कानपुर (ब्यूरो) बुधवार को एनआईए के सीनियर ऑफिसर्स ने एविएशन कंपनी और हवाई अड्डों की सुरक्षा में लगे अधिकारियों के साथ बैठक कर जानकारी साझा की है। खुफिया को जानकारी मिली है कि इनके पासपोर्ट समेत सारी तैयारियां हो चुकी हैैं। जिसकी वजह से इनकी तलाश तेज कर दी गई है। माना जा रहा है कि ऐसे लोगों की संख्या करीब 12 है। एनआईए सूत्रों की माने तो तीन जून को कानपुर में हुए उपद्रव में गिरफ्तार किए गए 5 लोग जमानत पर रिहा हो चुके हैैं। इसके अलावा सात लोग वे हैैं जो कानपुर में टेरर फंडिंग में अपना बड़ा योगदान दे रहे हैैं। अब तक की मिली जानकारी के मुताबिक रडार पर आए सात लोग अंडरग्राउंड हैैं। इनमें साजिद (जाजमऊ), वसीम (जाजमऊ मदरसे का इमाम), हाजी यूसुफ (बाबूपुरवा)। नदीम (बाबूपुरवा), आरिफ इंजीनियर (आतंक से जुड़े लोगों को हथियार मुहैया कराना), इरशाद (टेरर के लिए फंड का इंतजाम करने वाला), हाजी इमरान (टेरर से जुड़े लोगों के रहने और दूसरे इंतजाम करने वाला) शामिल हैैं। इनकी तलाश में टीमें लगातार लगी हुई हैैं।

जमानत पर छूटे संदिग्ध भी राडार पर
तीन जून को कानपुर में हुए उपद्रव और पथराव में कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, जिसमें पांच लोगों की जमानत हो चुकी है। जमानत पर छूटे ये संदिग्ध भी सुरक्षा एजेंसी के रडार पर हैैं। इनमें 1 फरार हो चुका है, जबकि बाकी 4 में 2 को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। कानपुर के बासमंडी इलाके के बेबिस कंपाउंड से उठाए गए हैं। बाद में अनवरगंज पुलिस ने लंबी पूछताछ की। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय सदस्यों की तलाश में एनआईए देश स्तर पर अभियान चला रही है।

एक दर्जन कारोबारी टारगेट पर
यशोदा नगर से कोयला नगर और फिर रामादेवी। इसके बाद गंगापुल से कुछ किलोमीटर आगे से शुरू होकर उन्नाव की सीमा तक बने स्क्रैप मार्केट पर एनआईए की पैनी नजर है। एक दर्जन से ज्यादा स्क्रैप कारोबारी एनआईए के टारगेट पर हैैं। देर रात इन गोदामों के आस पास बने होटलों में भी टीम ने जांच की है। साथ ही तीन स्क्रैप कारोबारियों से भी कड़ी पूछताछ चल रही है। इन कारोबारियों के परिवार वालों को नजरबंद कर रखा गया है और इनके सभी मोबाइल जमा करा दिए गए हैैं।


स्थानीय पुलिस ने भी की पूछताछ
3 जून को शहर में उपद्रव में इस कार्यालय की बड़ी भूमिका बताई गई थी। एनआईए के जाने के बाद अनवरगंज पुलिस ने भी साकिर और जावेद के परिवार वालों से लंबी पूछताछ की। हालांकि पुलिस इस मामले में कुछ भी जानकारी देने से मना कर रही है। साकिर समेत दोनों दो के परिवार वाले भी बात करने से मना कर रहे हैं।

नेपाल भागने की तैयारी कर रहे थे साकिर और जावेद
एनआईए सूत्रों ने बताया कि वे तीन दिन से दोनों की तलाश में लगे थे। मंगलवार यानी 8 नवंबर को दोनों नेपाल जाने की फिराक में थे। आगे उनका क्या प्लान था? इसकी जानकारी में एनआईए लगी हुई है। एनआईए के इस ऑपरेशन के बाद से दूसरी एजेंसियां भी सहयोग में लग गई हैैं। एसटीएफ और एटीएस ने कानपुर में आतंक से जुड़े पुराने नामों की तलाश करने के साथ ही उनकी लोकेशन ट्रेस करनी शुरू कर दी है।

टेरर फंडिंग के लिए कानपुर को ही क्यो चुना?
फंडिंग के बिना टेरर अधूरा है। यूं तो देश के जिस हिस्से में टेरर है वहां फंडिंग विदेशों से या लोकल स्तर पर या फिर किसी फंड के नाम पर की जाती है। एनआईए सूत्रों की माने तो यूपी के कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज में युवाओं का धर्म व अन्य बहानों के नाम पर माइंडवॉश करने वालों की संख्या बहुत है, लिहाजा कानपुर और यूपी के दूसरे जिलों के लिए जहां विदेशों से आतंक फैलाने की फंडिंग की जाती है। वहीं कानपुर में लेदर कारोबारी, स्क्रैप कारोबारी, मीट कारोबार समेत तमाम ऐसे कारोबार हैैं जो धर्म के नाम पर फंडिंग करते हैैं लेकिन ये जाता है टेरर फंडिंग में।

आधा दर्जन बैैंक अकाउंट किए सीज
एनआईए सूत्रों की माने तो आधा दर्जन बैैंक खाते जिनमें जनवरी 2022 से लेकर अब तक 50 लाख से ज्यादा का ट्रांजेक्शन है, सीज कर दिए गए हैैं। दरअसल रडार पर आए सभी लोगों को रिलेशन टेरर से लगभग खुल चुके हैैं। इसके बाद इनका सोर्स ऑफ इनकम देखा गया, जिसमें बड़ा खुलासा हुआ है। इनवेस्टिगेशन विंग ने जब पकड़े गए लोगों को टेक्निकल इंट्रोगेशन किया तो हिरासत में लिए दोनों लोग बगलें झांकने लगे। पहले दोनों से अलग-अलग पूछताछ की गई। बाद में आमने सामने पूछताछ की गई तो बयानों में विरोधाभास ने ये साफ बता दिया कि कहीं न कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ थी। साथ ही हिरासत में दोनों ने बताया कि तीन जून को हुए उपद्रव में कहां-कहां से लोगों को उपद्रव के लिए बुलाया गया था और उन्हें कानपुर में कहां रोका गया था।