- असलहों के सौदागरों से जुड़े थे तार, अब मध्य प्रदेश के गिरोहों पर नजर
- सबसे बड़ा सवाल कहां से मिले पुलिस के असलहों के बुलेट
kanpur : एसटीएफ ने सात लोगों को अरेस्ट किया। आर्म्स और एम्युनेशन भी बरामद किया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर पकड़े गए इन युवाओं ने दुर्दात दुबे और उसके गिरोह के शातिरों की मदद क्यों की? जबकि वे इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि विकास ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है। क्या पकड़े गए आरोपी दुर्दात दुबे की मौत की बदला लेने की तैयारी कर रहे थे या फिर से गिरोह को खड़ा करने में जुटे थे। इस बात का जवाब भले ही एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश गोलमोल कर दे गए, लेकिन एसटीएफ सूत्रों की माने तो पकड़े गए शातिर फिर से गिरोह को खड़ा करने की भूमिका बना चुके थे। पहले भी फेसबुक और तमाम सोशल मीडिया में विकास दुबे का महिमा मंडन करने की बात सामने आ चुकी है। यू ट्यूब पर भी विकास का गीत भी चल रहा है।
तीन लाख में हुआ सौदा
एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक तीन लाख रुपए में असलहा बेचा गया था। जिसमें एसटीएफ ने 2.05 लाख रुपए बरामद कर लिए। डिप्टी एसपी एसटीएफ ने बताया कि कुछ और असलहे छुपाकर रखे गए हैं। उनकी तलाश में टीमें भिंड, कानपुर देहात और दिल्ली में काम कर रही है। जल्द ही उन असलहों को बरामद कर लिया जाएगा।
कहां से मिली पुलिस के 'बुलेट'
सबसे बड़ा सवाल इस पूरे खुलासे पर ये उठता है कि आखिर विकास के गैंग के पास प्रतिबंधित बोर के कारतूस कहां से आए। क्या किसी पुलिसकर्मी ने ये कारतूस मुहैया कराए या विकास ने पुलिसकर्मियों से ये कारतूस लूटे। दोनों की हालातों में खाकी की किरकिरी हो रही है।