- पुलिस ने नीट व यूपी कैटेट में पास कराने का दावा करने वाले सॉल्वर गैंग का किया खुलासा
- गैंग के 7 मेंबर अरेस्ट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट सहित कई डॉक्टर भी शमिल
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KANPUR: पुलिस ने नीट और यूपीकैटेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में पास कराने का ठेका लेने वाले बड़े सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया है। गैंग के लोग फर्जी आधार कार्ड और एडमिट कार्ड में फोटो बदलकर वारदात को अंजाम देते थे। गैंग में कई डॉक्टर्स भी शामिल हैं। जो कैंडिडेट की जगह परीक्षा देते थे। एक कैंडिडेट से आठ से दस लाख में सौदा किया जाता था। कई दिनों की मेहनत के बाद पुलिस ने गैंग के 7 मेंबर को गिरफ्तार कर लिया है जबकि मथुरा निवासी गैंग का सरगना उसके कई साथी अभी फरार हैं।
इन्हें किया गिरफ्तार
-अमित कुमार, गोरखपुर
-राकेश वर्मा, फैजाबाद
-डॉ। अवध बिहारी, मिर्जापुर
-डॉ। सचिन कुमार मौर्या, आजमगढ़
-महफूज, बलरामपुर निवासी
-बेदरतन सिंह गोरखपुर निवासी
-धीरेंद्र प्रताप सिंह, और कानपुर निवासी
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ये बरामद हुआ
एक लैपटॉप
11 मोबाइल
तीन बाइक
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ये अभी फरार
-गिरोह का सरगना भोलाशंकर, मथुरा निवासी
-सत्येंद्र सिंह, महोबा निवासी
-जानकी, इलाहाबाद निवासी
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इस तरह से देते थे ठगी को अंजाम
एसपी वेस्ट डॉ। अनिल कुमार के मुताबिक गिरोह का सरगना मथुरा निवासी भोलाशंकर है। जिसकी तलाश पुलिस कर रही है। इसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस को इस गिरोह से जुड़े और ठगों की जानकारी होगी। गिरोह का सरगना कोचिंग से संपर्क कर रईस छात्रों की जानकारी करता था। उनसे दोस्ती बढ़ाकर उन्हें नीट और यूपी कैटेट में शत प्रतिशत सफलता का दावा करता था। इसके बाद शुरू होती थी सौदेबाजी। 8 से 10 लाख के बीच सौदा तय हो जाता था। जिस कैंडिडेट से रुपये लिए जाते थे, उसका फर्जी आधार कार्ड बनवाया जाता था। इसके बाद फर्जी कैंडिडेट के नाम का एडमिट कार्ड बनवाकर परीक्षा दी जाती थी।
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ऐसे देते थे अंजाम
-गैंग के लोग कोचिंग के जरिए अमीर छात्रों का डेटा जुटाते थे
-इसके बाद इन छात्रों से घुलमिलकर दोस्ती करते थे
-नीट औ यूपीकैटेट में सफलता दिलाने का झांसा देते थे
-8 से 10 लाख में तय होता था एक स्टूडेंट से सौदा
-छात्र का फर्जी आधार कार्ड बनवाया जाता था
-फर्जी कैंडिडेट के नाम का एडमिट कार्ड बनवाया जाता था
- इसके बादी फर्जी कैंडिडेट परीक्षा में भी शामिल होता था
इस तरह पुलिस के हत्थे चढ़ा गिरोह
नीट और यूपीकैटेट की परीक्षा के दौरान डॉ। अवध बिहारी, अमित कुमार जायसवाल और राकेश वर्मा की फोटो लगे फर्जी एडमिट कार्ड सामने आए थे। जिसके बाद से पुलिस इस मामले की पड़ताल में लगी थी। सर्विलांस टीम की मदद ली गई और तीनों से बात करने वाले कुछ लोगों की जानकारी हुई। इसके बाद पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़कर पूरे गिरोह का खुलासा कर दिया। पकड़े गए लोगों में डॉ। अवध बिहारी जीएसवीएम में एमबीबीएस स्टूडेंट हैं। जबकि डॉ। सचिन कुमार झांसी के राम मनोहर लोहिया में जेआर हैं। धीरेंद्र सिंह की फोटोकॉपी की दुकान है और वो फर्जी आधार कार्ड और एडमिट कार्ड तैयार करता था। पुलिस के मुताबकि डॉ। सचिन कुमार पहले भी फर्जीवाड़े के मामले में जेल जा चुका है।
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गिरोह का सरगना मथुरा निवासी भोलाशंकर, महोबा निवासी सत्येंद्र सिंह और इलाहाबाद निवासी जानकी फरार हैं। इनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है.इस मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और यूपीकैटेट की मदद ली जा रही है। पकड़ने वाली टीम को 25 हजार रुपये का इनाम दिया गया है
डॉ। अनिल कुमार शर्मा, एस पी पश्चिम