-लॉकडाउन के कारण घरों में कैद लोग कई तरह के डिसऑर्डर का शिकार हो रहे, डॉक्टर से जिद कर घर के बाहर जाने की मांग रहे परमीशन

-नगर निगम की टेलीमेडिसिन सर्विस में आ रहीं हैं ज्यादातर इसी तरह की कॉल्स, साइकोलॉजिकल हिस्ट्री वाले पेशेंट्स और भी ज्यादा परेशान

केस-1

किदवई नगर की रहने वाली पूनम ने कॉल कर बताया कि मेरे दिमाग में कोरोना को लेकर बहुत डर बैठ गया है। रात में सपने आते हैं कि मुझे कोरोना हो गया है।

केस-2

मछरिया निवासी शादाब ने कॉल कर डॉक्टर से पूछा कि बाहर जाता हूं तो सांस लेने में डर लगता है। घर में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। अंधेरे में रहना अच्छा लगता है।

केस-3

कर्नलगंज निवासी संजय ने फोन कर बताया कि अकेले रहना अच्छा लगता है। परिवार साथ में रहता है, लेकिन उनके साथ रहने का मन नहीं करता है। लगता है कोरोना हो जाएगा।

KANPUR: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के 18 दिन बीत चुके हैं। दिन भर भागदौड़ भरी लाइफ में बिजी रहने वाले लोगों की जिंदगी घर में कैद होकर रह गई है। वायरस ने लोगों के दिमाग में डर भर दिया है इससे उनके ऊपर साइड इफेक्ट्स भी पड़ने लगे हैं। कुछ लोग डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं। कई लोग साइकोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। स्मार्ट सिटी में शुरू किए गए टेलीमेडिसिन में रोजाना लगभग 30 परसेंट केस इससे जुड़े आ रहे हैं। जिसमें कई लोग घर में रहकर पागल होने की बात करते हैं तो कुछ खुद को अंदर से बीमार होने की बात डॉक्टर्स को बताते हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। अमित सिंह बताते हैं कि इसमें कुछ मेडिकल कंडीशन में छोड़कर ज्यादातर को योग, काम में बिजी रहने और फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करने की सलाह देते हैं।

बिजी रहना ही सबसे अच्छा

टेलीमेडिसिन सेंटर में तैनात फिजिशियन डॉ। प्रदीप गुप्ता के मुताबिक लॉकडाउन से लोग अब थोड़ा परेशान होने लगे हैं। गेम, मूवीज और अन्य एक्टिविटी से भी बोर हो चुके हैं। ऐसे में बहुत से लोग इरीटेट होने लगे हैं। वहीं घरों में छोटे-मोटे झगड़े बढ़ने लगे हैं। ऐसे में मेरी सलाह है कि इससे बचने के लिए हॉबीज के हिसाब से काम करें। कुछ क्रिएटिव करें, प्रॉपर नींद लें, परिवार को क्वालिटी टाइम दें, पुरानी और अच्छी यादों को शेयर करें। वहीं जिनकी साइकोलॉजिकल हिस्ट्री है, उन्हें प्रॉपर ट्रीट किया जा रहा है।

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सता रही है फ्यूचर की चिंता

डॉ। अमित सिंह के मुताबिक सेंटर में आने वाली कॉल्स से पता चलता है कि ज्यादातर लोग कर्ज, ईएमआई, जॉब सिक्योर रहेगी या नहीं इसको लेकर भी काफी टेंशन में हैं। उनके अंदर गुस्सा भी काफी देखने को मिल रहा है। सभी का कहना है कि पूरे दिन यही सब दिमाग में घूमता रहता है। इसकी वजह से नींद भी नहीं आती है। वहीं आई सर्जन डॉ। आरपी शाक्य लोगों को आंखों से रिलेटेड प्रॉब्लम को लेकर एडवाइज करते रहे।

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इस प्रकार हो रही हेल्पफुल

-फतेहपुर गांव से अभिषेक पटेल ने टीबी की दवाइयों को लेकर फोन किया। सलाह दी गई कि कोर्स के मुताबिक 3 महीने तक दवा लेनी होगी।

-सीसामऊ निवासी रामकुमारी तिवारी ने कमर के नीचे पीठ पर खुजली और दाने होने की बात बताई। उन्हें मेडिसिन घर भिजवाई गई।

-कानपुर देहात निवासी जमुना दास का ट्रीटमेंट रीजेंसी हॉस्पिटल से चल रहा है। उन्होंने दवा लेने के लिए फोन किया। उन्हें नजदीक के मेडिकल स्टोर का नंबर दिया गया।

-हिना गुप्ता ने फोन कर बताया कि 3 महीने से खांसी की दवा खा रही थी। बंद करने पर फिर से आने लगी। उन्हें दवा दी गई।

-आजाद नगर निवासी एक महिला ने फोन कर बताया कि हसबैंड को 3 दिन से पसीना आ रहा है और वे बीपी की दवा खाते हैं। उन्हें तत्काल कॉर्डियोलॉजी जाने के लिए कहा गया।

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मिसयूज से बाज नहीं आ रहे लोग

-टेलीमेडिसिन के नंबर पर एक लड़के ने बताया कि मेरे दोस्त ने नंबर दिया है होटल बुक हो जाएगा क्या।

-एक लड़का लगातार फोटो भेजने की मांग कर रहा है। उसे बताया गया था कि ये किसी लड़की का नंबर है।

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लॉकडाउन में ऐसे रखें पॉजिटिव

-पॉजिटिव एटीट्यूड बनाए रखें

-लॉकडाउन को सुरक्षा कवच मानें

-ओल्ड फ्रेंड्स के साथ यादें ताजा करें

-अपनी हॉबीज के मुताबिक काम करें

-बच्चे एक्स्ट्रा एक्टिविटीज पर ध्यान दें

-शांत मन से आत्म चिंतन कर सकते हैं

-लेडीज घर के कामों के अलावा क्रिएटिव वर्ककरें

-सुबह का रूटीन जल्द शुरू करें, योगा करें

डॉ। सुधांशु राय, चीफ काउंसलर, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी।

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सिर्फ हेल्थ प्रॉब्लम के लिए करें कॉल

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टाइम- सुबह 11 से शाम 5 बजे तक