कानपुर (ब्यूरो) जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की कोविड-19 लैब में आरटीपीसीआर जांच खास तरह की टेस्ट किट से की जा रही है। यह किट प्राइवेट लैबों की आरटीपीसीआर जांच में इस्तेमाल किए जाने वाली किटों से अलग है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ। विकास मिश्र बताते हैं कि कोविड-19 का नया वैरियेंट अफ्रीकन कंट्रीज में म्यूटेट होकर बना है। इसमें 50 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं। हमारी लैब जोकि बीएसएल-2 ग्रेड की लैब है।
पुणे से मंगाई जाती है किट
यहां आरटीपीसीआर जांच के लिए एनआईवी पुणे से मल्टी फ्लैक्स जीन किट मंगाई जाती है। कोरोना वायरस का डीएनए न्यूक्लियर कैप जीन,एनवेलप जीन, स्पाइक जीन और आउटर मेम्ब्रेन प्रोटीन से मिलकर बना होता है। जब वायरस को न्यूट्रिलाइज कर आरटीपीसीआर जांच की जाती है। तो जांच में एन जीन और ई जीन पॉजिटिव आते हैं। जबकि एस जीन अपने टारगेट से फेल जाता है। एस जीन का टारगेट फेल होना ही यह बताता है कि संक्रमण ओमिक्रॉन वैरियेंट से हुआ है। इसके बाद पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग भी कराई जाती है।
6 प्राइवेट लैबों में भी जांच
सिटी में कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए 4 तरह से जांच की जाती है। आरटपीसीआर जांच के अलावा एंटीजेन रैपिड कार्ड से जांच होती है.इसके अलावा ट्रू नॉट व सीबी नॉट मशीन से भी जांच की जाती है.हालांकि प्राइवेट लैबों में सबसे ज्यादा जांच आरटीपीसीआर मशीन से ही की जा रही है। अभी 6 प्राइवेट लैबों में इसकी जांच की सुविधा है। इसके अलावा एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में भी इनहाउस पेशेंट्स के लिए ट्रू नॉट से जांच की सुविधा है।