वो बेहद व्यस्त हैं और रोजाना उन्हें मीडिया घेरे रहता है। उन्हें अपने प्रायोजकों के कार्यक्रमों में शिरकत करनी होती है। उनका इंटरव्यू लेने के लिए जब मैं हैदराबाद स्थित उनके घर पहुंचा तो उनके ड्राइंग रूम में गुलदस्तों का अंबार लगा हुआ था।

साइना अपनी बड़ी बहन की छोटी बच्ची के साथ हंसी-मजाक कर रही थीं। खैर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। साइना, ओलंपिक में अपनी उपलब्धि से बेहद खुश हैं। हों भी क्यों ना। वो ओलंपिक में मेडल हासिल करने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

मेरे मेडल से मिलेगी प्रेरणा

साइना कहती हैं, "मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि मेरी उपलब्धियों की बदौलत भारत में लोगों की बैडमिंटन के प्रति दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। अब मां-बाप अपने बच्चों को बैडमिंटन खेलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारत में इस खेल की इस बदली हुई तस्वीर के लिए मैं अपने आपको क्रेडिट देना चाहूंगी."

साइना ने कहा कि उन्होंने साबित कर दिखाया कि बैडमिंटन में चीनी खिलाड़ियों के दबदबे को चुनौती दी जा सकती है। हालांकि साइना, स्वर्ण पदक से चूकने पर थोड़ी निराश जरूर हैं लेकिन उन्होंने माना कि कांस्य पदक जीतना भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

आंसू आ गए थे

उन्होंने कहा, "जब मैं पोडियम में खड़ी थी। और मुझे कांस्य पदक पहनाया गया। जब तिरंगा झंडा ऊपर जा रहा था और भारतीय दर्शक जोर जोर से मेरा नाम पुकार रहे थे, तब मैं अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई। ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा क्षण था। मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात थी."

 

साइना ने बताया कि लंदन ओलंपिक्स में उन्हें दर्शकों का जबरदस्त समर्थन मिला और उनके हर मैच के दौरान दर्शक जोर-जोर से साइना-साइना और भारत माता की जय जैसे नारे लगाते रहे, जिससे उन्हें ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि वो भारत से बाहर खेल रही हैं।

साइना का कांस्य पदक निर्धारण मैच में चीनी खिलाड़ी और विश्व नंबर 2 ज़िंग वैंग से था। जिसमें वैंग के घायल होने की वजह से साइना को जीता घोषित किया गया था और उन्हें कांस्य पदक मिल गया था। साइना ने कहा, "जिस तरह से मैं खेल रही थी मुझे पूरा यक़ीन था कि मैच पूरा होता तो मैं ही जीतती."

मेरी कॉम से प्रभावित

साइना ने कहा कि वो महिला बॉक्सर मेरी कॉम से भी बेहद प्रभावित हैं, जिन्होंने दो बच्चों की मां होने के बावजूद जबरदस्त दृढ़ संकल्प दिखाया और लंदन ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदक जीता।

क्या अगले ओलंपिक्स में साइना स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद रखती हैं। ये पूछने पर उन्होंने कहा, "अभी मैं अगले ओलंपिक्स के बारे में नहीं सोच रही हूं। मेरा ध्यान अभी जल्द ही शुरू होने वाले टूर्नामेंट्स पर है। अभी चार साल का वक्त है अगले ओलंपिक्स में."

साइना के कोच पी गोपीचंद ने भी माना कि साइना के मेडल जीतने के बाद से उनकी हैदराबाद स्थित पी गोपीचंद एकेडमी में बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को एडमिशन के लिए ला रहे हैं और उन्हें मजबूरन एडमिशन बंद करने पड़े हैं।

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