कानपुर (ब्यूरो)। बारिश ने उखड़ रही सड़कों के घाव और हरे कर दिए है। हालत यह है कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी की कहावत सुनते होगे यह कहावत इन खतरनाक सड़कों पर वाहन चालकों के लिए सही साबित हो रही है। आधा फीट से लेकर दो फीट तक गड्ढे, फैली बजरी और उड़ती धूल में रोज वाहन फंसते है। जाम लगा रहता है। उबड़-खाबड़ सड़कों पर वाहन चालने से हड्डी के मरीज और धूल से आंखों के मरीज बढ़ रहे है। प्रदूषण फैलने से सांस लेना लोगों का दूभर हो रहा है। वहीं भारी वाहनों के ओवर टेक होने के चलते दोपहिया वाहन चालकों के गिरने के खतरा रहता है.ये स्थिति शहर की लाइफ लाइन सड़कों का है बाकी की हालत का अंजादा आप लगा सकते है।
इन सड़कों पर केवल और केवल बचे हैं गड्ढे
शहर की व्यस्त सड़क आईआईटी से गोल चौराहा, गोल चौराहा से रामादेवी चौराहा, टाटमिल पुल से बाबूपुरवा होते हुए यशोदा नगर, गीता नगर क्राङ्क्षसग से नमक फैक्ट्री तक, देवकी टाकीज से काकादेव थाना होते हुए आईटीआई पांडुनगर तक, पीरोड से जरीब चौकी, रामबाग चौराहा से 80 फीट होते हुए गुमटी क्राङ्क्षसग तक, कोकाकोला चौराहा से कौशलपुरी होते हुए मरियमपुर चौराहा, कर्रही से नौबस्ता सीओडी गेट से सुजातगंज होते हुए श्यामनगर तक समेत कई सड़कों में अब केवल गड्ढे ही गड्ढे बचे है।
ओवरटेक करने पर हो रहे हादसे
स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़कों की हालत ये है कि जरा से चूक तो चुटहिल होना तय है। बारिश से पहले गडढों से बचते थे अब फैली बजरी और धूल से भी बचना पड़ता है। वहीं चौपहिया वाहन और अन्य वाहन निकलने के दौरान किनारे की तरफ खड़े हो जाते है। भारी वाहन के बगल में वाहन चलाते समय पता नहीं कब वह गड्ढे से बचने के लिए ओवर टेक करे और दुर्घटना हो जाए धीमे वाहन चलाने के कारण जाम भी लगता है। साथ ही ईधन का भी खर्च हो रहता है। सबसे ज्यादा हालत शरीर की खराब हो रही है। झटके खाने से कमर दर्द बढ़ गया है। आंखों में धूल जाने से देखने में दिक्कत होती है। साथ ही वाहन भी जल्दी खराब हो रहे है।