कानपुर (ब्यूरो)। सीएसजेएमयू कैंपस में न्यू एकेडमिक सेशन से छह लैैंग्वेज को कोर्स में शामिल किया जा रहा है। छह लैैंग्वेज सिखाने वाला सीएसजेएमयू सिटी का पहला संस्थान होगा। इन प्रोग्राम्स में एडमिशन के लिए यूनिवर्सिटी ने डब्ल्यूआरएन जेनरेट कराने का प्रोसेस शुरु कर दिया है। इन लैैंग्वेज कोर्सों को कैंपस के स्कूल आफ लैैंग्वेजेज में चलाया जाएगा। इन लैैंग्वेजेज कोर्स में हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, जर्मन, रशियन और फ्रेंच को शामिल किया गया है।
हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में यूजी और पीजी
हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत लैैंग्वेज में यूजी और पीजी कोर्सों को चलाया जाएगा। बीए में चलने वाले तीनों अलग अलग कोर्स बीए (आनर्स) होंगे। इसके अलावा इन्हीं तीनों लैैंग्वेज में पीजी कोर्स भी चलाए जाएंगे। बीए (आनर्स) इंग्लिश मेें 90, हिंदी और संस्कृत में 30-30 सीटें है। इसके अलावा पीजी की बात करें तो एमए इंग्लिश में 60, हिंदी और संस्कृत में 30-30 सीटों का इंटेक है।
जर्मन, रशियन और फ्रेंच में सर्टिफिकेट कोर्स
स्कूल आफ लैैंग्वेजेज की ओर से जर्मन, रशियन और फ्रेंच लैैंग्वेज में सर्टिफिकेट कोर्सों को चलाया जाएगा। यह कोर्स 12वीं पास स्टूडेंट्स के लिए हैैं। इसमें एडमिशन के लिए 12वीं में मिनिमम 50 परसेंट माक्र्स होना कंपलसरी है। यह एक साल से छह महीने तक के हो सकते हैैं। इन सभी कोर्सों में 30-30 सीटें हैैं।
फॉरेन लैैंग्वेज सीखने से बेनीफिट
अगर फॉरेन लैैंग्वेज सीखने से होने वाले बेनीफिट्स की बात की जाए तो इनको सीखने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब की संभावनाएं बढ़ जाती हैैं। फॉरेन से बिजनेस आदि करने वाली कंपनी फॉरेन लैैंग्वेज के जानकारों को जॉब में वरीयता देती हैैं। इतना ही नहीं आम इंप्लाई से उनकी सैलरी भी ज्यादा होती है। इसके अलावा नेशनल लेवल के संस्थानों में इंटरनेशनल रिलेशन सेल में इनको नौकरी मिलने की संभावना प्रबल रहती है। इसके साथ साथ स्कूलों में भी लैैंग्वेज टीचर के रुप में इनकी इन लैैंग्वेज को जानने वालो की डिमांड रहती है।
ऐसे होगा एडमिशन
स्कूल आफ लैैंग्वेजेज की ओर से संचालित किए जाने वाले इन कोर्सों में मेरिट के बेस पर एडमिशन लिया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले सीएसजेएमयू की वेबसाइट में जाकर डब्ल्यूआरएन नंबर जेनरेट कराना होगा। उसके बाद डिपार्टमेंट जाकर संपर्क करना होगा।