- 13 जुलाई को किडनैपर्स को दिए गये फिरौती के बैग पर पुलिस, परिजन और किडनैपर्स तीनों के अलग बयान
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KANPUR: संजीत को किडनैपर्स से छुड़ाने के लिए पिता चमन ने 30 लाख रुपए की रकम बैग में भर कर किडनैपर्स को दी थी। पुलिस के इस पूरे खुलासे में इसका कोई जिक्र नहीं है। पुलिस ने आरोपियों के पास से न तो कोई रकम और न ही कोई बैग बरामद करने की बात कही है। संजीत के पिता का कहना है कि उन्होंने एक परिचित से घर गिरवी रख कर 20 लाख रुपए और बेटी की शादी के लिए रखे जेवर बेच कर 10 लाख रुपए का इंतजाम किया था। पुलिस के कहने पर रकम बैग में रख कर वह किडपैनर्स के पास गए थे। बर्रा के तत्कालीन एसएचओ रणजीत राय की मौजूदगी में किडनैपर्स के कहने पर रुपयों से भरा बैग पुल से रेल लाइन पर फेंका था। इसके बाद से बैग गायब है।
किडनैपर्स बोले, नहीं मिला बैग
फ्राईडे को आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बैग को लेकर जो जानकारी दी, उससे मामला और उलझ गया। उनका कहना था जो बैग दिया गया उसमें रुपए नहीं थे। हांलाकि उन्होंने बैग को पुल से नीचे रेलवे ट्रैक पर फेंके जाने की बात मानी। वहीं प्रेस कांफ्रेस में मौजूद आरोपियों का कहना था कि जो बैग पुल से नीचे फेंका गया था। वह उन्हें मिला ही नहीं। पुलिस के आने के डर से वह बिना बैग उठाए ही भाग गए। इससे सवाल खड़ा होता है कि आखिर रुपयों से भरा बैग कहां गया?
तत्कालीन एसएचओ की भूमिका संदिग्ध
इस पूरे प्रकरण को लेकर तत्कालीन बर्रा थाने के एसएचओ रणजीत राय की भूमिका संदिग्ध रही है। जिस वक्त रुपयों का बैग फेंका जा रहा था। उनकी ही अगुवाई पुलिस टीम किडनैपर्स को पकड़ने के लिए तैनात थी। रुपयों से भरा बैग फेंके जाने के बाद से उसके गायब होने और किडनैपर्स के भागने के दौरान रणजीत राय अपनी प्राइवेट कार में ही बैठे रहे। उन्होंने रुपयों से भरा बैग फेंके जाने वाली जगह पर जाना भी मुनासिब नहीं समझा।
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जांच के लिए पहुंचे एडीजी
संजीत हत्याकांड को लेकर तमाम बिंदुओं के बारे में जांच के लिए एडीजी पीएचक्यू बीपी जोगदंड बर्रा में पीडि़त परिवार के घर पहुंचे। उन्होंने संजीत के पिता चमन और बहन से बातचीत की। इस दौरान उन्हें फिरौती से लेकर किडनैपिंग के बाद से हुई पुलिस की कार्रवाई के बाबत भी जानकारी परिजनों ने दी। बातचीत के बाद निकलते वक्त उन्होंने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की।