अमरीका के न्यूजर्सी राज्य के जर्सी सिटी शहर के इतिहास में भारतीय मूल के अमरीकी राज मुखर्जी सबसे कम उम्र के डिप्टी मेयर बन गए हैं। किसी सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह राज मुखर्जी अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, "मैं तो बहुत गर्व महसूस कर रहा हूँ। मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात है कि जिस शहर को मैं चाहता हूं, जहां रहता हूं, काम करता हूं, उसके विकास के लिए मेयर मुझे मौका दें, मैं तो बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं."
सिर्फ़ 27 साल की उम्र में इस महीने उन्होंने पद और गोपनीयता की शपथ ली। लेकिन डिप्टी मेयर के इस पद पर जो एक लाख 10 हज़ार डॉलर की सालाना पगार मिलती है उसे भी उन्होंने लेने से मना कर दिया है और सिर्फ़ एक डॉलर की सालाना पगार पर वह काम कर रहे हैं।
इसके अलावा वह शहर से किसी प्रकार की सुविधा तक नहीं ले रहे हैं। न कार, न घर।
मेयर जेरेमाया हीली के दो उप मेयरों में से एक की हैसियत से राज मुखर्जी शहर के प्रशासन में खासकर आर्थिक नीतियों को भी बनाने में मेयर की मदद करते हैं। इसके अलावा मेयर का प्रतिनिधित्व करने के लिए वह शहर के विभिन्न कार्यक्रमों में जाते हैं।
बिना पगार
वैसे छोटी उम्र में किसी बड़े पद पर नियुक्ति उनके लिए कोई नई बात नहीं है। डिप्टी मेयर के पद पर नियुक्ति से पहले राज मुखर्जी जर्सी सिटी शहर के हाउसिंग प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। और उस पद पर भी सिर्फ़ 24 साल की उम्र में उनकी नियुक्ति हुई थी। और हां तब भी उन्होंने कोई पगार नहीं ली थी। लेकिन यह सब मुमकिन कैसे हुआ कि बिना पगार लिए नगर प्रशासन में काम करें। और आखिर क्यों ?
राज मुखर्जी कहते हैं, "मुझे लगा कि जब आर्थिक मंदी के दौर में मैं सरकारी कर्मचारियों से और शहरवासियों से सेवाओं की कटौती के मामले में कह रहा हूं कि वह बलिदान दें तो शुरूआत खुद मुझे करनी चाहिए, और इसीलिए मैंने सोचा कि मैं केवल एक डॉलर प्रति वर्ष की पगार पर काम करूंगा जिससे शहर के आर्थिक बोझ उठाने में थोड़ी मदद हो सके."
शुरुआत
राज मुखर्जी ने 15 साल की उम्र में ही एक इंटरनेट कंपनी शुरू की जिससे उनको काफ़ी फ़ायदा हुआ। फिर 2001 के चरमपंथी हमलों के बाद उन्होंने अपनी कंपनी बेच दी और अमरीकी फ़ौज में शामिल हो गए, और मिलिट्री इंटेलिजेंस में काम किया।
साल 2003 में उन्होंने 19 वर्ष की आयु में ही अपनी एक लॉबींग कंपनी और प्रापर्टी डेवेलपमेंट की कंपनी भी शुरू की जिसके ज़रिए उन्होंने काफ़ी धन कमाया और अपनी पढाई भी जारी रखी। राज मुखर्जी को 2004 में गवर्नर कोरज़ाईन ने मिलिट्री बोर्ड का सदस्य बनाया।
अपनी लॉबींग कंपनी के ज़रिए राज मुखर्जी राज्य और केंद्रीय स्तर पर विभिन्न कंपनियों के लिए लॉबींग करने लगे जिसमें कई प्रकार के मुद्दों और विषयों पर राज्य सरकार या केंद्र सरकार की नीतियों में बदलाव करने की कोशिश की जाती है।
उन्होंने कई मुद्दों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के मामले में नीतियों को लेकर लॉबींग की। जिसने उन्हें सत्ता के गलियारों, राजनीतिज्ञों और नीति निर्धारण के दाँव पेंचों से परिचित करवाया। और इसी के दौरान उनको राजनीति में मज़ा आने लगा। राज मुखर्जी के काम और प्रतिभा से प्रभावित होकर जर्सी सिटी के मेयर ने 2008 में उन्हें हाउसिंग अथॉरिटी का चेयरमैन नियुक्त कर दिया।
उभरता सितारा
राज कहते हैं, "राजनीति और नीति निर्धारण में तो मुझे बहुत मज़ा आता है। पहले तो हम लोग सरकार के बाहर रहकर नीतियों को बनाने में मदद करते थे, 2008 में हाउसिंग अथोरिटी के चेयरमैन की हैसियत से सरकार के साथ मिलकर नीतियां बनाईं, और अब प्रशासन का हिस्सा होकर नीतियां बना रहे हैं."
डिप्टी मेयर के पद पर अपने काम के बारे में वह कहते हैं कि मेयर समेत अन्य अनुभवी लोगों के साथ वह काम के दौरान कोशिश करते हैं कि अनुभवी लोगों और युवाओं दोनों के विचारों का प्रयोग किया जाए।
लेकिन वह यह भी नहीं पसंद करते हैं कि युवाओं की जोखिम लेने की आदत को सिरे से ही नकार दिया जाए। वह कहते हैं कि जोखिम से इंसान सीख लेता है और अगर सोच समझ कर फ़ायदे के लिए जोखिम उठाया जाए तो गलत नहीं है।
लेकिन अब डिप्टी मेयर के पद पर होने के बाद क्या उन्होंने अमरीका में आगे राजनीति के क्या ख्वाब देखे, इस सवाल पर वह ठंडी सांस भर के कहते हैं, "मैं अपने करियर के बारे में कोई बड़ी योजना नहीं बना रहा हूं। मैं तो अभी सिर्फ़ अपने शहर के प्रशासन पर पूरा ध्यान दे रहा हूं। जैसे-जैसे मौके या चुनौतियां आती जाएंगी तब ही फैसले लूंगा। राजनीति और अपने बिज़नेस में मैंने यह सीखा है."
राज मुखर्जी को अमरीका में भारतीय मूल के उभरते सितारे के तौर पर भी देखा जा रहा है। खुद जर्सी सिटी प्रशासन में भी उनको स्टार की हैसियत से देखा जा रहा है।
राज के माता-पिता और दो बड़े भाई तो उनकी कामयाबी पर बहुत खुश हैं लेकिन यह ज़रूर कहते हैं कि जब वह तनख़्वाह नहीं ले रहे हैं तो अपने खर्चे ज़रूर कम कर लें।
कोलकाता से अमरीका
1985 में भारत के कोलकाता में जन्मे राज मुखर्जी सिर्फ़ तीन साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ अमरीका आ गए थे। उनके पिता अकाउंटेंट थे, लेकिन जब राज मुखर्जी नवीं कक्षा में ही थे तो उनके पिता का स्वास्थ्य बिगड़ गया और वह काम न कर पाने के कारण स्वास्थ्य इंश्योरेंस का लाभ भी न उठा सके।
मजबूरन उनके माता-पिता को भारत वापस जाना पड़ा। उस समय राज मुखर्जी की उम्र 15 साल थी और वह अमरीका में ही रुक गए। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने एक इंटरनेट कंपनी शुरू कर दी थी और अब भी उनकी पढ़ाई और काम जारी हैं।
वह कई सालों से कोलकाता नहीं गए हैं लेकिन कोलकाता में गुज़ारे दिनों को याद करके वह कहते हैं कि उन्हे उनके दादा-दादी और अन्य रिश्तेदार याद आते हैं। खाने में मिष्टी दोई और अन्य बंगाली मिठाइयां भी उन्हें याद आती हैं जो वह रामपुर हाट के अपने घर के पास की दुकानों में खाया करते थे।
इतने सालों में जब भी वह भारत गए कोलकाता में अपने परिवार वालों से ही मिलने में समय बीता। खासकर छतरागाछी इलाके में जहां वह अपने चाचा के साथ मछली पकड़ने जाते थे। अब वह जल्द ही फिर कोलकाता जाना चाहते हैं।
वैसे राज मुखर्जी जो गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर और गांधी जी को अपना हीरो मानते हैं, वर्तमान भारत में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के फ़ैन हैं, और उनके कई दशकों के राजनीतिक करियर से बहुत प्रभावित हैं।
हां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को वह कुछ राय देते हुए कहते हैं। "पश्चिम बंगाल में आधुनिकीकरण करने की और रिश्वतखोरी खत्म करने की ज़रूरत है जिससे राज्य में लोग निवेश करें। मुझे दुख होता है कि कोलकाता का विकास नहीं हो रहा है, अब कोलकाता को फिर पहले जैसे औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में वापस ले आना चाहिए."
लेकिन वह खुद फिलहाल डिप्टी मेयर की हैसियत से अपने शहर जर्सी सिटी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं जहां वह अधिक से अधिक निवेश और नौकरियों में बढ़ोत्री के लिए काम कर रहे हैं।
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