कानपुर (ब्यूरो)। शरीर को स्वस्थ रखने के साथ किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कृषि विभाग जिले में बड़े पैमाने पर रागी(मडुवा) की फसल कराएगा। इसे अफ्रीकन रागी, ङ्क्षफगर बाजरा और लाल बाजरा के नाम से भी जाना जाता है इसके दानों में खनिज पदार्थों की मात्रा बाकी अनाज फसलों से अधिक पाई जाती है। मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए प्रथम चरण में 590 किसानों को बीज की किट विभाग मुहैया कराएगा जिससे किसान इस फसल को तैयार कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें।


58 प्रतिशत उत्पादन अकेले भारत में
रागी (मडुवा) फसल का पूरे विश्व में करीब 58 प्रतिशत उत्पादन अकेले भारत में ही होता है इसके पौधे एक से डेढ़ मीटर ऊंचे होते है, वैसे तो यह 110 दिन की फसल है लेकिन सही तरीके से देखरेख करने पर पूरे वर्ष पैदावार मिलती है। उप निदेशक कृषि विनोद कुमार यादव ने बताया कि रागी के दानों में कैल्शियम की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसके चलते इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होतीं हैं। यहच् बच्चों और बड़ों दोनों के लिए ही उत्तम आहार होता है। प्रोटीन, रेशा, वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है, इसके अलावा थायमीन, नियासिन, रिवोफ्लेविन जैसे अम्ल भी इसमें पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। रागी के आटे से साधारण रोटी, डबल रोटी और डोसा बनाया जाता है इसके दानों को उबालकर भी खा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसान रागी की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के रूप में इसका जिले में पहली बार उत्पादन कराए जाने पर जोर दिया जाएगा। किसानों को फसल का महत्व समझाने के लिए प्रथम बार निश्शुल्क मिनी किट के रूप में चार चार किलो बीज दिया जाएगा।


खेतों की ऐसे करें तैयारी
जिला कृषि अधिकारी डा। उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि खेतों में खड़ी गेहूं आदि की फसलों को काटने के बाद एक अथवा दो बार गहरी जोताई करें। खरपतवार हों तो उन्हें नष्ट कर दें। बारिश का मौसम शुरू होते ही एक दो बार जोताई कर खेत को बराबर कर दें। फसल ऐसे खेत में बोएं जिसमें पानी भरने न पाए क्योंकि जलभराव वाली भूमि में पौध नष्ट हो जाती है। गर्म जलवायु में इसके चैधे अच्छे से वृद्धि करते है और सर्द जलवायु से पहले ही कटाई कर लेनी चाहिए। फसल के लिए सामान्य बारिश की आवश्यकता होती है। 7 रागी के पौधे 35 डिग्री तापमान र अच्छे से विकास करते हैं।