कानपुर(ब्यूरो)। सुस्त पुलिसवाले कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की इज्जत धोने में लगे हैं। शासन से पहले ही यहां के परफार्मेंस के बारे में वेरी पुअर का रिमार्क दिया जा चुका है। साथ ही क्राइम ग्राफ बढऩे की वजह से रही सही साख भी खत्म हो रही है। सुस्त पुलिसवालों का हाल यह है कि यूपी कॉप पोर्टल पर आधे से ज्यादा मामलों की एंट्री ही नहीं की। ऐसे में पुलिस का गुडवर्क भी शासन के सामने नहीं आ सका। सुस्त पुलिसकर्मियों की लिस्ट में 88 नाम है। जिनको कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए डीजी ने टिप्पणी की है कि &आपकी इस लापरवाही की वजह से यूपी पुलिस का सिर नीचा हो गया, क्यों न आपको बर्खास्त किया जाए&य। सुस्त पुलिसकर्मियों में दो महिला इंस्पेक्टर, चार महिला दरोगा व चार महिला सिपाही भी है।
परफॉर्मेंस में वेरी पुअर
कुछ महीने से कानपुर कमिश्नरेट की परफार्मेंस शासन की नजर में &वेरी पुअर&य साबित हो रही है। कभी क्राइम ग्राफ लगातार बढऩे, कभी जन शिकायत और समस्या का समाधान न करने, कभी क्राइम वर्कआउट न करने तो कभी समय से चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट न लगने के अलावा भी अनुशासनहीनता समेत तमाम वजहें सामने आईं। साथ ही एक बड़ी वजह बताई गई कि थानेदार शिकायतकर्ताओं से ठीक से बात नहीं करते हैं। थाना स्तर पर होने वाली इन छोटी-छोटी तमाम गलतियों की वजह से शासन में पुलिस की तमाम फजीहत हुई।
कमिश्नरेट पुलिस की फजीहत
मुख्यालय को उत्तर देने के साथ ही कमिश्नरेट में तैनात सीनियर ऑफिसर्स ने सूझ-बूझ से काम लिया। मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने के बाद शहर के सभी थानों में जांच की गई, थानों को ओआर (मासिक इनवेस्टिगेशन) किए गए। अब जो रिपोर्ट सामने आई, उसे देखकर कमिश्नरेट के पैरों तले जमीन खिसक गई। मुख्यालय भेजी गई रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि थानों और विभिन्न सेल्स में तैनात सुस्त पुलिस कर्मियों ने यूपी कॉप में आधे से ज्यादा मामलों की इंट्री ही नहीं की थी, जिसकी वजह से क्राइम ग्राफ तो बढ़ ही रहा था साथ ही कमिश्नरेट पुलिस की फजीहत भी हो रही थी।
दर्ज करनी होती हर गतिविधि
यूपी में क्राइम का आंकड़ा मेंटेन रखने के लिए हर छोटा बड़ा क्राइम जो जीडी में दर्ज होता है या उसकी एफआईआर होती है। यूपी कॉप में दर्ज किया जाता है। इससे ये जानकारी होती है कि किस जिले के किस थाने में कितने क्राइम हुए और कितने वर्कआउट हुए? कितने लोग जेल भेजे गए और कितने जमानत पर बाहर हैं? जो लोग जेल भेजे गए हैं, उनकी मॉडस ऑफ ऑपरेंडी क्या है? आम आदमी को जो बड़ी परेशानी हुई उनके मामलों की चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट न तो कोर्ट में दाखिल की गई और न ही यूपी कॉप पर लोड की गई। साथ ही यूपी कॉप पर इंटेलीजेंस और तमाम सेलों की सूचना भी अपलोड नहीं की गई, जिसकी वजह से कमिश्नरेट में क्राइम बढ़ता ही गया।
इन सेलों में पाई गई अनियमितता
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा), एलआईयू (लोकल इंंटेलीजेंस यूनिट), लेडी क्राइम सेल, मानवाधिकार सेल, पासपोर्ट सेल, साइबर सेल, फॉरेंसिक सेल, ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल, सम्मन सेल, लॉस्ट फाउंड आर्टिकल सेल, सीनियर सिटीजन प्रोटेक्शन सेल, हीनियस क्राइम सेल, रिलीजियस कंट्रेवर्सी सेल, पुलिस मेडिकल सेल, पेंशन सेल, सीनियर पुलिस मेन हेल्पलाइन सेल, इन्फ्रॉस्ट्रक्चर सेल, वीवीआईपी मूवमेंट सेल, वेकेशन सेल, व्हीकल एलाउंस सेल, टूर सेल, डीसीआरबी, एनसीआरबी समेत तीन दर्जन से ज्यादा सेल हैं, जहां हुई अनियमितता की वजह से कमिश्नरेट पुलिस की फजीहत हुई है। जानकारी होने पर इन सभी सेल्स की जांच शुरू कर दी गई है।
ये बताई गई वजह
जिन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। उनसे बात करने पर बताया गया कि कुछ महीने पहले ही पुलिस ऑफिस से तमाम विभाग ट्रैफिक पुलिस लाइन में कर दिए गए हैं। ऑफिस ट्रांसफर होने की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर और तमाम चीजें इधर उधर की गई थीं। जिसकी वजह से काम तो प्रभावित हुआ ही था साथ ही सिस्टम लाइन पर लाने में भी काफी समय लगा। इसी वजह से यूपी कॉप पर फीडिंग नहीं की जा सकी और क्राइम का ग्राफ बढ़ता चला गया। सुस्त माने गए इन पुलिसकर्मियों ने ये भी बताया कि उन्होंने इसकी वाजिब वजह बताते हुए मुख्यालय में जवाब दे दिया है।
पैरोंकारों की कमी भी वजह
लगातार हो रही कार्रवाई और ट्रांसफर सीजन होने की वजह से इन दिनों थानों और तमाम सेल्स में पुलिसकर्मियों की विशेष कमी है। ये भी बड़ी वजह बताई गई, जिसकी वजह से यूपी कॉप पर काम नहीं किया गया। दरअसल यूपी कॉप पर तभी फीडिंग की जाती है, जब एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक डाक पहुंच जाती है। इस डाक को ले जाने वाले पैरोंकारों की भी कमी है। एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक डाक पहुंचने में 15 दिन लग रहे हैं। ये भी बड़ी वजह बताई गई है।
ये हैं हालात-
महीना क्राइम नंबर फीडिंग नंबर
जनवरी 1 से 209 (209) 19
फरवरी 210 से 410 (200) 17
मार्च 411 से 519 (108) 13
अप्रैल 520 से 632 (112) 21
मई 633 से 767 (134) 18
जून 768 से 912 (144) 21
यूपी कॉप में फीडिंग न होने की वजह से कमिश्नरेट का क्राइम ग्राफ बढ़ा था, इनवेस्टिगेशन के दौरान 88 पुलिस कर्मियों की अनियमितता पाई गई है, जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है।
बीपी जोगदण्ड, पुलिस कमिश्नर