सविता हलप्पनवार के परिवार वालों ने कहा है कि सविता गर्भपात कराने की मांग कई बार कर चुकी थीं। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उनके पति ने बीबीसी को बताया कि डॉक्टरों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि सविता का भ्रूण जीवित था।

सविता की मौत 28 अक्तूबर को हुई। उनकी मौत दो पहलूओं के चलते जांच का विषय है। आयरिश टाइम्स के मुताबिक सविता की मौत के दो दिन बाद हुई शव परीक्षण के मुताबिक उनकी मौत सेप्टिसीमिया (घाव के सड़ने) की वजह से हुई। 31 साल की भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार यहां डेंटिस्ट के तौर पर काम कर रही थीं।

कैथोलिक कानून पर सवाल

उनके पति प्रवीण हलप्पनवार ने बताया है कि यूनिवर्सिटी अस्पतॉल गॉलवे के कर्मचारियों ने बताया कि आयरलैंड एक कैथोलिक देश है। जब प्रवीण से बीबीसी ने पूछा कि वे क्या सोचते हैं, क्या गर्भपात कराने के बाद उनकी पत्नी बच जातीं, तो प्रवीण का जवाब था, “एकदम, इसमें कोई शक ही नहीं है.”

उन्होंने बताया कि कठिनाई शुरू होने से पहले सविता की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। प्रवीण ने कहा, "उन्हें काफी दर्द होने लगा था, तब हम यूनिवर्सिटी अस्पतला आए."

प्रवीण के मुताबिक सविता का दर्द लगातार जारी था, ऐसे में वह गर्भपात कराने को कह रही थी लेकिन अस्पताल वालों ने यह कह मना कर दिया कि कैथोलिक देश में उसे गर्भपात नहीं कराना चाहिए।

प्रवीण के मुताबिक सविता ने चिकित्सकों से कहा भी कि वह हिंदू है, कैथोलिक नहीं तो उन पर यह कानून क्यों थोपा जा रहा है। ऐसे में चिकित्सक ने माफ़ी मांगते हुए कहा- दुर्भाग्य से यह एक कैथोलिक देश है और यहां के कानून के मुताबिक हम जीवित भ्रूण का गर्भपात नहीं करेंगे।

प्रवीण ने कहा, "मेरे पास बुधवार की देर रात साढ़े बारह बजे फोन आया कि सविता की ह्रदय गति तेजी से बढ़ रही है और हम उन्हें आईसीयू में ले जा रहे हैं। इसके बाद हालात ख़राब होते गए। शुक्रवार को मुझे बताया गया कि सविता की तबियत बेहद ख़राब है.” प्रवीण के मुताबिक सविता के कुछ अंगों ने तब तक काम करना बंद कर दिया था। 28 अक्तूबर यानी रविवार को सविता की मौत हो गई।

कानून में बदलाव को लेकर बहस तेज़

आयरलैंड में अभी तक गर्भपात पर एक राय नहीं बन पायी है। हालांकि हालात पहले जितने ख़राब नहीं हैं, लेकिन 'एक्स केस' के बीस साल बीतने के बाद भी इस मामले में देश का कानून साफ-साफ कुछ नहीं कहता।

'एक्स केस' एक 14 साल की स्कूली लड़की का मामला था। जो बलात्कार का शिकार होकर गर्भवती बन गई थी। प्रशासन उसे गर्भपात कराने की अनुमति नहीं दे रहा था, ऐसे में उस लड़की ने आत्महत्या कर ली थी।

तब आयरिश सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भ्रूण और मां दोनों को जीने का समान अधिकार है लेकिन आत्महत्या की आशंका को देखते हुए गर्भपात की अनुमति देनी चाहिए।

लेकिन इसके बाद किसी सरकार ने कानून में बदलाव करने की कोशिश नहीं की, ताकि चिकित्सकों के सामने यह स्पष्ट हो पाता कि वह किन-किन परिस्थितियों में गर्भपात कर सकते हैं।

राजनेता निजी तौर पर मानते हैं कि आयरलैंड के लोग गर्भपात नहीं कराने में विश्वास रखते हैं और तब आयरलैंड में इसे लागू भी नहीं कराना चाहते हैं जब तक इस मसले पर पूरे ब्रिटेन में कोई हल नहीं निकले।

जबकि बदलाव समर्थक इसे सरकार की नैतिक कायरता ठहरा रहे हैं। लेकिन मौजूदा गठबंधन की सरकार ने इस मसले पर कानून बनाने की बात कही है।

जाँच

वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी अस्पताल गालवे में भी मामले की आंतरिक जांच शुरू हो गई है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि व्यक्तिगत मसलों पर प्रतिक्रिया देना संभव नहीं है लेकिन वे जांच प्रक्रिया में हर तरह से अपना सहयोग देंगे।

वहीं स्वास्थ्य सेवा अधिकारियों ने अलग से जांच शुरू कर दी है। क्या इस मामले की सरकार कोई बाहरी जांच भी कराएगी, यह सवाल पूछे जाने पर प्रधानमंत्री इनडा केनी ने कहा, “हम किसी कदम से इनकार नहीं कर रहे लेकिन अभी दो जांच चल रही है.”

आयरलैंड में गर्भपात तब तक गैरकानूनी है, हालांकि अपवादस्वरूप बच्चे की मां पर जीवन का ख़तरा आने पर इसे कराया जा सकता है। आयरिश सरकार ने जनवरी में 14 सदस्यीय विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है जो सरकार को अनुशंसाएं भेजगा। यह पैनल 2010 में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत में जीवन का ख़तरा झेल रही महिलाओं के गर्भपात के अधिकार को लागू करने में नाकामी के चलते हुई सरकार की हार के बाद बनाया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक इस पैनल को स्वास्थ्य मंत्री जेम्स रैली को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। हालांकि प्रवीण हलप्पनवार का परिवार सविता का अंतिम संस्कार करने के लिए अभी भारत में है। अस्पताल प्रबंधन ने इस दुखद घटना पर हलप्पनवार परिवार के प्रति सहानुभूति जताई है।

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