-आगरा एक्सप्रेस वे पर जनरथ बस हादसे में 30 पैसेंजर्स की मौत के बाद डीजे आई नेक्स्ट ने किया रोडवेज के हाल का रियलिटी चेक

- बिना आराम किए 16 से 18 घंटे तक बस चलाने को मजबूर हैं ड्राइवर, बसअड्डों पर ड्राइवर के आराम के लिए एक चारपाई तक नहीं

- बसों के नीचे सोते हैं ड्राइवर व कंडक्टर, बसों में भी तमाम खामियां, बिना मेंटिनेंस के जबरन रूट पर भेज दिया जाता है ड्राइवर को

- 90 फीसदी से ज्यादा ड्राइवर संविदा पर कर रहे हैं काम, विरोध करने पर संविदा खत्म करने की धमकी देते हैं सीनियर अफसर

KANPUR। न रातों को सुकून मिलता है, न दिन में चैन डिपो में आराम करने के लिए एक चारपाई तक नहींबिना रेस्ट 15 से 18 घंटे तक ड्राइविंगइन हालात में हादसे तो होंगे हीजिम्मेदार किसी को ठहरा दीजिए क्या फर्क पड़ता है? यह हकीकत बयां की है सरकार की झोली भरने वाले रोडवेज विभाग के ही एक ड्राइवर ने। विकास नगर डिपो में कार्यरत जनरथ बस के इस ड्राइवर ने बताया कि बस का स्टीयरिंग प्रेशर खराब है। मेंटिनेंस के लिए डिपो में अधिकारियों को बताय भी लेकिन बिना मरम्मत उसी बस से वाराणसी जाने के लिए जबरन भेज दिया।

बेबस हैं बेचारे ड्राइवर्स

लखनऊ अवध डिपो से दिल्ली जा रही जनरथ बस के आगरा एक्सप्रेस वे पर दुर्घटनाग्रस्त होने में 30 पैसेंजर्स की मौत के बाद डीजे आई नेक्स्ट की टीम ने कानपुर डिपो की जनरथ बसों का रियलिटी चेक झकरकटी बस अड्डे पर किया। जो हालात दिखाई दिए बेहद शॉकिंग थे। बसों की हालत काफी खराब थी। स्पीड कंट्रोलर लगा नहीं था। गियर, मीटर, स्टीयरिंग की हालत भी जर्जर। फ्रंट मिरर भी टूटा हुआ था। फिर बस अपने अगले सफर पर निकलने को तैयार थी।

नहीं पूरी हो पाती है नींद

रोडवेज के नियमों के मुताबिक, 1100 किमी से अधिक दूरी पर जाने वाली बसों में डबल ड्राइवर व एक कंडक्टर रखा जाता है। इसके अलावा दिल्ली, वाराणसी अन्य लोकल रूट पर एक ड्राइवर व कंडेक्टर ही लगाया जाता है। रूट पर जाने के बाद इनको पल भर का आराम नहीं मिलता है। झकरकटी बस अड्डे से 8 से 9 घंटे की ड्राइविंग कर दिल्ली पहुंचने वाले ड्राइवर को एक घंटे रेस्ट करने के बाद दोबारा कानपुर के लिए रवाना होना पड़ता है। लगातार 18 घंटे ट्राइविंग करने वाले ड्राइवर इसकी कारण नींद लगने से दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

क्या करें, नौकरी तो करनी है

झकरकटी बस अड्डे में रियलिटी चेक के दौरान एक ड्राइवर ने बताया कि रोडवेज में लगभग 90 प्रतिशत ड्राइवर संविदा कर्मचारी हैं। त्योहार के दौरान ड्राइवर की कमी होने व बसों की संख्या बढ़ जाने की वजह से कभी-कभी रूट से लौटते ही जबरन वापस भेज दिया जाता है। मना करने पर संविदा खत्म करने की धमकी दी जाती है। इन परिस्थितियों में ड्राइवर को न चाहते हुए भी बस लेकर जाना पड़ता है।

बॉक्स

एक घंटे के बाद 600 रुपए जुर्माना

विकास नगर डिपो की जनरथ बस चलाने वाले एक ड्राइवर ने बताया कि आनंद विहार डिपो में एक घंटे तक ही रुकने की अनुमति होती है। अगर कोई ड्राइवर वाहन खड़ा कर वहां पर आराम करने लगता है तो उसका 600 रुपए का जुर्माना लगा दिया जाता है। यानि कानपुर से बस लेकर दिल्ली आनंद विहार जाने वाला ड्राइवर को वहां से एक घंटे के अंदर ही फिर बस लेकर कानपुर के लिए रवाना हो जाता है। ऐसे में उस ड्राइवर की हालत का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। उसके पास बिना आराम किए 16-18 घंटे तक ड्राइविंग करने के सिवा कोई चारा नहीं है।

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10 जनरथ बसें कानपुर से चलती हैं रोजाना

400 से अधिक नॉन एसी बसों का संचालन

32 एसी बसें भी झकरकटी से चलती हैं रोज

40 हजार पैसेंजर्स का रोजाना आवागमन

1000 से अधिक बसें झकरकटी से पास होती हैं

1 घंटे रुकने की अनुमतिआनंद विहार बस अड्डे में

वर्जन

जनरथ एसी व नॉन एसी बसों के मेंटीनेंस में कोई लापरवाही नहीं बरती जाती है। अगर ऐसा होता है तो मामले की जांच करवा कार्रवाई की जाएगी। साथ ही झकरकटी बस अड्डे के डेवलपमेंट के लिए शासन ने फैसला लिया है। जिसमें ड्राइवर के लिए भी विभिन्न सुविधाओं से लैस रेस्ट रूम बनाया जाएगा। जिससे पैसेंजर्स सुरक्षित सफर कर सकें।

अतुल सक्सेना, आरएम, रोडवेज कानपुर रीजन