कानपुर (ब्यूरो) नवाबगंज थाना क्षेत्र के वीआईपी रोड से गंगा बैराज जाने वाले रास्ते के डॉल्फिन चौराहा के पास मंडे को एक दर्दनाक हादसा हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कोहना थाने के सामने पुराना कानपुर में रहने वाले कारोबारी भरत कुमार भगत के नाबालिग बेटे को ड्राइवर भैरव झा मेन रोड पर कार चलाना सिखा रहा था। नाबालिग के हाथ में मेन रोड पर स्टेयरिंग थमाते ही कार अनियंत्रित हुई और तेज रफ्तार में सामने से स्कूली बच्चों को बैठा कर आ रहे ई-रिक्शा में जोरदार टक्कर मार दी। हादसे के बाद कार सिखा रहे ड्राइवर भैरव झा और नाबालिग ने भागने का भी प्रयास किया था, लेकिन भीड़ ने दोनों को दबोच लिया और नवाबगंज पुलिस के हवाले कर दिया था। हालांकि मुकदमा दर्ज होने के कुछ देर बाद ही नाबालिग आरोपी को थाने से ही जमानत दे दी गई।
पुलिस ने खेल कर रसूखदार को बचाया
कानून के जानकारों की मानें तो पुलिस ने एफआईआर में खेल किया है। इस तरह के मामले में मेन रोड पर नाबालिग को स्टेयरिंग थमाने वाले ड्राइवर और गाड़ी मालिक को भी आरोपी बनाना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। ड्राइवर भैरव झा और गाड़ी मालकिन नाबालिग की मां अंजना भगत को भी एफआईआर में आरोपी बनाना चाहिए था। ऐसा भी नहीं हुआ।
इन नियमों का भी किया उल्लंघन
सीट बेल्ट नहीं लगाने, पार्किंग के नियमों का उल्लंघन करने के दो चालान, बगैर इंटीकेटर दिए गाड़ी मोडऩे समेत अन्यय यातायात के नियमों के उल्लंघन में पांच चालान किए गए हैं। इन पांचों चालान को गाड़ी मालिक ने डिस्पोज नहीं कराए हैं। महीनों से ये सभी चालान पेंडिंग हैं। इससे एक बात तो साफ है कि गाड़ी चालक यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहा था। इसी तरह नाबालिग के हाथ में स्टेयरिंग थमा दी और एक बच्ची की जान चली गई।


इन धाराओं में दर्ज किया गया केस
279 : वाहन को ऐसे चलाना, जिससे मानव जीवन को खतरा हो या कोई घायल हो जाए। सजा छह महीने या फाइन हो सकता है।
337 : वाहन ऐसे चलाया गया, जिससे दूसरे के जीवन को नुकसान हो सके। सजा छह महीने या 500 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
338 : वाहन को इतने उतावलेपन या लापरवाही से चलाया जाए जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। एक हजार रुपये तक जुर्माना बढ़ा सकते हैं, या दोनों के साथ।

304 ए : ये थोड़ी हल्की धारा होती है और ये किसी पर तब लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन में या उपेक्षापूर्ण तरीके से किए किसी ऐसे कार्य से हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो। हिट एंड रन के केस में ज्यादातर यही धारा लगाई जाती है।