वर)
- अजय कुमार ताती (सॉल्वर )
- अजय कुमार यादव नवाबगंज प्रयागराज (कंडीडेट)
- मुकेश कुमार गोपलगंज बिहार (कंडीडेट)
- रामबाबू झूसी प्रयागराज (कंडीडेट)
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-पांच से सात लाख रुपये में ठेका लेता था।
- तीन तरीके से गैंग ऑपरेट करता था
1- पहले तरीके में एक दिन पूर्व पेपर आउट कराने और सभी सवालों के आंसर रटाकर और सॉल्व कराने का ठेका होता था। इसके लिए छह लाख रुपए लिए जाते थे। लेकिन इसमें शर्त यह होती थी कि सॉल्वर गैंग अभ्यार्थी को पेपर लेकर जाने नहीं देगा। बल्कि गैंग एक दिन पहले अभ्यार्थी को अपनी जगह बुलाएगा। वहां पर अभ्यार्थी को पेपर देकर पूरी रात उसका जवाब रटाया जाएगा।
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2- दूसरे तरीके में गैंग वॉट्सएप और पर्ची भेजकर नकल कराने का ठेका लेता था। परीक्षा वाले दिन ही सॉल्वर गैंग कैंडिडेट का कई तरीके से नकल कराता था। इसके लिए कैंडिडेट से पांच लाख रुपए लिए जाते थे। परीक्षा के ही दिन सॉल्वर गैंग के लोग सेंटर के आसपास सक्रिय रहते थे। और सेंटर पर मिलीभगत करके कैंडिडेट को नकल कराई जाती थी।
3- तीसरा और सबसे अहम तरीका था कैंडिडेट की जगह सॉल्वर को बैठाकर पेपर पास कराना। सबसे महंगा सॉल्वर को बैठाने का रेट (सात लाख) था। एसटीएफ पूछताछ में सरगना राहुल ने बताया कि उसने बिहार से सॉल्वर को बुलाया था। सॉल्वर को एक लाख रुपये दिया जाता था। जिसमें पांच हजार रुपये पहले दिए जाते थे। उनके आने जाने का खर्च भी गैंग देता था। राहुल के मुताबिक इस समय यूपी में पचास से ज्यादा सॉल्वर बिहार से आए है।
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कई परीक्षा में कर चुका है सेंधमारी
एसटीएफ पूछताछ में पता चला कि बिचौलिया जिस गैंग से जुड़ा है। वह कई सालों से यह गोरखधंधा कर रहा है। वह कई परीक्षाओं में सेंध लगा चुका है। इसमें कॉम्पटीशन से लेकर सरकारी नौकरी की कई परीक्षा शामिल हैं। यह गैंग पहली बार पकड़ा गया है। सॉल्वर गैंग ट्रिक फोटोग्राफी से कंडीडेट की फोटो तैयार करते थे। जिसे वह फॉर्म में लगाता है। यह फोटो कंडीडेट और सॉल्वर दोनों की फोटो को मिक्स करके बनाई जाती है। जो देखने में कंडीडेट की भी लगती है और सॉल्वर की भी।
पटना में है तीन शातिर
राहुल ने पूछताछ में बताया कि गैंग का मुख्य सरगना रंजीत यादव और गुड्डू यादव है। ये गोपालगंज निवासी जितेंद्र यादव के साथ मिलकर कंडीडेट ढूंढकर उनसे पैसा लेते हैं और फिर उनकी ट्रिक फोटोग्राफी से फोटो तैयार करते है। एसटीएफ अब इन तीनों की तलाश कर रही है।
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शहर से एक सॉल्वर पकड़ा गया है। उसके जरिए कई अन्य सॉल्वर का पता चला है। गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
धनश्याम यादव, एसटीएफ प्रभारी