-कानपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की 'पहल' को चिढ़ा रहे हैं चौराहों पर लगे ऑटोमैटिक ट्रैफिक सिग्नल्स
-कानपुर कॉलिंग पर डीजे-आई नेक्स्ट रीडर्स ने ट्रैफिक सिग्नल्स के प्रॉपर वर्क न करने की कई कम्प्लेन
- ट्यूजडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने किया कई चौराहों का किया रियेलिटी चेक, खुली पोल
>KANPUR: कानपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के पहले फेज में शहर के ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए की गई 'पहल' का दम निकल गया। ट्रैफिक सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए 32 करोड़ रुपए खर्च कर आईटीएमएस यानि इंट्रीगेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया गया। सिटी के 68 मुख्य चौराहों को ट्रैफिक सिग्नल्स और सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया। लेकिन, डेढ़ साल बीतने के बाद पब्लिक के 32 करोड़ रुपए पानी में बहते दिख रहे हैं। कानपुर कॉलिंग पर डीजे-आई नेक्स्ट रीडर्स की दर्जनों कम्प्लेंस आने के बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने आईटीएमएस का रियलिटी चेक किया। पता चला कि सिटी के दो चौराहों को छोड़ कर सभी की हालत जस की तस बनी हुई है। सिर्फ विजयनगर चौराहा और बड़ा चौराहा पर ही ई-चालान के डर से लोग सिगनल को फॉलो करते हैं। बाकी जगह सिर्फ दिखावे के लिए सिग्नल लगे हैं। इसके अलावा सिटी में इन सिग्नल लाइट्स का क्या यूज है? इसकी कम्प्लेंस सैकड़ों कानपुराइट्स ने दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट से कानपुर कॉलिंग पर की।
कैसे करें ट्रैफिक रूल्स फॉलो
हाल ही में ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करने वालों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है। इसके बाद सिटी के फजलगंज चौराहा, सीटीआई चौराहा, किदवईनगर चौराहा, गुरूदेव चौराहा, बड़ा चौराहा, मॉलरोड चौराहा आदि चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए डीएम, एसएसपी और एडीजी जैसे बड़े अधिकारी रोड पर उतरे और पब्लिक से ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने के लिए कहाइस दौरान हेलमेट और दूसरे ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करने पर चालान भी किए गए। पर कानपुराइट्स का कहना है कि ट्रैफिक सिग्नल सही तरीके से काम नहीं करते तो कैसे उसको फॉलो करें। हमने सिटी के अंदर स्थित चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल्स की स्थित देखी तो पाया कि 75 परसेंट चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल सिर्फ दिखावे के लिए लगे हैं।
गुमटी नंबर-5
इस चौराहे पर अक्सर वाहनों के आपस में उलझ जाने से जाम लगता है। इस चौराहे पर लगी सिग्नल लाइट्स सेट किए गए टाइम के अनुसार ही अपना कलर बदलती दिखीं। लेकिन, इसका यहां से गुजरने वालों वाहन सवारों पर कोई असर नहीं दिखा। सभी अपनी सुविधा अनुसार चौराहे के पार करते दिखे और कई बार जाम में उलझते भ्ाी रहे।
हैलट चौराहा-
हैलट चौराहे पर भी लाइटें तो लगी थीं, लेकिन वो जल नहीं रही थीं। यहां भी वाहन सवार अपनी मर्जी से आवागमन करते दिखे। चौराहे पर थोड़ी थोड़ी देर में जाम की स्थिति बनती रही। यहां वाहन सवारों के दिशा निर्देशन के लिए कोई ट्रैफिक सिपाही या होमगार्ड भी नजर नहीं आया।
पोस्टमार्टम चौराहा-
पोस्टमार्टम चौराहे के किनारे लाइन से शव वाहन खड़े होने से राहगीरों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। यहां चौराहे पर लगी लाइटें सेट टाइम के अनुसार ही जलती मिलीं। लेकिन, इनको वाहन सवार फॉलो करते नहीं दिखे।
मोतीझील चौराहा
मोतीझील चौराहे पर सिग्नल लाइट्स खराब पड़ी हुई थीं। हालांकि, चौराहे पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक को इशारों पर चलाती दिखी। राहगीरों ने बताया कि चौराहे पर लगी लाइट्स महीनों से खराब पड़ी हुई हैं। यहां अक्सर वाहनों का जाम लगता है।
वर्जन
चौराहों पर लाइटें क्यों व्यवस्थित ढंग से नहीं जल रही हैं, इसकी जांच कराई जाएगी। चौराहें पर सिग्नल लाइट्स फॉलो न करने वालों के चालान के निर्देश दिए गए हैं। आईटीएमएस का मेंटीनेंस करने वाली कंपनी को पत्र लिखा जाएगा।
-सुशील कुमार, एसपी ट्रैफिक
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- 32 करोड़ रुपए शहर की ट्रैफिक सिस्टम सही करने को खर्च किए गए।
- 68 चौराहों पर ऑटोमैटिक ट्रैफिक लाइट्स को सिस्टमैटिक किया गया था।
- 70 परसेंट चौराहों पर वाहन सवार फॉलो नहीं करते हैं सिग्नल लाइट्स।
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