-साकेतनगर रवींद्र क्लासेस में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज्ड की गई 'मिलेनियल्स स्पीक', यूथ ने उबलते चुनावी मुद्दे पर रखी अपनी बात
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KANPUR : हर बार के इलेक्शन में लोग कभी वोट किसी के दबाव में दे देते हैं, तो कभी किसी की राय मान कर वोट करते हैं। लेकिन, इस बार की वोटिंग उन यूथ के लिए कुछ खास होने वाली है, जो पहली बार अपने वोट का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। कुछ ऐसे ही यूथ के चुनावी मुद्दों को जानने के लिए सैटरडे को हम साकेतनगर में रवींद्र क्लासेस पहुंचे। यहां यूथ ने बेधड़क और बहुत ही बेबाकी से अपने चुनावी मुद्दे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडिया सिटी आरजे हरि से श्ोयर किए।
सिर्फ नाम नहीं हो डेवलपमेंट पर काम
प्रिंसी, नैंसी और दीपिका ने कहा कि हमें डेवलपमेंट करने वाले नेता चाहिए। किसी ने नौबस्ता तो किसी ने झकरकटी जैसे क्षेत्रों का नाम लेते हुए कहा कि जगह जगह सड़कों पर गड्ढे हैं। धूल मिट्टी में चलना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। लोग हेलमेट सेफ्टी से ज्यादा धूल मिट्टी से बचने के लिए लगाते हैं। कहा हमारे लिए तो डेवलपमेंट का मुद्दा ही चुनावी मुद्दा बन सकता है। अगर डेवलपमेंट होने लगे तो प्रेजेंट जैसी ही गवर्नमेंट को ही फिर से वोट देने में कोई गुरेज नहीं होगा।
काम करने वाला हो नेता
पूजा, प्रीति व शिखा ने कहा चुनाव नजदीक होता है तो पार्टियों के नेता घर और नुक्कड़ों पर अपना डेरा जमा लेते हैं। चुनाव जीतने के लिए रात रात भर कैंप कार्यालय में ही मीटिंगें चलती हैं। अगर ऐसी ही उत्सुकता जीतने के बाद काम कराने को लेकर देखने को मिले तो उसे कोई हरा नहीं सकता है। लेकिन, जीतने के बाद नेता अपने घर में सो जाते हैं और फिर यूथ अपना फैसला अपने वोट से करते हैं। चुनाव के पहले या बाद में चक्कर लगाने वाला नेता नहीं, बल्कि हमें काम करने वाली गवर्नमेंट चाहिए।
आर्मी और सेफ्टी पर न हो पॉलिटिक्स
पुलवामा में जवानों पर हुए टेररिस्ट अटैक को लेकर जहां यूथ काफी दुखी नजर आए तो इस घटना के बाद आतंकवाद से इंडियन आर्मी का इंतकाम यूथ में काफी जोश भरने वाली घटना रही। कंट्री की सेना को देश की पॉलिटिक्स से दूर रखने की बात कही। अंजलि, स्तुति और शिवांशी ने कहा कि आतंकियों को हमारी आर्मी मुंहतोड़ जवाब दे रही है, पर सत्ता या विपक्ष को कोई भी पॉलिटिक्स करने की जरूरत है। समय आ गया है, जब आतंकवाद को संरक्षण देने वाले देशों को यह समझ आ जाए कि हम शांत बैठने वालों में से नहीं है। ईट का जवाब पत्थर से देने वाली हमारी सेना है।
क्राइम कंट्रोल की और जरूरत
दीपाली, दिया और मंजू ने कहा ने कहा कि कंट्री में अभी भी डेवलपमेंट की जरूरत है। हमें टेक्निकल फील्ड आगे बढ़ने के साथ ही डेवलपमेंट की ओर भी लगातार बढ़ते रहने की जरूरत है। कहा क्रिमिनल्स बेखौफ हैं, खासकर विमेन के साथ आए दिन लूट की घटना को सुबूत बताया। सिटी में हर जगह सीसीटीवी कैमरों की मांग करते हुए कहा यह सब डेवलपमेंट का ही एक पार्ट है। आज जहां डेवलप देशों में यह सब मूलभूत सुविधाओं का एक पार्ट है, वहीं अभी हमारी कंट्री में इसे लेकर सोच विचार ही चल रहा है।
करप्शन को मिटाना हो टारगेट
प्रियंका और शिखा ने कहा कि चुनाव आते ही पार्टी के नेता तमाम वादे करने लगते हैं। जीतने के बाद उनमें से कुछ ही पूरे हो पाते हैं। ज्यादातर नेता तो करप्शन में लग जाते हैं। कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक इसी करप्शन की भेंट चढ़ जाते हैं। एक ऐसी कमेटी का गठन होना चाहिए, जो इस करप्शन पर जनता की शिकायत सुने और उस पर जांच के बाद कार्रवाई हो।
विमेन इम्पॉवरमेंट भी जरूरी
गर्ल्स ने कहा कि विमेन इम्पॉवरमेंट भी उतना ही जरूरी है, जितना कि हम विमेन सेफ्टी की बात करते हैं। विमेन मजबूत होगी तो अपनी सेफ्टी भी खुद कर ही लेगी। लेकिन, कमजोर विमेन को कब तक सेफ्टी दी जाएगी। कहा अक्सर कोचिंग, कॉलेज से लौटते वक्त लड़कियों से शोहदे छेड़छाड़ करते हैं। शोहदों को सबक सिखाना पुलिस का टारगेट हो, न कि इसके नाम पर उगाही शुरू कर दी जाए।
मिलेनियल्स वर्जन-
- सभी राजनैतिक पार्टियों में यूथ को मौका मिलना चाहिए। यूथ अपने नेता में एजूकेशन, शार्प माइंड और लोगों की जरूरतों को समझने वाली जैसी काबलियत को पहचान कर वोट करना जानता है। इसीलिए नेताओं और पार्टियों में हड़कंप मचा हुआ है।
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- युवाओं को डेवलपमेंट, इम्प्लॉयमेंट और सेफ्टी चाहिए। हर पार्टी का नेता यूथ को अट्रैक्ट करने को भाषणबाजी कर रहा है। बहुत ही समझदारी से फैसले लेने की जरूरत है। हो सकता है कि आपको सिर्फ बरगलाने के लिए ही लुभावने वादे किए जा रहे हैं।
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- शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करने वाली मजबूत गवर्नमेंट चाहिए। प्रजेंट गवर्नमेंट में इन सेवाओं में पहले से कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं। लेकिन, अभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बदलाव किए जाने की जरूरत है।
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- करप्शन के मुद्दे पर कोई गवर्नमेंट कठोर कदम नहीं उठा पाई है। दरअसल, पार्टियों के नेता ही इस करप्शन में लिप्त होते हैं। कुछ नेता तो सिर्फ जेब भरने के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीतने के बाद उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं होता है।
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- वर्तमान गवर्नमेंट में कई ऐसी योजनाएं बनाई गई हैं, जो यूथ के मतलब की हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए सिर्फ उन्हें सही गाइडेंस की जरूरत है। इस गवर्नमेंट में लगभग सब ठीक है। डेवलपमेंट पर काम होना बाकी है।
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- चुनाव से पहले नेता घरों के बाहर दिखाई देते हैं। जबकि, सच्चा नेता वही है, जो चुनाव जीतने के बाद भी जनता के बीच में रह कर उनकी समस्याओं को समझे और उससे छुटकारा भी दिलाए। ऐसे नेता को ही यूथ अपना वोट करेगा।
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- स्टडी और जॉब के लिए लोग बाहर चले जाते हैं। कंट्री में कई बार उनके मतलब का काम नहीं मिल पाता है। अगर उन्हें अगर अपनी काबलियत के अनुसार यहां ही सब कुछ मिल जाए तो कोई भी अपन कंट्री छोड़ कर नहीं जाएगा।
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