अधिकारियों का दावा है कि झाड़ू ऐसे लगाए जा रहे हैं कि चलती ट्रेन की छत से रगड़ते जाएं, यानि छत पर बैठनेवाले झाड़ू की चपत से न बच पाएं। इंडोनेशिया के सरकारी रेलवे के अधिकारी अहमद सुजादी ने कहा, “इसके बाद भी कोई छत पर बैठेगा तो ये झाड़ू चाबुक की तरह लगेंगे.”
इंडोनेशिया में हर वर्ष दर्जनों लोग ट्रेन की छतों पर बैठकर सफ़र करने की वजह से दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। सरकार के इन उपायों के आलोचकों का मानना है कि असल परेशानी ट्रेन में बैठने की कम जगह है। जिसकी वजह से लोगों के पास छत पर सफ़र करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
कंक्रीट गोलियों का आघात
कंक्रीट की गोलियां यात्रियों को छत पर सफ़र करने से रोकने में काफ़ी कामयाब रहीं इस चलन को रोकने के लिए इससे पहले भी इंडोनेशिया सरकार ने अलग-अलग अनोखे तरीके आज़माए थे।
इनमें छत पर सफ़र करनेवाले यात्रियों पर तेज़ धार से रंग की बौछार करने और महक से लोगों का पीछा करनेवाले खोजी कुत्तों का इस्तेमाल शामिल है।
सबसे ताज़ा था, कुछ जगहों पर रेलवे लाइन के ऊपर अंगूर के आकार की कंक्रीट की गोलियां लटकाना ताकि नीचे से ट्रेन गुज़रने पर वो यात्रियों के सर से टकराएं।
कंक्रीट की गोलियों से जानलेवा आघात होने के डर से ये कारगर रहा जिसके बाद रेलवे अधिकारियों ने झाड़ू के इस्तेमाल की योजना सामने रखी। इसे सबसे पहले राजधानी जकार्ता और जावा के बोगोर शहर के बीच की रेलवे लाइन पर लागू किया जा रहा है।
अहमद सुजादी के मुताबिक सुरक्षा के इन अजीब तरीकों की आलोचना उन्हें परेशान नहीं करती। सुजादी ने कहा, “कुछ लोग इसे अमानवीय बताते हैं पर मुझे लगता है ट्रेन की छत पर लोगों को सफ़र करने देना उससे ज़्यादा अमानवीय है.”
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