कानपुर(ब्यूरो)। कल्याणपुर में रहने वाली शिखा और उसका पति मुकेश (बदला हुआ नाम) के बीच आए दिन झगड़े होते थे। शादी के सात साल बाद शिखा ने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। कई बार मीडिएशन कराया गया फिर भी बात नहीं बनी तो पुलिस ने मुकेश के खिलाफ केस रजिस्टर्ड कर लिया। मुकेश के खिलाफ फैमिली कोर्ट में सात अलग-अलग धाराओं में केस चल रहे है। इसी दौरान मुकेश ने पत्नी के खिलाफ भी चार अलग-अलग धाराओं में केस दाखिल किये । एक मामूली बात से शुरू हुआ झगड़ा अब 11 केस में तब्दील हो गया। हर बार कोर्ट की डेट पर दोनों काम काज छोड़ फैमिली कोर्ट पहुंच रहे। देखते देखते तीन साल बीत गए और अब उनका बच्चा भी सफर कर रहा है.
हर साल दर्ज होते है करीब पांच हजार केस
छोटी छोटी बात पर कपल के बीच विवाद इस कदर बढ़ रहा है कि मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल फैमिली कोर्ट में पांच हजार मामले आ रहे है। जिनकी सुनवाई में काफी वक्त भी लगता है। इस दौरान कपल को कोर्ट के चक्कर के साथ आर्थिक, मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी काफी नुकसान होता है। घरेलू विवाद के मामले में कपल के साथ-साथ उनके फैमिली मेंबर्स भी परेशान होते है। घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीडऩ के मामले में पति के साथ-साथ ससुराल वालों के नाम भी एफआईआर में डाले जाते है।
महिलाओं ने है इन धाराओं में दर्ज कराये केस-
धारा 497 ए - महिलाएं पति पर उत्पीडऩ की धारा में केस दर्ज करातीं है
घरेलू हिंसा - इसके तहत पत्नी पति व ससुराल वालों पर मारपीट का आरोप लगाकर केस दर्ज कराई है। इस मामले में सबसे ज्यादा केस दर्ज होते है
धारा 9 - हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत टूटती शादी को बचाने का एक मौका और मिल जाए मुख्य रूप से यह अधिकार पति और पत्नी दोनों के पास में होता है वैसे किसी भी पत्नी को अपने पति से तलाक लेने के 13 अधिकार मिले हैं.
धारा 13 (ए) वैवाहिक अधिकारों की बहाली, वैवाहिक दायित्वों को फिर से शुरू करने पर जोर देती है। एक वर्ष के लिए वैवाहिक अधिकारों की बहाली नहीं हुई है, तो पति या पत्नी तलाक के लिए दर्ज कर सकते हैं.
धारा 12- घरेलू हिंसा की शिकार को मुआवजा दिया जा सकता है और उसके पक्ष में कुछ सुरक्षात्मक आदेश भी दिए जा सकते हैं.
धारा 420 - इस धारा में पत्नी पति के खिलाफ धोखाधड़ी के तहत केस दर्ज कराई है। कई बार पति के छिपाने वाले कई राज को लेकर आरोप के आधार पर केस दर्ज करा सकती है.
पति भी दर्ज करा सकते है इन धाराओँ में केस-
धारा 9 - हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत टूटती शादी को बचाने का एक मौका और मिल जाए मुख्य रूप से यह अधिकार पति और पत्नी दोनों के पास में होता है वैसे किसी भी पति को अपने पत्नी से तलाक लेने के 13 अधिकार मिले हैं.
धारा 13 (ए) वैवाहिक अधिकारों की बहाली, वैवाहिक दायित्वों को फिर से शुरू करने पर जोर देती है। एक वर्ष के लिए वैवाहिक अधिकारों की बहाली नहीं हुई है, तो पति या पत्नी तलाक के लिए दर्ज कर सकते हैं.
धारा 10- पति या पत्नी में से कोई भी न्यायिक अलगाव के लिए धारा 10 के तहत कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। तलाक के विपरीत, पक्षों के लिए एक वर्ष की अवधि के लिए एक साथ रहने की आवश्यकता नहीं है। विवाह के दौरान किसी भी समय न्यायिक अलगाव की मांग की जा सकती है.
धारा 420 - यह सामान्य आईपीसी की धारा के तहत धोखाधड़ी का मामला है। जिसमें संपत्ति, विश्वास या किसी अर्जित चीज को धोखे से लेना.
एक नहीं कई बार मिलता है मौका
कपल के बीच विवाद को सुलझाने के लिए उन्हें एक नहीं कई बार मौका मिलता है। पहले स्तर पर पुलिस से और दूसरे स्तर पर कोर्ट से। लिखित शिकायत करने पर पुलिस आरोप की विवेचना से पहले पति पत्नी के बीच तीन बार संबंधित महिला थाना में मीडिएशन कराई है। तीन बार मीडिएशन फेल होने पर उन्हें केस दर्ज कर कोर्ट भेज दिया है। कोर्ट में भी कई बार मीडिएशन कराया जाता है। कई तारीख के बाद भी समझौता नहीं होता है तो उन धाराओं के तहत सुनवाई की जाती है.