- सभी को-आपरेटिव बैंकों के बेसिक सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स को भी मिलेंगी मार्डन बैकिंग फैसेलिटीज
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया नोटिफिकेशन, एक सितंबर 2019 से लागू हो जाएगी गाइडलाइन
KANPUR: को-ऑपरेटिव बैंकों के हजारों सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स को आरबीआई ने नई मजबूती दी है। नेशनलाइज्ड बैंकों की तरह को-ऑपरेटिव बैंकों के सेविंग्स अकाउंट्स पर मिलने वाली बेसिक मिनिमम फैसेलिटीज को बढ़ा दिया गया है। आरबीआई ने सभी नेशनल और स्टेट के अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को सर्कुलर जारी करते हुए। बैंकों को ज्यादा माडर्न बनाने का खाका भी तैयार किया है। जिससे इन बैंकों के अकाउंटहोल्डर्स को भी कई माडर्न सुविधाएं मिलेंगी। जिसके लिए उन्हें कोई अलग से चार्ज नहीं देना पड़ेगा। मालूम हो कि अभी को-ऑपरेटिव बैंको के बीएसबीडी अकाउंट्स में अकाउंट होल्डर्स को सिर्फ मिनिमम बैलेंस रखने को लेकर ही छूट मिलती है, लेकिन आरबीआई ने नया सर्कुलर जारी करते हुए इन फैसेलिटीज में इजाफा कर दिया है।
ये मिनिमम बेसिक फैसेलिटीज मिलेंगी
- एटीएम और डिपॉजिट मशीनों के जरिए नकदी जमा की सुविधा
-इलेक्ट्रानिक मनी ट्रांसफर जैसे आरटीजीएस और निफ्ट की सुविधा
- एक महीने में कैश डिपॉजिट करने की कोई लिमिट नहीं होगी
- महीने में खाताधारक के कैश विड्रॉल की कोई लिमिट नहीं रखी गई
- महीने में कम से कम 4 बार एटीएम विदड्रॉल की मुफ्त सुविधा
- अकाउंट होल्डर को एटीएम कार्ड की फैसेलिटी
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नहीं खोल सकेंगे दूसरा सेविंग्स अकाउंट
को-ऑपरेटिव बैंकों में सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स को नई फैसेलिटीज के साथ कुछ लिमिटेशंस को भी ध्यान में रखना होगा। आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक अगर किसी शख्स का कोऑपरेटिव बैंक की ब्रांच में एक सेविंग अकाउंट पहले से ही है तो वह दूसरा सेविंग अकाउंट नहीं खोल सकेगा। इन बैंकों अपने अकाउंट होल्डर्स को वैल्यु एडेड सर्विसेस मुहैया कराने की छूट होगी। जैसे चेकबुक या पासबुक इश्यू करना। वहीं बेसिक सेविंग बैंक अकाउंट खोलने के लिए एक सामान्य बैंक की ही तरह केवाईसी की सभी नॉर्म्स को पूरा करना होगा। आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर नीरज निगम की ओर से जारी इस सर्कुलर की सभी गाइडलाइंस एक सितंबर 2019 से लागू होगी।
कानपुर को बड़ा फायदा
अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों में सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स को बेसिक मिनिमम फैसेलिटीज में इजाफा करने के फैसले का कानपुराइट्स को भी बड़ा फायदा मिलेगा। कानपुर में अभी 20 से ज्यादा कोऑपरेटिव बैंकों की ब्रांचेज हैं जिसमें हजारों लोगों के अकांउट्स हैं। इनमें से जिला सहकारी बैंक से लेकर कई और कोऑपरेटिव बैंकों का कारोबार करोड़ों का है, लेकिन इन बैंकों की ब्रांचों में अकाउंट होल्डर्स को माडर्न बैकिंग फैसेलिटीज नहीं मिल पातीं।
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20 से ज्यादा कोऑपरेटिव बैंकों की ब्रांचेज हैं कानपुर में
50 हजार के लगभग एकाउंट होल्डर्स हैं इन ब्रांच में
1 सितंबर 2019 से लागू होगी आरबीआई की गाइडलाइंस