स्कॉटलैंड की इस शराब में की मांग में आई इस तेज़ी से अब इसके दामों मे बढ़ौतरी होने की आशंका जताई जा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल के पहले नौ महीनों में 23 प्रतिशत से बढ़ते हुए ये आंकड़ा तीन अरब पाउंड तक पहुंच चुका है जबकि यह उद्योग हर सैंकड में 125 पाउंड कमा रहा है।
स्कॉटलेंड व्हिस्की एसोसिएशन के अनुसार सबसे अधिक स्कॉच का निर्यात अमरीका को किया जा रहा है। मात्रा के हिसाब से फ्रांस ने सबसे ज़्यादा यानि लगभग चार करोड़ लीटर स्कॉच निर्यात की जा रही है।
भारत पर निगाहें
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि स्कॉच की खपत बढ़ने का बड़ा कारण व्यापार करने में हुई आसानी है। उन्होंने कहा कि अगला निशाना यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार की बातचीत को सफल बनाना है। दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार भारत में इस स्कॉच के आयात पर 150 प्रतिशत शुल्क लगाए जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस उद्योग में पिछले पांच सालों में एक बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है जिससे इसकी क्षमता में काफी बढ़ौतरी हूई है। इनमें नई भट्टियाँ, उत्पादन में बढ़ौतरी और नई बॉटलिंग लाईनों का स्थापन करना शामिल है।
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