कानपुर (ब्यूरो) इंटीग्र्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के अन्र्तगत केडीए ने 32 करोड़ से सिटी के 68 चौराहों पर सेंसर बेस्ड ट्रैफिक सिग्नल, सविलांस कैमरे, पैन टिल्ट जूम कैमरे, पब्लिक एड्रेस सिस्टम के साथ ही रेडलाइट वायलेशन डिटेक्शन (आरएलवीडी) कैमरे भी लगवाए थे। इनमें 2 चौराहों बड़ा चौराहा और विजय नगर को सुपर मॉडल चौराहा की तरह डेवलप किया गया था। वहीं 8 चौराहों नरौना, परेड, मूलगंज, जरीबचौकी, टाटमिल, यशोदा नगर, नौबस्ता व रावतपुर को मॉडल चौराहा की चौराहों की डेवलप किया गया था।

ट्रैफिक लाइन में कंट्रोल रूम
ट्रैफिक पुलिस लाइन में बनाए गए आईटीएमएस का कन्ट्रोल रूम बनाया गया है। कंट्रोल रूम को कैमरों, पीए सिस्टम से कनेक्ट किया गया था। जिससे चौराहों पर नजर रखी जा सके। जाम की स्थिति होने पर तुरन्त ही एक्स्ट्रा ट्रैफिक पुलिस भेजकर कन्ट्रोल किया जा सके। यही नहीं आरएलवीडी कैमरे के जरिए रेड लाइट क्रॉस करने वाली गाडिय़ों का ऑनलाइन चालान किया जा सके। 5 जून 2018 को चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ लोकार्पण किया था।

हटाए लेकिन दोबारा नहीं लगाएं
एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक बनाने के लिए करीब तीन वर्ष पहले आईआईटी से मोतीझील के बीच चौराहों से डिजिटल साइन बोर्ड, कैमरों के साथ ही ट्रैफिक सिग्नल भी हटाए गए थे। यूपी मेट्रो ऑफिसर्स के मुताबिक नगर निगम के जरिए सिग्नल लगाने वाली कम्पनी से हटवाए गए थे। उसे ही दोबारा से लगाने थे। इसके लिए तय धनराशि भी दी गई थी। पर हकीकत ये है कि आईआईटी से मोतीझील के बीच आज तक दोबारा ट्रैफिक सिग्नल नहीं लगाए गए। जबकि मेट्रो दौड़ते हुए 13 महीने से अधिक समय हो चुका है। इसकी परवाह न तो नगर निगम ने की न ही यूपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने.आईआईटी से मोतीझील के बाद यूपीएमआरसी चुन्नीगंज से लालइमली, परेड से बड़ा चौराहा, जूही हमीपुर रोड से लेकर मंडी परिषद के बीच काम कर रही है। इस वजह से ट्रैफिक सिग्नल या तो शोपीस बनकर रह गए या हटाने पड़े हैं।

चलते हैं कम, ठप ज्यादा
आईटीएमएस के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंर्तगत सिटी के 50 चौराहों पर सीसीटीवी कैमरों सहित ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए। इन्हें नगर निगम मुख्यालय मोतीझील स्थित इंटीग्र्रेटेड कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर से जोड़ा गया। बाद में आईटीएमएस को भी कमांड कन्ट्रोल सेंटर से जोड़ दिया। इस तरह सिटी में कुल मिलाकर 118 चौराहों पर कैमरों सहित ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं। कन्ट्रोल रूम इम्प्लाइज के मुताबिक इनमें से कुल मिलाकर 54 ट्रैफिक सिग्नल ही काम रहे हैं।

कन्फ्यूज करती है ये बत्ती
ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक सिटी में 500 से अधिक चौराहे हैं। इनमें बिजी ट्रैफिक वाले 24 चौराहे हैं। जबकि सिटी में 118 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगा दिए गए हैं। केशव नगर नहरिया चौराहा से गिनती की गाडिय़ां गुजरती हैं। सरवन टेंट हाउस अस्सी फीट, दीप टाकीज तिराहा, टेलीफोन एक्सचेंज मरियमपुर, बारादेवी तिराहा आदि चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगने के बाद कभी-कोई बंदिश नहीं रही। इनमें ट्रैफिक पुलिस भी तैनात नहीं रहती है। ऑनलाइन चालान के डर से अनजान लोग यहां रेड सिग्नल होने के कारण गाड़ी रोके रहते हैं। वहीं अक्सर टाटमिल, जरीबचौकी, अफीमकोठी, फजलगंज, चावला मार्केट व नन्दलाल चौराहा गोविन्द नगर आदि में ट्रैफिक सिग्नल की बजाए ट्रैफिक पुलिस मनमुताबिक संचालित करती है। इससे लोग कन्फ्यूज रहते हैं कि किस ट्रैफिक सिग्नल वाले तिराहा-चौराहा पर रुकना है किस पर नहीं।

प्रोजेक्ट-आईटीएमएस
प्रोजेक्ट कास्ट-- 32 करोड़
ट्रैफिक सिग्नल लगे--68 चौराहे पर
सुपर मॉडल चौराहा--2
मॉडल चौराहा-- 8
सुपर मॉडल चौराहा- बड़ा चौराहा, विजय नगर चौराहा
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ये मॉडल चौराहा- नरौना, परेड, मूलगंज, जरीबचौकी, टाटमिल, यशोदा नगर, नौबस्ता व रावतपुर
स्मार्ट सिटी के अंर्तगत लगे ट्रैफिक सिग्नल- 50 चौराहों पर
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-118 चौराहों पर लगाए गए हैं ट्रैफिक सिग्नल
-54 चौराहों पर ही काम कर रहे ट्रैफिक सिग्नल
-64 चौराहों के सिग्नल बन्द या नदारद हो चुके