कानपुर(ब्यूरो)। पहाड़ों और मैदानी इलाकों में हो रही झमाझम बारिश से गंगा समेत कई नदियां उफान पर हैं। कानपुर में बिठूर से लेकर जाजमऊ के आगे तक बाढ़ के हालात हैं। तटवर्ती गांवों में पानी घुस गया है। कई गांव तो पूरी तरह खाली हो गए हैं। हर तरफ पानी से घिरने के कारण सैकड़ों परिवार गृहस्थी लेकर ऊंचाई वाले स्थानों पर चले गए हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों की रातें सडक़ों पर खुले आसमान के नीचे गुजर रही हैं। कई कॉलोनियों और गांवों में सन्नाटा पसरा है। जहां लोग पैदल और गाडिय़ों से चलते थे, वहां पर नाव चल रही हैं।

बिठूर के इलाकों में बाढ़
बारिश के साथ हरिद्वार व नरौरा से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण बिठूर के कटरी क्षेत्र में तटवर्ती गांवों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बैराज से शुक्लागंज के बीच के गांवों की ओर भी पानी तेजी से बढ़ रहा है। गंगा के तटवर्ती क्षेत्र बनिया पुरवा, दुर्गा पुरवा, गिल्ली पुरवा, भगवानदीन पुरवा, लछिमन पुरवा और मक्का पुरवा में पानी घुस गया है। इससे ग्रामीण अपना गृहस्थी का सामान बाहर निकालकर बैराज मार्ग पर आशियाना बना रहे हैं। 31 परिवारों के मवेशी भी सडक़ पर बंधे हैं जिनके लिए चारे की दिक्कत है, क्योंकि भूसा खत्म हो गया है। लकड़ी भीगने से परिवारों में खाना बनाने का भी संकट है।

नहीं बनाई बाढ़ चौकी
ग्रामीणों की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने बैराज मार्ग पर अभी तक कोई बाढ़ चौकी नहीं बनाई है। यहां पॉलिथीन या तिरपाल की व्यवस्था नहीं है। पानी की व्यवस्था के लिए टैंकर भी अभी नहीं आया है। रात में बिजली या चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है। लेखपाल प्रतीक शुक्ला ने बताया, गंगा बैराज के पास प्राथमिक स्कूल में बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है। वहां 42 लोगों की व्यवस्था की जा रही है। बैराज मार्ग वाले परिवारों को भी राहत शिविर में पहुंचाया जाएगा।

बैराज मार्ग पर बना रहे आशियाना
गंगा बैराज मार्ग पर तेज रफ्तार में वाहन दौड़ते हैं। इससे मार्ग के दोनों तरफ विस्थापित परिवार के बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को खतरा है। अगर इन लोगों को कहीं और शिफ्ट नहीं किया गया तो दिक्कत तय है। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव चैनपुरवा, भोपाल का पुरवा, धारमखेड़ा, बनियापुरवा हैं। इन गावों में मकान का 50 प्रतिशत हिस्सा डूब गया है। यहां पर रहना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कुछ परिवार गांव में ही रुके हुए हैं। उनका कहना है कि घर छोड़ देंगे तो रखवाली कौन करेगा।

अभी राहत की उम्मीद नहीं
गंगा बैराज में तैनात गेज रीडर उत्तम पाल ने बताया कि अभी जलस्तर कम होने की उम्मीद नहीं है। पानी और बढ़ेगा। स्थिति धीरे-धीरे भयावह होती जा रही है। अगर इसी रफ्तार से पीछे से पानी छोड़ा जाता रहा तो और गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। आपदा प्रबंधन की टीम ने गांव-गांव जाकर अपील की है कि अगर किसी को कोई खतरा महसूस होता है तो वह हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर सकते हैं। ग्रामीण राहत शिविर जा सकते हैं। वहां पर रहने और खाने की समुचित व्यवस्था की गई है। कानपुर में डीएम विशाख जी के निरीक्षण के बाद व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का काम तेज किया गया है।


ये हैं बाढ़ प्रभावित इलाके
बैराज से सिंहपुर की ओर भोपाल का पुरवा, बनियापुरवा, बंगला, पुराना ढल्लापुरवा, गिल्ली का पुरवा, दुर्गा का पुरवा, भारत पुरवा और भगवानदीनपुरवा।
जाजमऊ से उन्नाव की ओर के गांव, छब्बूपुरवा, गुट्टीपुरवा, निहालखेड़ा, नई बस्ती, नया पीपरखेड़ा, पुराना पीपरखेड़ा, दीनकनगर, बदुवाखेड़ा, जुराखनखेड़ा

बाढ़ की चपेट में चंडिका देवी स्थल
तहसील क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ स्थल में प्रसिद्ध चंडिका देवी दरबार बक्सर घाट पर बाढ़ का भयावह रूप दिखने लगा है। बक्सर घाट पर स्नानार्थियों के लिए बनी सीढिय़ों के साथ घाट पर स्थित कुछ दुकानें भी बाढ़ की चपेट में आ गई है। वहीं शुक्लागंज में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बढ़ता जा रहा है। शुक्लागंज के कई मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं। कुछ लोग सडक़ के किनारे झोपड़ी बनाने लगे हैं। चंपापुरवा नेतुआ मार्ग की तीन पुलिया दरकने लगी हैं।

इस प्रकार है गंगा का जलस्तर
- 114.71 मीटर बैराज पर जलस्तर (अपस्ट्रीम)
- 114.58 मीटर बैराज पर जलस्तर (डाउनस्ट्रीम)
- 425343 क्यूसेक पानी शुक्लागंज की ओर छोड़ा गया
- 113.19 मीटर शुक्लागंज गेट पर जलस्तर
- 126978 क्यूसेक पानी नरौरा डैम से छोड़ा गया
- 156422 क्यूसेक पानी हरिद्वार से छोड़ा गया