कानपुर (ब्यूरो) न्यू एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन में दुर्घटना में घायल होने वाले पैसेंजर्स को ट्रीटमेंट देने की बेहतर सुविधा होगी। इसके अलावा रेस्क्यू में यूज होने वाले उपकरण भी हाईटेक है। वर्तमान में एआरटी में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के उपकरण होने से रेस्क्यू करने में रेलवे स्टॉफ को थोड़ी समस्या होती है। वहीं घंटों चलने वाले रेस्क्यू के दौरान अधिकारियों के रेस्ट करने के लिए कुछ सुविधाएं दी गई है।


दिल्ली-हावड़ा व डीएफसी ट्रैक
एनसीआर सीपीआरओ डॉ। शिवम शर्मा ने बताया कि दिल्ली-हावड़ा रूट में पैसेंजर्स ट्रेनों के अलावा बीते कुछ वर्षों में डीएफसी में भी बड़े हादसे हो चुके हैं। जिसके बाद रेलवे को रूट क्लियर करने में काफी समय लगा था। इस समस्या को देखते हुए न्यू एआरटी कानपुर को दी गई है। जिससे दुर्घटना के दौरान कम समय में रेस्क्यू करने के साथ रूट को जल्द से जल्द क्लियर कराया जा सके।


घंटों फंसी नहीं रहेंगी ट्रेनें
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक तीन माह पूर्व ही कानपुर-प्रयागराज के बीच फतेहपुर में कैटल रन ओवर की घटना की वजह से ओएचई प्रभावित हो गई थी। जिससे कानपुर-प्रयागराज डाउन रूट लगभग 10 घंटे तक प्रभावित रहा था। ऐसी घटना इटावा के पास एक वर्ष पूर्व हुई थी। जिसमें 10-10 घंटे ट्रेनें फंसी रही थी। ट्रेन में जर्नी करने वाले पैसेंजर्स भूख व प्यास से बेहाल हो गए थे। न्यू एआरटी के आने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हुआ ट्रैक जल्द क्लियर होगा। जिससे पैसेंजर्स को परेशानी नहीं फेस करनी पड़ेगी।


मीटिंग रूम से लेकर आफिस भी
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक न्यू एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन में मेडिकल सुविधा के साथ आफिसर्स मीटिंग के लिए एक आफिस बनाया गया है.जहां वह रेस्क्यू की प्लानिंग करने के साथ ही रेलवे के सीनियर अधिकारियों संग रणनीति पर भी चर्चा कर सकते हैं।


कानपुर में अब दो एआरटी
कानपुर में नई एआरटी आने के बाद कुल दो एआरटी हो चुकी है। इससे रेलवे को काफी लाभ मिलेगी। उदाहरण के तौर पर अगर एक ही दिन कानपुर के आसपास दिल्ली-हावड़ा रूट व डीएफसी ट्रैक में ट्रेन एक्सीडेंट या डिरेलमेंट हो जाता है। जो दोनों स्थानों पर कानपुर से एआरटी भेजी जा सकती है।

कोट
न्यू एआरटी कानपुर को एलॉट की गई है। यह आधुनिक सुविधाओं से लैस है। जिससे एआरटी टीम को रेस्क्यू करने में काफी आसानी होगी। साथ ही पहले की अपेक्षा कम समय में टीम रेस्क्यू कर सकेगी।
डॉ। शिवम शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआर