कानपुर (ब्यूरो)। जलनिगम ने अरबों रुपए के करप्शन में डूबी वाटर पाइपलाइन के पैरलल 112 करोड़ रुपए से दोबारा फीडरमेन बिछाने तैयारी की है। जिससे कानपुराइट्स के घरों तक पानी पहुंच सके। नई डालने में कानपुराइट्स को रोड कटिंग, धूल-गर्द, ट्रैफिक प्रॉब्लम, बिजनेसलॉस आदि समस्याओं से तो जूझना ही पड़ेगा। लेकिन, सक्सेसफुली ये फीडरमेन चालू होने के बाद भी जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के मुताबिक घर-घर वाटर सप्लाई नहीं हो सकेगी। क्योंकि अब तक प्रोजेक्ट के सभी जेएडपीएस, ओवरहेड टैंक बने नहीं हैं या वाटर सप्लाई की स्थिति में नहीं है। इससे कहीं खराब स्थिति घरों तक पानी पहुंचाने के लिए क्लियर वाटर फीडरमेन और डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क का है। इसकी गवाही खुद जलनिगम की रिपोर्ट दे रही है। 112 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में इन वक्र्स को शामिल नहीं किया गया है।
लेकिन घरों तक पानी नहीं पहुंचा
दरअसल जेएनएयूआरएम के अन्र्तगत ड्रिकिंग वाटर पार्ट वन में सिटी के 67 वार्ड और पार्ट टू में 33 वार्ड में स्थित घर-घर तक पानी पहुंचाना था। इन दोनों प्रोजेक्ट में 869 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। गंगा बैराज के 200-200 एमएलडी के दो, गुजैनी में 28.5 एमएलडी के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। बेनाझाबर मुख्यालय के ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 200 से बढ़ाकर 280 एमएलडी की गई। लेकिन जलनिगम के इंजीनियर्स के करप्शन के कारण घरों तक पानी नहीं पहुंचा।
डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क गायब
इन प्रोजेक्ट्स में सबसे अधिक गड़बड़ी पाइपलाइन बिछाने में की गई। लीकेज के कारण 400 एमएलडी के प्लांट से केवल 50 मिलियन लीटर पानी ही प्रतिदिन सप्लाई हो पा रहा है। प्रेशर बढ़ाने पर कम्पनीबाग से फूलबाग और बारादेवी तक जाने वाली पाइप लाइन फट जाती है। इस समस्या के हल के लिए जलनिगम ने 112 करोड़ रूपए से इसके पैरलल नई फीडरमेन बिछाने की तैयारी की है। पाइपलाइन चालू होने होने पर जोनल पम्पिंग स्टेशन और ओवरहेड टैंक्स तक तो पानी पहुंच जाएगा। लेकिन घरों तक ड्रिकिंग वाटर पहुंचाने वाले क्लियर वाटर फीडरमेन व डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क गायब हैं। वह भी थोड़ा बहुत नहीं बल्कि सैकड़ों किलोमीटर की ये पाइपलाइन गायब है। ये हम नहीं कह रहे हैं खुद जलनिगम की ड्रिकिंग वाटर पार्ट वन व टू प्रोजेक्ट की रिपोर्ट कह रही है। ऐसे में 112 करोड़ पर भी पानी फिरने का खतरा मंडरा रहा है।
दोनों प्रोजेक्ट में गैप ही गैप
जलनिगम की रिपोर्ट के माने तो ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट पार्ट वन में 700 में से 612 किलोमीटर डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के पाइप बिछे है और चालू तो केवल 366 किमी। है। पार्ट टू ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट की हालत और भी खराब है 1045 में से 759 किमी। ही डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क बिछा है। इसमें से भी केवल 350 किलोमीटर पाइपलाइन चालू है। इसी तरह ही दोनों प्रोजेक्ट क्लियर वाटर फीडरमेन के पाइप जगह-जगह गायब है। पार्ट में 65.85 में से 63.73 किमी। बिछी और चालू केवल 48.50 किलोमीटर है। सफीपुर, ओमपुरवा, हरजेन्दर नगर, सरायमीता, दबौली के अलावा नौबस्ता एरिया में 4 किमी। पाइप गायब है। वहीं पार्ट वन में 51.61 में से 50 किमी। क्लियर वाटर फीडर बिछी और 48 किमी। चालू हुई। इसकी वजह झकरकटी व फीलखाना जेएडपीएस से वाटर सप्लाई नहीं हो पा रही है।
15 परसेंट भी कनेक्शन नहीं
ड्रिकिंग वाटर पार्ट टू में 3 लाख घरों तक पाइपलाइन बिछाकर कनेक्शन किए जाने थे, जलनिगम की ही रिपोर्ट माने तो अबतक डि़्रस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क नहीं बिछ पाने के कारण केवल 46 हजार घरों में कनेक्शन हो सके। इनमें से भी केवल 12 हजार घरों में वाटर सप्लाई हो रही है। जलनिगम इम्प्लाइज के मुताबिक डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के तौर पर बिछाए गए नीले पाइप सडक़ के नीचे दब चुके है या रोड कटिंग में बहुत से इलाकों में कट चुके हैं।