-झुग्गी-झोपड़ी वाली बस्तियों को छिपने का ठिकाना बना रहे देश के दुश्मन, एजेंसियों ने गड़ाई नजर
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KANPUR : अलकायदा आतंकवादियों की मददगार महिलाएं पनकी के गंगागंज इलाके की स्लम बस्ती में रह रही थीं। इस जानकारी के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। चिंता इस बात को लेकर है कि क्या पुलिस और अन्य एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए राष्ट्र विरोधी तत्वों ने छिपने के लिए अब झुग्गी झोपडि़यों को ठिकाना बनाना शुरू किया है। ऐसे में सरकार के निर्देश पर स्थानीय स्तर पर एलआईयू ने स्लम बस्तियों की पड़ताल शुरू की है। साथ ही रोहिंग्या की मौजूदगी को लेकर भी दोबारा कवायद होगी।
एटीएस के माथे पर पसीना
अलकायदा आतंकवादियों की गिरफ्तारी से एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है, जिसमें आतंकी लो प्रोफाइल हैं और नहीं है तो भी लो प्रोफाइल में रह कर साजिश का तानाबाना बुन रहे हैं। अंसार गजवातुल हिंद का सब एरिया कमांडर शकील लखनऊ में रह कर रिक्शा चलाता था। वहीं कानपुर की जिन तीन महिलाओं की बात सामने आ रही है, वह गंगागंज के स्लम एरिया में छिप कर रह रही थीं। मानव बम के लिए जेहादी की तलाश और जैकेट की व्यवस्था करना उनकी जिम्मेदारी थी।
झोपड़पट्टी समझी जा रही सेफ
माना जा रहा है कि स्लम बस्तियों में पुलिस के अलावा खुफिया एजेंसियों की पहुंच अभी न के बराबर है। ऐसे में आतंकी अब झोपड़पट्टियों को ही सबसे सुरक्षित मान रहे हैं और यहीं छिप कर वह अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इन स्थितियों को देखते हुए शासन स्तर से स्लम बस्तियों की पड़ताल के आदेश हुए हैं। एक-एक बस्ती की तलाशी कर उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए कहा गया है। यहां रहने वालों को भी चिन्हित करने को कहा गया है।
कश्मीर तक फैली है चेन
अधिकारी का यह भी कहना है कि आतंकवादियों की चेन कश्मीर तक मिली है। इनके मुताबिक अंसार गजवातुल हिंद का सरगना उमर हलमंडी सीमावर्ती क्षेत्रों में ही सक्त्रिय रह कर वहीं से अपना नेटवर्क चला रहा है। कश्मीर के कई क्षेत्रों की जिक्त्र दोनों गिरफ्तार आतंकियों ने पूछताछ में किया है। यह भी पता चला है कि इनमें से मिनहाज कश्मीर गया भी है और उसने वहीं ट्रेनिंग ली थी।
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'' संदिग्ध बस्तियों की पड़ताल समय-समय पर होती रहती है। पुलिस इस मामले में एटीएस को पूरा सहयोग दे रही है। उनकी ओर से जो भी मदद मांगी जा रही है, उसे पूरा किया जा रहा है.''
असीम अरुण, पुलिस आयुक्त