कानपुर (ब्यूरो)। ग्र्राउंड वाटर के अधिक यूज और रिचार्जिंग में लापरवाही के कारण सिटी क्रिटिकल जोन में पहुंच चुका है। ये हम नहीं कह रहे हैं। सेंट्रल ग्र्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर डिस्ट्रिक्ट का नगर निगम एरिया और चौबेपुर ब्लाक दोनों ही क्रिटिकल जोन में है। इसलिए अलर्ट हो जाइए, जिससे अपने शहर का हाल साउथ अफ्रीका के केपटाउन जैसा न हो। ग्र्राउंड वाटर के कम से कम यूज के साथ ही इसे रिचार्ज करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग, तालाबों को सहेजने आदि इंतजाम भी शुरू कर दीजिए। वरना पानी के लिए और अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।


डिमांड के मुताबिक वाटर सप्लाई नहीं
सिटी का ग्र्राउंड वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। इसकी बड़ी वजह ये है कि
700 एमएलडी से अधिक ड्रिकिंग वाटर की डिमांड है, लेकिन जलकल डिपार्टमेंट
553 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर कर पा रहा है। इसमें दशकों पुरानी जलकल की जर्जर वाटर लाइनें लीकेज हो जाती है, जिसकी वजह से घरों में गन्दा पानी पहुंचता है। इसी वजह से लोग सबमर्सिबल के जरिए ग्र्राउंड वाटर का यूज करने के लिए विवश है।

एवरेज 45 सेंटीमीटर से अधिक
पिछले दो वर्ष में कल्याणपुर आवास विकास, किदवई नगर आदि एरिया में एक से दो मीटर तक वाटर लेवल गिर चुका है। ग्र्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के इम्प्लाइज के मुताबिक सिटी के लगभग हर एरिया में ग्र्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। इसका मेन रीजन ग्र्राउंड वाटर का तो जमकर यूज हो रहा है, लेकिन ग्र्राउंड वाटर की रिचार्जिंग के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाए जाने में लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि एवरेज हर वर्ष 45 सेंटीमीटर से अधिक ग्र्राउंड का लेवल गिर रहा है।
सिटी के कई मोहल्लों में 8 वर्षो में भूजल स्तर 5 से 6 मीटर तक नीचे पहुंच गया है।
तालाबों पर कब्जे
रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट के अलावा ग्र्राउंड वाटर रिचार्जिंग का जरिया नदी, तालाब, झील आदि है। लेकिन तालाबों को पाटकर उन पर कब्जा किया जा रहा है। हाल में एडमिनिस्ट्रेशन के कराए गए सर्वे के मुताबिक कानपुर डिस्ट्रिक्ट में 1086 तालाब है, इनमें 286 तालाबों के खासे हिस्से में अवैध कब्जा किया जा चुका है। शायद देशभर में गिरते वाटर लेवल को देखते हुए सेंट्रल गवर्नमेंट ने अमृत योजना शुरू की है, जिससे अधिक से अधिक तालाब डेवलप कर रेन वाटर को सहेजा जा सका। इसी कड़ी में नगर निगम ने भी सिटी में स्थित जूही, गंगापुर, चकेरी सहित 11 तालाबों को संवार रहा है।

और कीमत चुकानी पड़ेगी
ग्र्राउंड वाटर के गिरते स्तर के कारण ही सिटी में लगे ज्यादातर हैंडपम्प दम तोड़ चुके हैं। इसी तरह जलस्तर और गिरने के कारण घरों में लगे जेटपम्प भी जवाब दे चुके हैं। अब लोगों को सबमर्सिबल पम्प लगाना पड़ रहा है। जाहिर इससे बिजली का बिल भी बढ़ेगा। यही नहीं गिरते ग्र्राउंड वाटर लेवल के कारण पाल्यूशन की समस्या भी फेस करनी पड़ रही है। पिछले दिनों कई मोहल्लों में मानक से अधिक यूरेनियम तक मिल चुका है। इससे पहले जूही राखी मंडी में अंडरग्र्राउंड वाटर में क्रोमियम मिला था।

ऐसे तय होती
ग्र्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के हाइड्रोलॉजिस्ट डा। अविरल सिंह ने बताया कि सेंट्रल लेवल पर ग्र्राउंड वाटर एस्टीमेशन कमेटी होती है जो भूजल का आंकलन करती है। कानपुर डिस्ट्रिक्ट के नगर निगम एरिया और चौबेपुर ब्लाक को क्रिटिकल जोन घोषित किया गया। इसकी वजह ये है कि इन दोनों जगहों पर ग्र्राउंड वाटर की रिचार्जिंग की तुलना में इसका इस्तेमाल 90 परसेंट अधिक हैं। हालांकि चौबेपुर ब्लाक एरिया की स्थिति पहले की तुलना में सुधरी है। पहले 100 परसेंट से अधिक यूज होने के कारण यह ओवर एक्सप्लॉईटेड की कैटागिरी में था। इसी तरह 50-70 परसेंट तक ग्र्राउंड वाटर का एक्सप्लाईटेशन की वजह से कानपुर नगर के 6 ब्लाक एरिया सेमी क्रिटिकल जोन में हैं.50 परसेंट से कम एक्सप्लॉटेशन वाले फिलहाल सेफ जोन में है।

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