रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक गीता पर नहीं बल्कि इस पर लिखी गईं टिप्पणियों को लेकर विवाद था। ये टिप्पणियाँ इस्कॉन के संस्थापक एसी भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपाद ने की हैं। हरे कृष्णा गुट के वकील ने अदालत के फ़ैसले का स्वागत किया है और कहा है कि ये दर्शाता है कि रूस वाकई लोकतांत्रिक देश बन गया है।
रूस में हरे कृष्णा के अनुयायियों का कहना है कि ये मामला दरअसल उनकी गतिविधियाँ सीमित करने की रूसी चर्च की एक कोशिश है। इस पूरे मामले पर भारत में कड़ा विरोध हुआ है। इसकी गूँज पिछले दिनों संसद में भी सुनाई दी। भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने भारत में रूस के राजदूत एलेक्ज़ेंडर कदाकिन से शिकायत भी की थी।
इस मामले में सुनवाई जून में शुरु हुई थी और 19 दिसंबर को सुनवाई ख़त्म होनी थी। लेकिन रूस में मानावाधिकार संस्था के अनुरोध पर इसे 28 दिसंबर तक टाल दिया गया।
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