कानपुर (ब्यूरो)। चिलचिलाती हुई धूप और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाली स्किन डिसीज आजकल आम बात है। सूरज की रोशनी जब ओजोन लेयर से फिल्टर होकर हम तक पहुंचती है तो वह कम नुकसानदायक होती है। लेकिन आजकल यूज किए जाने वाले सॉल्वेंट बेस्ड पेंट से ओजोन लेयर में होल हो रहा है। वह हवा के संपर्क में आकर ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। अरुण मैथानी ने बताया कि साल्वेंट को लेकर देश में रोक न लगी तो हालात और मुश्किल हो जाएंगे। बताया कि कई अलग अलग कंपनियों के पेंट की जांच की गई तो उनमें साल्वेंट पाया गया है।
इसलिए मिलाए जाते साल्वेंट
डॉ। मैथानी ने बताया कि टीन के डिब्बे में मिलने वाला पेंट साल्वेंट बेस्ट पेंट होता है। इस पेंट में 500 से 600 एमएल साल्वेंट होता है। यह ओजोन लेयर के साथ साथ नेचर और ह्यूमन के लिए नुकसानदायक है। पेंट में मिलाए जाने वाले साल्वेंट की बात करें तो वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी), जायलिन, टॉयलिन और एमटीओ आदि हैं। इन चीजों को पेंट को पतला करने के लिए मिलाया जाता है। यह वोलाटाइस होता है। इसके बेस से बने पेंट को जब किया जाता है तो तीक्ष्ण महक आती और यह हवा में उड़ता है।
यहां यूज होता है साल्वेंट बेस्ड पेंट
साल्वेंट बेस्ट पेंट का यूज दरवाजे, खिडक़ी, अलमारी, गाड़ी आदि में किया जाता है। माडर्न टेक्निक में स्प्रे गन से किए जाने वाले पेंट में इसका उडऩा ज्यादा होता है। स्प्रे के साथ निकलने पर यह हवा के संपर्क मे जल्दी आता और उड़ता है। डॉ। अरुण ने बताया कि देश में 7-8 बड़ी पेंट कंपनियां है। इनके अलावा 2000 से ज्यादा छोटी कंपनियां है। इन कंपनियों से डेली एक करोड़ लीटर पेंट का प्रोडक्शन किया जाता है। टोटल पेंट प्रोडक्शन में 50 परसेंट पेंट साल्वेंट बेस्ड होता है। ऐसे में देश में रोजाना 50 लाख लीटर साल्वेंट बेस्ड पेंट बनाया जा रहा है।
यूरोप और यूएसए में बैन
यूरोप और यूएसए में पेंट कंपनियों को सॉल्वेंट बेस्ड पेंट बनाने की परमिशन नहीं है। इन जगहों पर नेचर और ह्यूमन सिक्योरिटी के चलते साल्वेंट को बैन किया गया है। लेकिन अपने देश में स्माल यूज के लिए बैन नहीं है।
साल्वेंट पेंट के आप्शन
साल्वेंट बेस्ड पेंट के विकल्प को मार्केट में तैयार कर लिया गया है। एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर राधा सचान ने बताया कि मेटल में हाई सॉलिड और पाउडर कोटिंग समेत कई ऐसे आप्शन है जो कि साल्वेंट बेस्ड पेंट को रिप्लेस कर देते है। यह उनसे ज्यादा टिकाऊ भी होते हैं। हालांकि कीमत ज्यादा होने के चलते फिलहाल इनका उपयोग कम किया जा रहा है।
साल्वेंट बेस्ड पेंट ओजोन लेयर में होल कर रहे है, जिससे तेज गर्मी और स्किन डिसीज समेत कई प्रॉब्लम्स हो रही हैैं। इनका यूज बंद होना चाहिए। साल्वेंट को रिप्लेस करने वाला और कम कीमत का आप्शन एचबीटीयू में खोजा जा रहा है। कई स्टेप तक हमको सक्सेस भी मिल चुकी है।
प्रो। अरुण मैथानी, एचओडी पेंट टेक्नोलॉजी एंड डीन इंक्यूबेशन हब
ओजोन लेयर के फायदे
- धरती से 10 से 50 किलोमीटर के बीच में गैस की एक प्राकृतिक सुरक्षा परत होती है
-ओजोन लेयर सूर्य से निकले वाली खतरनाक अल्ट्रा वायलेट किरणों से रक्षा करती है
-इंसानों और जीव-जंतुओं को इन किरणों की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाती है
-ओजोन की लेयर हमारी फसलों को भी हानि से बचाती है
-धरती के वायुमंडल के तापमान को कंट्रोल में रखती है, जिससे गर्मी कम लगती
- ओजोन लेयर अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को 93-99 परसेंट तक एबजॉर्व कर लेती है
- ओजोन लेयर को नुकसान से अल्ट्रावॉयलट किरणें धरती तक पहुचंने लगती हैं
- जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं और कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं