- रिसर्च डायरेक्टर बनाने में डिग्री कॉलेज के टीचर्स की हो रही अनदेखी
KANPUR: सीएसजेएम यूनिवर्सिटी ने रिसर्च डायरेक्टर की पोस्ट के लिए मानक बनाए हैं यह मानक टीचर्स के गले नहीं उतर रहे हैं। कानपुर विश्वविद्यालय शिक्षक महासंघ 'कूटा' ने इसका विरोध करते हुए वाइस चांसलर प्रो। डीआर सिंह को लेटर लिखा है। पीपीएन डिग्री कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य व कूटा अध्यक्ष डॉ। बीडी पांडेय ने बताया कि रिसर्च डायरेक्टर बनाने में डिग्री कॉलेज के टीचर्स की अनदेखी की जा रही है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के नियमानुसार ग्रेजुएशन के सिलेबस को पढ़ाने वाले टीचर पीएचडी स्टूडेंट के रिसर्च डायरेक्टर बन सकते हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी ने जो नियम बनाया है उसके अनुसार पोस्ट ग्रेजुएशन का सिलेबस पढ़ाने वाले टीचर ही रिसर्च डायरेक्टर होंगे। इसके अलावा सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में संचालित सेल्फ फाइनेंस कोर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी इस दायरे से बाहर किया जा रहा है।
कमेटी बनी
इसके विपरीत यूनिवर्सिटी कैंपस में संचालित सेल्फ फाइनेंस सिलेबस के टीचर्स को रिसर्च डायरेक्टर बनाए जाने के लिए कमेटी बना दी गई है। यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज सेल्फ फाइनेंस शिक्षकों के लिए दोहरी नीति गलत है। इसका असर शहर के डिर्ग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले 60 टीचर्स पर पड़ा है जो पहले रिसर्च डायरेक्टर रहे हैं।