- ड्रग प्राइज कंट्रोल लिस्ट में आने के बाद सिंगल डोज वैक्सीन बनाना कंपनियों के किया बंद
- टीटी और अडल्ट डिप्थीरिया की एक वैक्सीन लाने की योजना भी बड़ी वजह, एक्सीडेंट से लेकर मामूली चोटों के इलाज में आ रही दिक्कत
KANPUR: छोटी मोटी चोट लग जाने या फिर किसी लोहे की चीज से कट लगने पर खून आ जाने जैसी घटनाओं में टिटनस न हो इसके बचाव के लिए लगने वाली वैक्सीन की मार्केट में जबर्दस्त किल्लत हो गई है.मेडिकल स्टोर्स और छोटे क्लीनिकों में इस वैक्सीन के नहीं मिलने से घायलों के इलाज में भी दिक्कत आ रही है। वहीं इस किल्लत को लेकर जब दवा कारोबारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि टिटनस वैक्सीन की सिंगल डोज वाली शीशी आना अब बंद हो गई है। वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने भी सिंगल डोज वैक्सीन बनाना बंद कर दिया है जिससे यह प्रॉब्लम आ रही है.जबकि मल्टीपल डोज वाली वैक्सीन आ तो रही है,लेकिन उसकी सप्लाई सिर्फ बड़े अस्पतालों में ही है। जोकि काफी महंगी भी है।
टिटनस वैक्सीन की अहमियत-
-प्रेगनेंट महिलाओं को दो बार यह वैक्सीन लगवाना जरूरी
- लोहे से होने वाली इंजरी में वैक्सीन को लगाना जरूरी,इससे सेप्टीसीमिया का खतरा टल जाता है
- चार महीने के बच्चे को भी यह वैक्सीन लगवाना जरूरी
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इस वजह से क्राइसेस
टिटनेस टेक्सॉयड वैक्सीन को सरकार ने ड्रग प्राइज कंट्रोल लिस्ट में शामिल कर दिया है। जिसके तहत इस वैक्सीन की सिंगल डोज 5 रूपए से ज्यादा में नहीं बेची जा सकती। वहीं दवा कंपनियों का कहना है कि 5 रूपए को वैक्सीन बनाने की लागत ही है। ऐसे में इतनी कीमत पर वैक्सीन को बेच पाना संभव नहीं है। इस वजह से कई कंपनियों ने इसकी सिंगल डोज बनाना बंद कर दिया है। इस वजह से भी मार्केट में इस वैक्सीन की किल्लत हो गई है। इसके अलावा सरकार टिटनस और अडल्ट डिप्थीरिया की कांबीनेशन वाली वैक्सीन से रिप्लेस करने की तैयारी की है। इसके अलावा डब्लूएचओ ने भी टिटनस टेक्सॉयड के उपयोग को 2020 तक पूरी तरह बंद करने के लिए कहा है। जिसकी वजह से फौरी तौर पर इस वैक्सीन की मार्केट में काफी किल्लत हो गई है।
वर्जन-
टिटनस वैक्सीन की सिंगल डोज काफी समय से नहीं आ रही है। मल्टीपल डोज वाली वैक्सीन महंगी है। ऐसे में बड़े हास्पिटलों और क्लीनिकों में ही यह उपलब्ध होती है। मार्केट में भी मल्टीपल डोज वाली ही वैक्सीन उपलब्ध है।
- संजय मेहरोत्रा, चेयरमैन, दि फुटकर दवा व्यापार मंडल