-खरीदने के बाद से आज तक नहीं हुई है रोडवेज एसी बसों की सर्विस, निर्धारित से हजारों किलोमीटर ज्यादा का सफर कर चुकी हैं तय

-कई पा‌र्ट्स घिसकर हो चुके हैं खराब, इंजन भी जल्द हो जाता है हीट, सफर के दौरा कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं ये बसें

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में बसों के ड्राइवर ने बयां की चौकाने वाली हकीकत, सुविधा के नाम पर पैसेंजर्स से धोखा

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KANPUR: अगर आप भी आराम और सुविधा के लिए ज्यादा किराया देकर रोडवेज की एसी बसों में सफर करते हैं तो सावधान हो जाइए। ये बसें कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं। क्योंकि निर्धारित किलोमीटर से दोगुना सफर तय करने के बाद भी कानपुर रीजन की कई एसी बसों की सर्विसिंग नहीं कराई गई है। ऑयल चेंज नहीं किया गया है। कई पा‌र्ट्स घिसकर बेकार हो चुके हैं। इसके बाद भी रोडवेज अफसर पैसेंजर्स के साथ बस और कंडक्टर की जान खतरे में डालकर बसों को रूट पर भेज रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को इस संबंध में गुपचुप तरह से कई शिकायतें और कॉल रिकॉर्डिग मिली थीं। जिनकी सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने झकरकटी बस अड्डे पहुंचकर एक स्टिंग ऑपरेशन किया। जिसमें हिडन कैमरे के सामने एसी बसों के ड्राइवर ने बातचीत के दौरान पूरी हकीकत बयां कर दीं। पैसेंजर्स की जान को जानबूझ कर खतरे में डाला जा रहा है.

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जगह-झकरकटी बस अड्डा

समय- दोपहर 12:30 बजे

ड्राइवर से बातचीत

रिपोर्टर- और ड्राइवर साहब क्या हाल है, कैसा चल रहा है?

ड्राइवर- बस चल रहा है सब, ऊपर वाले का आशीर्वाद है।

रिपोर्टर- अच्छा ये बताइए, बस की सर्विसिंग कब से नहीं हुई है?

ड्राइवर- जब से ये नई बसें आई हैं तब से इनकी सर्वि िसंग नहीं हुई ।

रिपोर्टर- वैसे क्या नियम हैकितने किमी में होनी चाहिए सविर्स?

ड्राइवर-नियम के मुताबिक तो लगभग 40 हजार किमी चलने के बाद सर्विसिंग जरूरी है।

रिपोर्टर- यह बसें कितने किमी चल चुकी हैं अब तक?

ड्राइवर-विकास नगर डिपो की आधा दर्जन से अ िधक बसें 50-60 हजार से ऊपर चल चुकी हैं।

रिपोर्टर- सर्विस न हो तो क्या परेशानी हो सकती है? दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है क्या?

ड्राइवर- सर्विसिंग समय पर नहीं होगी तो इंजन हीट करके कभी भी बस में आग लग सकती है, एसी बस में थर्माकोल जगह-जगह लगा होता है। आग पकड़ने पर काबू करना मु िश्कल है।

रिपोर्टर- आप लोग डिपो के फोरमैन से सर्विस करने को लेकर दबाव क्यों नहीं देते हैं, एआरएम से इसकी शिकायत करिए?

ड्राइवर -बसों में सभी ड्राइवर संविंदा में हैं। फोरमैन परमानेंट है। शिकायत करने पर अपना ही नुकसान होता है। जिन्होनेशिकायत की थी। उनको आज तक स्टीयिरंग पकड़ने को नहीं मिली। परिवार पालने के लिए यह रिश्क तो उठाना पड़ता है।

रिपोर्टर- नई एसी बसों की तरह पुरानी एसी बसों की भी फिटनेस या सर्विसिंग समय पर नहीं होती है

ड्राइवर- सर, फिटनेस व समय पर बसों की सर्वि िसंग न होने की वजह से ही करोड़ों की बसें समय से पहले खटारा हो जाती हैं।

300 करोड़ की बसें खड़े-खड़े हो गई कबाड़

सिटी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट ने 300 करोड़ से जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी में सीएनजी लो फ्लोर बसों का संचालन शुरू कराया था। जिसमें 10 एसी लो- फ्लोर बसें भी थीं। इन बसों का मेंटीनेंस एक कंपनी को दिया गया था। लेकिन, जिस बस में कोई खराबी आई उसे ठीक नहीं किया गया। जिसके चलते एक-एक कर ज्यादातर बसें डिपो में खड़ी होती गई। आज तक यह बसें विकास नगर व फजलगंज डिपो में जंग खा रही हैं। रोडवेज की लापरवाही की वजह से एसी जनरथ बसों के हालात भी कुछ ऐसे ही होने वाले हैं।

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ऑयल चेंज करते, फिल्टर नहीं

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग के दौरान एसी बसों के ड्राइवर्स ने बताया कि छह महीने बाद भी नई एसी बसों की सर्विसिंग नहीं हुई है। इसके अलावा पुरानी जनरथ बसों के हालात और भी खराब हैं। इन बसों की सर्विस विकास नगर डिपो में ही होती है। जहां फोरमैन बसों की सर्विस करने के दौरान सिर्फ ऑयल चेंज कर देते हैं, उनका फिल्टर चेंज नहीं किया जाता है। जिसका काम बस के इंजन को ठंडा रखना होता है। बस का फिल्टर कचड़े से चोक हो जाने से हवा पास नहीं होती है। जिससे इंजन हमेशा गर्म बना रहता है.ये हादसे की वजह भी बन सकता है।

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25 बसें आरटीओ को सरेंडर

कोविड 19 के दौरान पैसेंजर्स न मिलने पर एसी बसों का कॉमर्शियल टैक्स भी नहीं निकल पा रहा था। जिसकी वजह से हाल ही में रोडवेज ने 25 एसी जनरथ बसों को आरटीओ को सरेंडर कर दिया है। कोरोना के हालात में सुधार आने के बाद इन बसों का टैक्स जमा कर वापस रूटों पर भेजा जाएगा।

30 एसी जनरथ बसें तीन साल पहले आई थीं

10 एसी बसें छह महीने पहले कानपुर को मिलीं

40 हजार किमी चलने के बाद बस की सर्विस जरूरी

50 हजार किमी से अधिक चल चुकी हैं बसें, नहीं हुई स िर्वस

300 करोड़ की जेएनएनयूआरएम बसें मेंटीनेंस न होने से हो गई कबाड़

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इस मामले में रोडवेज का पक्ष जानने के लिए कानपुर रीजन के आरएम एके ओझा को कई बार फोन किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा, जिसके बाद रिपोर्टर ने उनके फोन पर मैसेज भी डाला लेकिन उनकी तरफ से कोई रेसपॉन्स नहीं आया।